GSEB Solutions Class 11 Accounts Part 2 Chapter 11 हिसाबी पद्धति और कम्प्यूटर

Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 11 Commerce Accounts Part 2 Chapter 11 हिसाबी पद्धति और कम्प्यूटर Textbook Exercise Questions and Answers.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Accounts Part 2 Chapter 11 हिसाबी पद्धति और कम्प्यूटर

स्वाध्याय – अभ्यास

प्रश्न 1.
संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए :

1. कम्प्यूटर हिसाबी पद्धति के अंग (Components of Computer Accounting) :
उत्तर :
जिस प्रकार मनुष्य शरीर वह विविध अंगों से बना है उसी तरह कम्प्यूटर हिसाबी पद्धति के तीन अंग है :

  1. हार्डवेर
  2. सोफ्टवेर
  3. ह्युमन वेर

(1) हार्डवेर : हार्डवेर में कम्प्यूटर के अलग-अलग भागों का समावेश होता है । जैसे : की-बोर्ड, मध्यस्थ प्रक्रिया इकाई [Central Processing
Unit (CPU)], माउस, मोनिटर, पेन ड्राईव, सीडी अथवा डीवीडी ड्राईव, स्पीकर और साउन्ड कार्ड, प्रिन्टर वगैरह । कम्प्यूटर के अलग-अलग भाग मिलकर कम्प्यूटर सिस्टम तैयार करते है । कम्प्यूटर के भागों को इनपुट डिवाइस, CPU और आउटपुट डिवाईस इस प्रकार बाँटा जा सकता है । इनपुट डिवाईस में की-बोर्ड, माउस, पेन द्वारा सीधे ही स्क्रीन पर लिखा जा सकता है । टच स्क्रीन जानकारियों को मोनिटर पर ही प्राप्त करके बार कोर रीडर जिस बार कोड को पढ़कर उसका आंकड़ों में रूपांतर कर सके उसका समावेश होता है । जबकि कम्प्यूटर के दिमाग के रूप में CPU को जाना जाता है जिसके द्वारा गणना, तार्किक निर्णय एवं यंत्र की सभी गतिविधियों पर अंकुश रखा जाता है । CPU इनपुट डिवाईस द्वारा सूचना प्राप्त करके मेमरी में उसका संग्रह करके, उस पर विविध प्रक्रियाएँ करके अंतिम जानकारी आउटपुट डिवाईस में भेजता है । CPU में अंकुश इकाई (Control Unit), संग्रह इकाई (Memory Unit) और गाणितिक इकाई (Arithmatic and Logic Unit) का समावेश होता है । आउटपुट डिवाइस में आँखों से
देखा जा सके ऐसी इकाई या मोनिटर, प्रिन्टर, स्पीकर वगैरह का समावेश हो सकता है ।

(2) सोफ्टवेर : कम्प्यूटर के अलग-अलग उपयोग के लिये सोफ्टवेर अत्यंत आवश्यक है । सोफ्टवेर ऐसी सूचनाओं का संग्रह है जिसके द्वारा उपयोगकर्ता अथवा यंत्र द्वारा आवश्यक विशिष्ट कार्य किये जा सकते है । सोफ्टवेर को मुख्य दो भागों में बाँटा जा सकता है : (i) सिस्टम सोफ्टवेर (ii) एप्लिकेशन सोफ्टवेर । सिस्टम सोफ्टवेर का उपयोग कम्प्यूटर सिस्टम की प्रक्रिया को अंकुश में रखने तथा प्रक्रिया क्षमता बढ़ाने के लिये किया जाता है । जबकि एप्लिकेशन सोफ्टवेर का उपयोग उसके उपयोगकर्ता द्वारा तय किये गये कार्य करने के लिये होता है । जैसे : टेली यह एप्लिकेशन सोफ्टवेर है, हिसाब रखने के लिये उपयोगकर्ता इसका उपयोग करते है । जबकि windows 7 यह सिस्टम सोफ्टवेर है जिसका कम्प्यूटर सिस्टम चलाने के लिये इसका उपयोग किया जाता है ।

(3) ह्युमन वेर : ह्युमन वेर अर्थात् कम्प्यूटर और सोफ्टवेर से जुड़े व्यक्ति । जिसमें प्रोग्रामर, कम्प्यूटर या डेटा एन्ट्री ओपरेटर, हार्डवेर इन्जिनीयर, सोफ्टवेर इन्जीनियर, सिस्टम एनालिस्ट वगैरह का समावेश होता है । कम्प्यूटर हिसाबी पद्धति के असरदायक अमल के लिये इन सभी का योगदान महत्त्वपूर्ण रहता है ।

इस प्रकार कम्प्यूटर हिसाबी पद्धति में हार्डवेर, सोफ्टवेर और ह्युमन वेर का महत्त्वपूर्ण स्थान है । इनमें से किसी भी एक अंग में कोई कमी रह जाये तब कम्प्यूटर हिसाबी पद्धति अपने सही परिणाम प्राप्त नहीं कर सकती ।

2. कम्प्यूटर हिसाबी पद्धति के लक्षण (Characteristics of Computer Accounting) :
उत्तर :
कम्प्यूटर हिसाबी पद्धति के लक्षण निम्न है :

(1) विश्वसनीयता : कम्प्यूटर की प्रक्रिया विश्वसनीयता से भरी है । चाहे कितनी भी कच्ची सामूहिक जानकारियाँ इसे दी जाये परंतु उसमें भूल नहीं होती, इसे काम का भार नहीं महसूस होता । इसे न कभी थकान लगती है न कार्य करने का आलस इसे नहीं आता ।

(2) गति : सामान्य लेखाकार व्यवहारों का लेखा करे, खतौनी करे, सकल तलपट तैयार कर वार्षिक हिसाब तैयार करे उससे कहीं अधिक कम समय में कम्प्यूटर हिसाब तैयार कर देते है । यह मनुष्यों के कार्य करने की गति की अपेक्षा कहीं अधिक गति से कार्य कर सकते है ।

(3) स्वच्छता : हाथ से लिखकर तैयार किये हिसाबों की अपेक्षा कम्प्यूटर द्वारा लिखित हिसाब, अधिक साफ-सुथरे एवं स्वच्छतावाले होने से इन्हें पढ़ने में और समझने में अधिक आसानी रहती है ।

(4) विविधता : कम्प्यूटर आधारित हिसाबी सोफ्टवेर के द्वारा सकल तलपट, लाभ-हानि खाता, आर्थिक चिट्ठा तैयार कर उसका विश्लेषण कर अलग-अलग विविधतापूर्ण अहेवाल प्राप्त किये जा सकते है और आवश्यकता पड़े तब इसमें परिवर्तन भी किया जा सकता है ।

(5) त्वरित जानकारी और पत्रक : कम्प्यूटर हिसाबी पद्धति का एक सबसे महत्त्वपूर्ण लक्षण यह है कि इसके द्वारा हिसाबों से संबंधित जानकारी तुरंत प्राप्त की जा सकती है और पत्रक या अहेवाल स्वरूप में इसे तुरंत प्राप्त किया जा सकता है । आवश्यक जानकारियों को पत्रकों पर प्रिन्ट किया जा सकता है अथवा ई-मेल द्वारा भेजा जा सकता है । एकाउन्टिंग सोफ्टवेर दुनिया के किसी भी कोने पर हिसाब उपलब्ध करवा सकता है ।

(6) चोकसाई : कम्प्यूटर के सभी कार्य खूब चोकसाईवाले (Perfectness) होते है । अगर हार्डवेर, सोफ्टवेर और ह्युमन वेर सही हो तब कम्प्यूटर हिसाबी पद्धति के द्वारा एकदम सही जानकारी प्राप्त होती है ।

(7) हिसाबी पद्धति का यांत्रीकरण और उसका लाभालाभ : व्यवसाय की आवश्यकता को ध्यान में रखकर योग्य कम्प्यूटर सिस्टम, एकाउन्टिंग सोफ्टवेर और उसका संचालन करनेवाले योग्य व्यक्तियों की पसंदगी होगी तब हिसाबी पद्धति के यांत्रीकरण का खूब लाभ होगा, परंतु अगर उपरोक्त अंगों में से कोई भी एक अंग खराब होगा तब वह परिणामों को खराब कर देगा ।

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3. हिसाबी सोफ्टवेर अथवा एकाउन्टिंग सोफ्टवेर
उत्तर :
एकाउन्टिंग सोफ्टवेर (Accounting Software) :
एकाउन्टिंग सोफ्टवेर तीन प्रकार के हो सकते है :
(1) तैयार सोफ्टवेर
(2) ग्राहक की आवश्यकता के अनुसार परिवर्तित सोफ्टवेर
(3) ग्राहक की आवश्यकता के अनुसार सोफ्टवेर

(1) तैयार सोफ्टवेर (Readymade Software) : सामान्य ग्राहक वर्ग को ध्यान में रखकर तैयार किया जानेवाला यह सोफ्टवेर है । ऐसे सोफ्टवेर सामान्य ग्राहक को ध्यान में रखकर बनाये जाने से इसके बहुत सारे लक्षण या सुविधाएँ ऐसी होगी जो सभी व्यक्तियों के लिये उपयोगी न भी हो । इसके अलावा सोफ्टवेर में ऐसी सुविधा हो जो उसको उपयोग करनेवाले ग्राहक को उपयोगी न हो । जैसे : किसी सोफ्टवेर में VAT की सुविधा हो परंतु उसका उपयोग करनेवाले ग्राहक को वह उपयोगी न भी हो । हिसाब से जुड़े उपलब्ध सोफ्टवेर में टेली (Tally), बीझी (Busy), टाटा ईएक्स (Tata Ex), प्रोफिट (Profit), प्रोफेशनल एकाउन्ट (Professional Accountant) वगैरह का समावेश होता है । ऐसे सोफ्टवेर बाजार में आसानी से मिल सकते है और अधिक प्रमाण में ग्राहकों को उपयोगी होने से सस्ते भी होते है । ऐसे सोफ्टवेर कुशल व्यक्तियों द्वारा तैयार होते है । ऐसे सोफ्टवेर का उपयोग अधिक प्रमाण में व्यक्ति करने से इसकी जानकारी रखनेवाले व्यक्ति आसानी से मिलते है ।

(2) ग्राहक की आवश्यकता के अनुसार परिवर्तित सोफ्टवेर (Customised Software) : तैयार सोफ्टवेर में ग्राहक की आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन किया जाये तो उसे परिवर्तित सोफ्टवेर के रूप में जाना जाता है । तैयार सोफ्टवेर में ग्राहकों की आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन किया जाने से ग्राहकों को वह अधिक उपयोगी होता है । ऐसे सोफ्टवेर में परिवर्तन करने के लिये सोफ्टवेर तैयार करनेवाले व्यक्ति अधिक चार्ज वसूल करते हैं ।

(3) ग्राहक की आवश्यकता के अनुसार सोफ्टवेर (Tailor made Software): कितने ही ग्राहक अपनी आवश्यकता के अनुसार ऐसे सोफ्टवेर तैयार करवाते है । ग्राहक इसे अपनी आवश्यकता के अनुसार तैयार करने से यह बाजार में उपलब्ध नहीं होते । ऐसे सोफ्टवेर बनाने से पहले ग्राहक से विस्तारपूर्वक चर्चा की जाती है, उनकी आवश्यकताओं को समझा जाता है उसके बाद इसे तैयार किया जाता है । ग्राहकों की आवश्यकता के अनुसार तैयार होने से इसकी लागत खूब अधिक होती है, कारण कि यह विशेष प्रयत्नों द्वारा इसे तैयार किया जाता है । बाजार में ऐसे सोफ्टवेर तैयार करनेवाले अनेक व्यक्ति होते है जो ग्राहक की आवश्यकता के अनुसार ऐसे सोफ्टवेर तैयार करके देते है । हिसाबी सोफ्टवेर तैयार करते समय उसकी लागत, इकाई की आवश्यकता, उसमें परिवर्तन की संभावना, तालीम की आवश्यकता, सुरक्षा खर्च, डेटा हस्तांतरण की. सुविधा वगैरह ध्यान में लेना चाहिए ।

4. हिसाबी अहेवाल :
उत्तर :
अहेवाल अर्थात् संबंधित प्राप्त सूचनाओं को संक्षेप में संबंधित आवश्यकताओं को पूर्ण कर सके इस प्रकार प्रस्तुत करने को अहेवाल
कहते हैं । हिसाबी सोफ्टवेर द्वारा हिसाबी अहेवाल तैयार करने में सरलता रहती है । डेटा पर योग्य प्रक्रिया करके सूचनाओं को तैयार किया जाता है । हिसाबी अहेवाल की रचना संबंधित आवश्यकता को ध्यान में रखकर की जाती है । इसका उपयोग करनेवाले उपयोगकर्ता को निर्णय लेने की प्रक्रिया में ऐसे अहेवाल उपयोगी सिद्ध होते है । हिसाबी अहेवाल की गुणवत्ता उसकी. उपयोगिता, संक्षिप्तीकरण, समयसरता और रचना पर आधारित होती है । ऐसे हिसाबी अहेवाल तैयार करते समय उसका उद्देश्य उसमें शामिल होनेवाले विवरण पूर्णता और उसकी उपयोगिता को लक्ष्य में लेना चाहिए जिससे उसकी यथार्थता बनी रहे ।

हिसाबी अहेवाल के उदाहरण निम्न है :

  1. आर्थिक चिट्ठा
  2. लाभ-हानि का पत्रक
  3. लेनदार का अहेवाल
  4. रोकड प्रवाह का पत्रक
  5. उत्पादित प्रत्येक वस्तु के लिये लागत का अहेवाल
  6. देनदार का अहेवाल

5. हिसाबी सूचना पद्धति (Accounting Information System):
उत्तर :
हिसाबी सूचना पद्धति के द्वारा मौद्रिक व्यवहारों की कच्ची सूचना को इस प्रकार तैयार किया जाये जिससे इकाई के आंतरिक निर्णय लेने में तथा इकाई से जुड़े बाहरी पक्षकारों को उपयोगी हो सके । हिसाबी सूचना पद्धति के द्वारा दी जानेवाली सूचनाएँ संचालकों के लिये धंधे के संचालन के लिये खूब ही महत्त्व की होती है । हिसाबी सूचना पद्धति यह संचालन सूचना प्रक्रिया [Management Information System (MIS)] का एक भाग है । इसका उद्देश्य ऐसी सूचना देना है जो इकाई को उसके निर्णय लेने में मददरूप हो सके ।

हिसाबी सूचना यह हिसाबी सूचना प्रक्रिया या पद्धति में से उत्पन्न होती है । जो मुद्रा के स्वरूप में होती है और उसमें इच्छा रखनेवाले व्यक्ति को निर्णय लेने में उपयोगी होता है । ऐसी कच्ची जानकारी को योग्य स्वरूप में प्रस्तुत किया जाये तब उपयोगी सूचना बनती है।

उपरोक्त चर्चा के आधार पर कहा जा सकता है कि हिसाबी सूचना पद्धति के द्वारा आंतरिक और बाहरी पक्षकारों को अलग-अलग हिसाबी जानकारी दी जाये तो निर्णय प्रक्रिया में उपयोगी सिद्ध होता है । हिसाबी सूचना पद्धति निम्न अनुसार हिसाबों से संबंधित अहेवाल या पत्रक स्वरूप में प्रस्तुत किया जा सकता है ।

ऐसे अहेवाल अलग-अलग उपयोगकर्ता के लिये आवश्यकता के अनुसार तैयार किये जा सकते है ।

  • लाभ-हानि का पत्रक तैयार करने से तीसरे पक्षकारों को धंधे के लाभ या हानि संबंधी जानकारी प्राप्त होती है । कंपनी के संचालक मंडल को कंपनी की लाभदायकता की परिस्थिति जानने की इच्छा हो तब हिसाबी सूचना अहेवाल में परिवर्तन करके इस प्रकार तैयार किया जा सकता है कि जिससे प्रत्येक विभाग की लाभ कमाने की शक्ति का ख्याल आ सकता है ।
  • आर्थिक चिट्ठा यह एक ऐसा पत्रक है जिसके द्वारा इकाई के बाहरी और आंतरिक पक्षकार उपयोगी सूचना प्राप्त करने के लिये उपयोग करते है और प्रत्येक विभाग की संपत्ति और दायित्व की परिस्थिति का ख्याल आता है ।
  • देनदारों के अहेवाल से इकाई की आवश्यकता के अनुसार देनदार या ग्राहक संबंधी जानकारी दी जा सकती है । किस देनदार से कितना लेना, समय पर राशि चुकानेवाले ग्राहकों की यादी तमाम सूचनाओं को प्राप्त किया जा सकता है ।
  • लेनदारों के अहेवाल के द्वारा इकाई आवश्यकता के अनुसार लेनदार या माल पूरा करनेवाले संबंधी जानकारी दे सकती है । प्रत्येक सूचना उपयोगकर्ता को ध्यान में रखकर दी जाती है ।

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प्रश्न 2.
हिसाबी सोफ्टवेर अन्य सूचना संचार की पद्धति के साथ सूचना की लेन-देन या हस्तांतरण की सुविधा किस प्रकार देता है ?
उत्तर :
हिसाबी सोफ्टवेर में अन्य सूचना संचार की पद्धति के साथ सूचना की लेन-देन या हस्तांतरण की सुविधा होनी चाहिए । ऐसे हस्तांतरण
की सुविधा से समय और मुद्रा की बचत होती है । जैसे : हिसाबी सोफ्टवेर में दी गई सूचना अगर ई-मेल के द्वारा सोफ्टवेर में से सीधे ही भेजी जा सके तब समय और मुद्रा की बचत होती है । अगर सोफ्टवेर में ऐसी सुविधा उपलब्ध न हो तब सभी सूचनाओं को लिखना या टाईप करना पड़ता है और उसके बाद उसे ई-मेल द्वारा भेजा जा सकता है । टेली सोफ्टवेर में निम्न सूचना की लेन-देन की सुविधाएँ उपलब्ध है :

  1. हिसाबी सूचना ई-मेल द्वारा भेजी जा सकती है ।
  2. हिसाबी सूचना या पत्रकों की निकास हो सकती है ।
    जैसे : आर्थिक चिट्ठा को एकसेल शीट (Excel Sheet) में हस्तांतरित किया जा सकता है ।
  3. इन्टरनेट के उपयोग के द्वारा किसी भी स्थल पर, किसी भी समय हिसाब संबंधी सूचनाओं को देखकर, आवश्यक लगे तब उसमें परिवर्तन कर उसकी नकल भी की जा सकती है तथा प्रिन्ट निकाला जा सकता है ।
  4. हिसाबी सूचनाओं को अपलोड किया जा सकता है । जैसे : प्रत्येक बिक्री बिल के विवरण में VAT का रिटर्न भरने के लिये अपलोड किया जाये तब रिटर्न भरना खूब ही सरल हो जाता है ।

प्रश्न 3.
कम्प्यूटर हिसाबी पद्धति के लाभ बताइए ।
उत्तर :
कम्प्यूटर हिसाबी पद्धति के लाभ निम्न है :

  1. आवश्यकता के अनुसार सूचना में परिवर्तन किया जा सकता है ।
  2. हिसाब रखने का खर्च कम किया जा सकता है ।
  3. कानूनी प्रावधानों का पालन सरलता से किया जा सकता है ।
  4. अलग-अलग हिसाबी सूचना त्वरित गति से प्राप्त की जा सकती है ।
  5. सूचना की लेन-देन या हस्तांतरण आसानी से किया जा सकता है ।
  6. सूचना या अहेवाल आसानी से अपलोड किये जा सकते है ।
  7. गबन या धोखाधड़ी की संभावना कम हो जाती है ।
  8. भूल होने की संभावना कम हो जाती है ।
  9. किसी भी स्थल पर और किसी भी समय हिसाबी सूचना आसानी से प्राप्त की जा सकती है ।
  10. हिसाबी सूचनाएँ एक छोटी हार्डडिस्क में संग्रहित हो सकती है ।
  11. सूचना में विश्वसनीयता बढ़ती है ।
  12. इकाई अपनी आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग हिसाबी अहेवाल तैयार कर सकती है ।

प्रश्न 4.
कम्प्यूटर हिसाबी पद्धति की मर्यादाएँ बताइए ।
उत्तर :
कम्प्यूटर हिसाबी पद्धति की मर्यादाएँ निम्न है :

  • कम्प्यूटर हार्डवेर और सोफ्टवेर की पसंदगी इकाई की आवश्यकता को ध्यान में लेकर न किया जाये तब उसमें लगाई गई राशि का पूरा मुआवजा प्राप्त नहीं हो सकता ।
  • कम्प्यूटर का उपयोग बढ़ने से बेरोजगारी को प्रोत्साहन मिलता है । हाथों के द्वारा लिख्ने जानेवाले हिसाबों में जितने व्यक्तियों की आवश्यकता होती है उससे काफी कम व्यक्तियों की इसमें आवश्यकता होती है, जिससे विरोध की संभावनाएँ बढ़ जाती है ।
  • कम्प्यूटर हिसाबी पद्धति के लिये अगर कुशल व्यक्ति न मिले तब उसका पूरा लाभ नहीं उठाया जा सकता ।
  • कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग अगर क्षतियुक्त हो तो वह सही जानकारी नहीं देते ।
  • यंत्र का जिस प्रकार प्रोग्रामिंग स्थापित किया गया हो वह उसी प्रकार कार्य करेंगे । अगर कोई ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो जिसमें प्रोग्रामिंग में परिवर्तन करना हो तब कार्य रोककर प्रोग्रामिंग में परिवर्तन करना पड़ता है । इसके लिये अतिरिक्त खर्च करने पड़ते है ।
  • कम्प्यूटर हार्डवेर और सोफ्टवेर में लगातार परिवर्तन होते जा रहे है । इसलिये अगर पुरानी टेक्नोलॉजी में विनियोग किया जाये तो उसे बारंबार बदलने का खर्च करना पड़ता है ।
  • कितनी बार कम्प्यूटर सिस्टम क्रेश हो जाये तब उसमें संग्रहित जानकारी का नाश हो जाता है और वर्षों से संग्रहित जानकारी नष्ट हो जाती है ।
  • कम्प्यूटर हिसाबी पद्धति द्वारा सूचनाओं का आसानी से परिवर्तन किया जा सकता है । इसमें त्वरितता से सूचना में गोटाला करके अलग-अलग पक्षकारों को अलग-अलग सूचनाएँ देने की संभावनाएँ रहती है ।
  • सायबर क्राइम के इस युग में कम्प्यूटर में से सूचनाओं की चोरी होने की संभावनाएँ ज्यादा रहती है ।
  • कम्प्यूटर खुद कोई निर्णय नहीं लेता, परंतु उसमें संग्रहित की गई जानकारी के आधार पर वह निर्णय लेता है । अगर सूचना गलत हुई तो कम्प्यूटर द्वारा निर्णय भी गलत दिये जाने की संभावना है ।

प्रश्न 5.
हिसाब तैयार करने की प्रणालिकागत पद्धति और कम्प्यूटर आधारित हिसाबी पद्धति के बीच अंतर बताओ ।
उत्तर :
हिसाब तैयार करने की प्रणालिकागत पद्धति और कम्प्यूटर आधारित हिसाबी पद्धति की तुलना :
(Comparison between Conventional Accounting Method and Computer Accounting Method) :

अंतर के मुद्दे प्रणालिकागत पद्धति कम्प्यूटर आधारित हिसाबी पद्धति
1. व्यवहारों का लेखा इस पद्धति में रोजनामचा, सहायक बहियाँ जैसी बहियों में खुद ही व्यवहार का लेखा किया जाता है । इस पद्धति में व्यवहारों का लेखा कम्प्यूटर और टेली जैसे सोफ्टवेर की मदद से किया जाता है ।
2. खतौनी इस पद्धति में लिखे गये सभी व्यवहारों की खतौनी स्वयं करनी पड़ती है । इस पद्धति में हिसाबी सोफ्टवेर के द्वारा व्यवहारों पर प्रक्रिया करने के बाद अपने आप खतौनी हो जाती है ।
3. सकल तलपट इसमें सभी व्यवहारों की खतौनी के बाद खातों की शेष पर से सकल तलपट तैयार की जाती है । इसमें सभी व्यवहारों की खतौनी के बाद हिसाबी सोफ्टवेर की मदद से अपने आप सकल तलपट तैयार हो जाती है ।
4. भूल होने की संभावना इस पद्धति में मनुष्य स्वयं अपने हाथों से हिसाब तैयार करने से मनुष्य सर्जित भूल होने की संभावना अधिक होती है । इस पद्धति में हिसाब सोफ्टवेर की मदद से तैयार होने से भूल होने की संभावना कम रहती है, कारण कि सोफ्टवेर पर अंकुश रहता है ।
5. प्रारंभिक शेष का लेखा इसमें प्रत्येक वर्ष पूरा होने के बाद प्रारंभिक शेष को नये वर्ष में आगे ले जाना पड़ता है । हिसाबी सोफ्टवेर स्वयं संचालित होने से वह इन शेषों को संग्रहित रखने से नये वर्ष में शेष आगे ले जाने की आवश्यकता नहीं रहती ।
6. भूल सुधार इसमें भूलों को सुधारने के लिये अलग लेखा करना पड़ता है और विपरीत असर देकर ही भूलों को सुधारा जा सकता है । इसमें हिसाबी सोफ्टवेर की मदद से किसी भी भूल को सुधारा जा सकता है, या रद्द किया जा सकता है । अलग से भूलसुधार प्रविष्टी लिखनी जरूरी नहीं है ।
7. वित्तीय पत्रक लाभ-हानि खाता, आर्थिक चिट्ठा और रोकड़ प्रवाह के पत्रक जैसे वित्तीय पत्रक सकल तलपट और समायोजन के आधार पर स्वयं तैयार करने पड़ते है। इसमें हिसाबी सोफ्टवेर की मदद से स्वयं संचालित रूप से समायोजन का लेखा करने के बाद ऐसे वित्तीय पत्रक तैयार हो जाते है ।

प्रश्न 6.
अति संक्षिप्त प्रश्न :

1. बाजार में मिलनेवाले कितने ही तैयार उपलब्ध हिसाबी सोफ्टवेर के नाम बताओ ।
उत्तर :
बाजार में मिलनेवाले तैयार हिसाबी सोफ्टवेर निम्न है :

  1. टेली (Tally)
  2. टाटा ईएक्स (Tata Ex)
  3. बीझी (Busy)
  4. प्रोफेशनल एकाउन्ट (Professional Account)
  5. प्रोफिट (Profit)

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2. बाजार में मिलनेवाले तैयार हिसाबी सोफ्टवेर में कौन-सा सोफ्टवेर अधिक प्रचलित है ?
उत्तर :
बाजार में मिलनेवाले तैयार हिसाबी सोफ्टवेर में टेली (Tally) सोफ्टवेर सबसे अधिक प्रचलित है ।

3. प्रत्येक ग्राहक की आवश्यकता के अनुसार सोफ्टवेर अर्थात् क्या ?
उत्तर :
ग्राहक की संपूर्ण आवश्यकता को ध्यान में रखकर ऐसा सोफ्टवेर तैयार किया जाये जिसमें ग्राहक को आवश्यक ऐसी सूचना, सुविधा या पत्रक उसके द्वारा प्राप्त हो जाये । ऐसे सोफ्टवेर ग्राहक से चर्चा-विचारणा करके उनकी आवश्यकता के अनुसार तैयार किये जाते है ।

4. किसी भी चार खाताओं के समूह का नाम दीजिए ।
उत्तर :
खाताओं के समूह निम्न है :

  1. Bank Accounts
  2. Capital Account
  3. Fixed Assets
  4. Loans and Advances (Asset)

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