GSEB Solutions Class 11 Accounts Part 1 Chapter 2 व्यवहारों की द्वि-असर और खाता के प्रकार

Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 11 Commerce Accounts Part 1 Chapter 2 व्यवहारों की द्वि-असर और खाता के प्रकार Textbook Exercise Questions and Answers.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Accounts Part 1 Chapter 2 व्यवहारों की द्वि-असर और खाता के प्रकार

स्वाध्याय – अभ्यास

प्रश्न 1.
प्रत्येक प्रश्न के लिये योग्य विकल्प पसंद कीजिए :

1. धंधे के आर्थिक व्यवहार को कौन-सा लक्षण लागु नहीं पड़ता ?
(अ) रोकड़ व्यवहार
(ब) उधार व्यवहार
(क) बाहरी व्यवहार
(ड) मौद्रिक मूल्य सिवाय के व्यवहार
उत्तर :
(ड) मौद्रिक मूल्य सिवाय के व्यवहार

2. रु. 10,000 का किराया चुकाया है । यह किस प्रकार का व्यवहार है ?
(अ) संपत्ति का रोकड़ व्यवहार
(ब) सेवा का बिनरोकड़ व्यवहार
(क) सेवा का रोकड़ व्यवहार
(ड) देना का रोकड़ व्यवहार
उत्तर :
(क) सेवा का रोकड़ व्यवहार

3. निम्न में से कौन-सा व्यवहार अन्य स्वरूप का व्यवहार है ?
(अ) रु. 5,000 का माल खरीदा ।
(ब) रु. 5,000 का माल ‘ब’ से खरीदा ।
(क) रु. 5,000 का माल चेक से खरीदा ।
(ड) रु. 5,000 का माल आग से जल गया ।
उत्तर :
(ड) रु. 5,000 का माल आग से जल गया ।

4. देनदार-लेनदार का संबंध कौन-सा व्यवहार दर्शाता है ?
(अ) रु. 8,000 का माल खरीदा ।
(ब) रु. 8,000 का माल ‘ब’ से खरीदा ।
(क) रु. 8,000 का माल चेक से खरीदा ।
(ड) रु. 8,000 का माल आग से जल गया ।
उत्तर :
(ब) रु. 8,000 का माल ‘ब’ से खरीदा ।

प्रश्न 2.
एक वाक्य में उत्तर दीजिए :

1. दोहरी असर अर्थात् क्या ?
उत्तर :
द्विलेखा नामापद्धति में प्रत्येक व्यवहार की कम से कम होनेवाली दो असरों में एक खाता प्रतिफल या लाभ प्राप्त करता है तो दूसरा खाता प्रतिफल या लाभ देता है । इस प्रकार द्विलेखी नामा पद्धति के अनुसार हिसाबी व्यवहारों की दोहरी असर दी जाती है ।

2. रोकड़ व्यवहार अर्थात् क्या ?
उत्तर :
जिस व्यवहार में नकद या बैंक द्वारा रकम की लेन-देन होती हो अथवा जिस व्यवहार से व्यवसाय की नकद या बेंक सिलक में परिवर्तन होता हो ऐसे व्यवहार को नकद व्यवहार कहते हैं । उदा.

  1. 400 रु. का माल नकद से खरीदा ।
  2. रु. 500 का माल बेचने पर
    उतनी ही रकम का चेक प्राप्त हुआ ।

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3. उधार (शाख पर का) व्यवहार समझाइए ।
उत्तर :
जिन व्यवहारों में प्रत्यक्ष रूप से नकद की लेनदेन नहीं होती हो परंतु भविष्य में रकम चुकाने की शर्त पर लेनदेन होती हो ऐसे व्यवहारों को उधार व्यवहार कहेंगे । उधार व्यवहार को शान के व्यवहार भी कहते हैं । ऐसे व्यवहार से नकद शेष या बैंक शेष में कोई बदलाव नहीं होता, परंतु देनदार-लेनदार का संबंध उपस्थित होता है ।
उदा.

  1. रु. 5,000 का माल अनुशील से शाख पर खरीदा ।
  2. रु. 8,000 का फर्नीचर न्यू फर्निचर मार्ट से खरीदा ।

4. माल के रोकड़ व्यवहार का उदाहरण दीजिए ।
उत्तर :
मुद्रा के बदले में माल खरीदा जाता है अथवा माल के विक्रय से मुद्रा प्राप्त होती है । उदा. 5,000 रु. का माल रोकड़ी खरीदा । रु. 8,000 का माल रोकड़ी बेचा ।

5. सेवा के रोकड़ व्यवहार का उदाहरण दीजिए ।
उत्तर :
मुद्रा के बदले में सेवा ली जाती है अथवा सेवा के बदले में मुद्रा प्राप्त होती है । उदा. कर्मचारी को वेतन के रु. 8,000 चुकाया । (वेतन सेवा है ।), रु. 5,500 दलाली के प्राप्त हुए । (दलाली का काम सेवा है ।)

6. माल के उधार व्यवहार का उदाहरण दीजिए ।
उत्तर :

  1. रु. 1,800 का माल आकाँक्षा को बेचा ।
  2. रु. 4,000 का माल राहुल से खरीदा ।

7. सेवा के उधार व्यवहार का उदाहरण दीजिए ।
उत्तर :

  1. डॉक्टर को फीस के 600 रु. चुकाना शेष है ।
  2. वकीलं को फीस के रु. 5,000 देना बाकी है ।

8. बिनआर्थिक (गैरआर्थिक) व्यवहार किसे कहेंगे ?
उत्तर :
व्यावसायिक दृष्टि से जिन व्यवहारों का द्रव्य में मूल्य न आँका जा सकें अथवा जिसमें द्रव्य की लेन-देन न होती हो ऐसे व्यवहारों . को गैरआर्थिक व्यवहार कहेंगे । जैसे : पुत्री वंदना के शादी के प्रसंग पर रु. 30,000 की सोने की चेन उपहार में देना इत्यादि गैरआर्थिक .
व्यवहार के उदाहरण है ।

प्रश्न 3.
दो से तीन वाक्यों में उत्तर दीजिए. :
1. रोकड़ (नकद) और उधार व्यवहार के बीच अंतर दीजिए ।

नकद व्यवहार उधार व्यवहार
1. जिस व्यवहार में नकद अथवा चेक से लेन देन होता हो उसे नकद व्यवहार कहते हैं । 1. जिस व्यवहार में नकद अथवा चेक से लेन देन न होता हो उसे उधार व्यवहार कहते हैं ।
2. ऐसे व्यवहार में नकद का उल्लेख होता है अथवा नकद या व्यक्ति का उल्लेख नहीं होता । 2. ऐसे व्यवहार में व्यक्ति का उल्लेख होता ही है और नकद का उल्लेख नहीं होता ।
3. ऐसे व्यवहार में एक खाता नकद या बैंक का होता है । अर्थात् नकद/बैंक शेष बढ़ता या घटता है । 3. ऐसे व्यवहार में एक खाता हमेशा व्यक्ति खाते का होता है । व्यक्ति देनेवाले या लेनेवाले के रूप में जाना जाता है ।
4. ऐसे व्यवहार रोकड़बही में लिखे जाते हैं । 4. ऐसे व्यवहार खरीदबही या बिक्रीबही या मुख्य रोजनामचा में लिखा जाता है ।
5. नकद व्यवहारों पर से नकद खाता तैयार कर उस समय की नकद शेष ज्ञात की जा सकती है । 5. उधार व्यवहारों पर से देनदार और लेनदार खाता तैयार कर कुल लेना या कुल देना ज्ञात कर सकते हैं ।

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2. आर्थिक और बिनआर्थिक (गैरआर्थिक) व्यवहार के बीच अंतर दीजिए ।

आर्थिक व्यवहार गैरआर्थिक व्यवहार
1. जिन व्यवहारों को द्रव्य या द्रव्य के मूल्य में अंकित कर सके ऐसी वस्तु या सेवा की लेन-देन को आर्थिक व्यवहार कहते हैं । 1. जिन व्यवहारों को द्रव्य मूल्य में अंकित नहीं कर सकते या जिसकी लेन-देन में द्रव्य शामिल न हो ऐसे व्यवहारों को गैरआर्थिक व्यवहार कहते हैं ।
2. आर्थिक व्यवहार व्यवसाय से सम्बन्धित होते हैं । 2. गैरआर्थिक व्यवहार व्यवसाय से सम्बन्धित नहीं होते हैं ।
3. आर्थिक व्यवहारों का लेखा हिसाबी चोपड़े में किया जाता है । 3. गैरआर्थिक व्यवहारों का लेखा हिसाबी चोपड़े में नहीं किया जाता है ।
4. आर्थिक व्यवहार सामान्यत: लाभ कमाने के हेत से किये जाते है। 4. गैरआर्थिक व्यवहार सामान्यतः सामाजिक या पारिवारिक सम्बन्धों से किये जाते है ।
5. आर्थिक व्यवहार के तीन प्रकार होते हैं :
(1) नकद व्यवहार (2) उधार व्यवहार (3) विनिमय का व्यवहार
5. गैरआर्थिक व्यवहार के कोई प्रकार नहीं है ।
6. आर्थिक व्यवहारों की असर धंधे की आर्थिक प्रवृत्ति पर पड़ती है । 6. गैरआर्थिक व्यवहारों की असर धंधे की आर्थिक प्रवृत्ति पर नहीं पड़ती है ।

3. आंतरिक और बाहरी व्यवहार समझाइए ।
उत्तर :
(i) आंतरिक व्यवहार (Internal Transaction) : धंधे के अमुक व्यवहारों में अन्य उपयोगकर्ता की आवश्यकता नहीं रहती । यह व्यवहार धंधे में ही होते है और इन व्यवहारों को हिसाबी बहीयों में लिखा जाता है । उदा. संपत्ति पर घिसाई, संपत्ति अप्रचलित होना, प्राकृतिक आपदा से नुकसान होना वगैरह । यह सभी धंधे के आर्थिक परंतु बिनरोकड़ व्यवहार है ।

(ii) बाहरी व्यवहार (External Transaction) : यह व्यवहार धंधे के आर्थिक व्यवहार है तथा धंधा और अन्य उपयोगकर्ता के बीच के व्यवहार है । इन व्यवहारों को हिसाबी बहियों में लिखा जाता है । उदा. ग्राहकों को माल का विक्रय, कामदारों को मजदूरी का भुगतान, बैंक में से प्राप्त ब्याज वगैरह ।

4. अन्य व्यवहार समझाइए ।
उत्तर :
इस प्रकार के व्यवहारों का नकद व्यवहार या उधार व्यवहार में समाविष्ट नहीं होता । यह व्यवहार धंधे के विशिष्ट व्यवहार कहलाते है । इन व्यवहारों का चौपड़े में लेखा किया जाता है ।
उदा. माल चोरी हो जाना, अकस्मात में माल का नुकसान होना, दान में माल देना, विज्ञापन के रूप में माल देना वगैरह ।

प्रश्न 4.
निम्न व्यवहार नीलिमा के चौपड़े में किस खाते उधार और किस खाते जमा होगा वह कारण सहित बताइए :
1. रु. 50,000 नकद लाकर धंधा प्रारंभ किया ।
2. रु. 10,000 की जशलीन के पास से लोन ली ।
3. रु. 30,000 बैंक में भरकर खाता खुलवाया ।
4. . रु. 8,000 में कम्प्यूटर खरीदा ।
5. रु. 1,000 की स्टेशनरी खरीदी ।
6. रु. 20,000 की खरीदी की ।
7. रु. 30,000 की रमण के पास से खरीदी की ।
8. रु. 15,000 का माल रु. 28,000 में रोकड़ी बेचा ।
9. रु. 8,000 का माल रु. 15,000 में नीला को बेचा ।
10. रु. 2,000 का माल रमण को वापस किया ।
11. रु. 1,500 का माल नीला ने वापस किया ।
12. रु. 500 लारीभाड़े के चुकाये ।
13. रु. 200 का माल आग में नष्ट हुआ ।
14. रु. 5,000 कमीशन के प्राप्त हुए ।
15. रु. 2,000 वेतन चुकाया ।
उत्तर :
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प्रश्न 5.
निम्न व्यवहारों को गणेश की बही में किस खाते उधार किया जायेगा और किस खाते जमा किया जायेगा वह कारण सहित बताइए:
1. रु. 75,000 नकद लाकर धंधा प्रारंभ किया ।
2. रु. 2,000 पूजा का खर्च हुआ ।
3. रु. 10,000 का फर्नीचर लाये ।
4. रु. 30,000 स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में भरे ।
5. रु. 30,000 की पत्नी के पास से लोन ली ।
6. रु. 20,000 की खरीदी कर रकम चेक से चुकाई ।
7. रु. 42,000 का विक्रय किया । रकम चेक से मिली ।
8. रु. 22,000 बैंक में से निकाले ।
9. रु. 2,000 बीमा प्रीमियम के चेक से चुकाये ।
रु. 3,500 दलाली के प्राप्त हुए ।
11. रु. 12,000 का माल दाणी को बेचा । रकम चेक से प्राप्त हुई ।
12. रु. 8,000 का माल दिपक के पास से खरीदा । रकम चेक से चुकाई ।
13. रु. 2,500 धंधे में से निजी उपयोग के लिये निकाले ।
14. रु. 1,500 का माल धंधे में से निजी उपयोग के लिये ले गये ।
15. रु. 2,000 का डिविडन्ड चेक से मिला । चेक बैंक में भरा ।
16. रु. 200 बैंक ने ब्याज के जमा किये ।
17. रु. 100 बैंक ने खर्च के उधार किये ।
18. रु. 300 मजदूरी चुकाई ।
19. लोन का ब्याज रु. 350 चुकाया ।
20. यंत्र खरीदा रु. 12,000
उत्तर :
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