Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 11 Solutions Chapter 11 नीति के दोहे Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 11 Hindi Textbook Solutions Chapter 11 नीति के दोहे
GSEB Std 11 Hindi Digest नीति के दोहे Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
बिना पानी के सब कैसा होता है ?
(क) भयानक
(ग) व्याकुल
(घ) सुखा
उत्तर :
बिना पानी के सब सूना होता है।
प्रश्न 2.
वसंतऋतु का नाता किसके साथ है. ?
(क) मोर
(ख) आम
(ग) पिक
(घ) पपीहा
उत्तर :
वसंत ऋतु का नाता पिक के साथ है।
प्रश्न 3.
रहीम जिह्वा की तुलना किससे करते हैं ?
(क) पागल
(ख) जूती
(ग) पाताल
(घ) धरती
उत्तर :
रहीम जिह्वा की तुलना पागल से करते हैं।
प्रश्न 4.
रहीम के अनुसार पशु से बदतर कौन है ?
(क) जो तम देता है
(ख) जो मन देता है.
(ग) जो धन देता है.
(घ) जो कुछ नहीं देता है.
उत्तर :
रहीम के अनुसार पशु से नीचा वह है जो कुछ नहीं देता है।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
रहीम के अनुसरार बड़ा कौन है?
उत्तर :
रहीम के अनुसार बड़ा वह है, जो उसी तरह गरीबों का भला करे जैसे श्रीकृष्ण ने सुदामा का भला किया था।
प्रश्न 2.
रहीम दीप के दृष्टांत द्वारा क्या कहना चाहते हैं ?
उत्तर :
कवि दीप के दृष्टांत द्वारा यह कहना चाहते हैं कि दीपक के जलने पर घर में उजाला और उसके बढ़ने (बुझने) पर अंधेरा हो जाता है, उसी तरह बचपन में पुत्र परिवार को आनंदित करता है, पर बड़ा होकर कपूत निकलने पर वह कुल की प्रतिष्ठा नष्ट कर देता है।
प्रश्न 3.
कवि रहीम के अनुसार दीनबन्धु कौन है?
उत्तर :
कवि के अनुसार जो दीनों पर दया करता है, वह दीनबंधु अर्थात् ईश्वर के समान होता है।
प्रश्न 4.
रहीम ने किन लोगों को पशु से भी बदतर बताया है ?
उत्तर :
रहीम कहते हैं कि आवाज पर रीझकर हिरन अपना शरीर दे देता है, पर वे लोग पशु से भी बदतर है जो किसी पर रीझने के बावजूद उसे कुछ नहीं देते।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-दो वाक्यों में उत्तर दीजिए:
प्रश्न 1.
संगति का नतीजा कैसा होता है?
उत्तर :
कितना भी सुलझा हुआ आदमी क्यों न हो, पर उस पर संगति का प्रभाव पड़े बिना नहीं रह सकता। अच्छे व्यक्ति की संगति का असर अच्छा और बुरे व्यक्ति की संगति का असर बुरा होता है।
स्वाति नक्षत्र के जल का बड़ा महत्त्व है। पर वह भी जिसकी संगति करता है, उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। केले के पत्तों पर उसकी बूंदें पड़ती हैं, तो वे साधारण बूंद रहती हैं। साँप के मुंह में पड़ती हैं, तो जहर बन जाती हैं और सीप के मुंह में पड़ती हैं, तो मोती बन जाती हैं।
प्रश्न 2.
रहीम किन्हें. बड़ा आदमी कहते हैं?
उत्तर :
कवि रहीम गरीबों की भलाई करने पर जोर देते हैं। वे कहते हैं कि जो लोग गरीबों की भलाई का काम करते हैं, वे ही बड़े आदमी हैं।
प्रश्न 3.
रहीम जिह्वा को बावरी क्यों कहते हैं?
उत्तर :
बोलते समय जीभ अक्सर बहक जाती है और कभी-कभी कुछ-का-कुछ मुंह से निकल जाता है। इसके कारण वक्ता को कभी-कभी मार भी खानी पड़ जाती है। इसीलिए रहीम जिह्वा को बावरी कहते हैं।
प्रश्न 4.
कौआ और कोयल का भेद कब खुलता है. ?
उत्तर :
कौआ और कोयल शक्ल-सूरत और रंग-रूप में एक जैसे दिखाई देते हैं। उनका भेद तब खुलता है, जब वसंत ऋतु आती है और कोयल कुहू कुहू कर मीठे बोल बोलती है। तब पता चल जाता है कि उनमें से कोयल कौन है और कौआ कौन है?
4. भावार्थ स्पष्ट कीजिए:
प्रश्न 1.
पानी गए न कबरै, मोती, मानुष चून।
उत्तर :
कवि रहीम कहते हैं कि पानी का बहुत महत्त्व है। बिना पानी के न मोती प्राप्त किए जा सकते हैं, न मनुष्य जीवित रह सकता है और न चूना खाने के योग्य चूना बनता है।
(इस दोहे का एक अर्थ यह भी है कि मोती की चमक चले जाने पर मोती न मोती रहता है, इज्जत या तेज न रह जाने पर आदमी न आदमी रह जाता है और बिना पानी के चूना चूना नहीं रह जाता।)
प्रश्न 2.
ओछो काम बड़े करें, तौ न बड़ाई होय।
ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरधर कहै. न कोय ॥
उत्तर :
कवि रहीम कहते हैं कि यदि कोई छोटा या सामान्य व्यक्ति कोई बड़ा काम करता है, तो भी उसकी बड़ाई नहीं होती। उसी प्रकार जैसे हनुमानजी पहाड़ उठाकर लंका ले गए थे, फिर भी उन्हें कोई “गिरधर’, (‘कृष्ण’) नहीं कहता है।
प्रश्न 3.
बारे उजियारौ लगै, बढ़े अँधेरो होय॥
रहिमन जिह्वा बावरी, कहि गई सरग पताल।
उत्तर :
कवि रहीम कहते हैं कि दीपक के दो गुण होते हैं। एक तो यह कि उसे जलाने पर आसपास उजाला हो जाता है। दूसरा यह कि इसे बुझा देने पर हर ओर अंधेरा हो जाता है। कुपुत्र के बारे में भी इस पंक्ति का उपयोग किया गया है। अर्थात् पुत्र के पैदा होने पर परिवार में खुशी छा जाती है, पर ज्यों-ज्यों वह बड़ा होता जाता है, अपनी करतूतों से वह अपने कुल को कलंकित करता रहता है।
प्रश्न 4.
आपु तो कहि भीतर रही, जूती खात कपाल ।
उत्तर :
कवि रहीम हमें अपनी जबान पर काबू रखने के लिए कहते हैं। वे कहते हैं, जीभ तो पागल की भाँति होती है। बोलते समय वह काबू में नहीं रहती। वह उल्टा-सीधा जाने क्या-क्या बोल जाती है। वह खुद बोलकर तो मुंह के अंदर चली जाती है, पर इसका दंड भोगना पड़ता है सिर को। उसे जूते खाने पड़ते हैं।
GSEB Solutions Class 11 Hindi नीति के दोहे Important Questions and Answers
व्याकरण
समानार्थी शब्द लिखिए :
- कदली = केला
- भुजंग = साँप
- सून = शून्य
- पिक = कोयल
- दीनबंधु = ईश्वर, भगवान
- मृग = हिरन
- कपाल = माथा
- बावरी = पागल
विरुद्धार्थी शब्द लिखिए :
- गरीब × अमीर
- कपूत × सपूत
- बड़ाई × निंदा
- अधिक × कम
- पानी × आग
शब्दों में से प्रत्यय अलग कीजिए :
- महत्त्व – त्व
- उदारता – ता
- संगति – इ
- बडप्पन – पन
- बडाई – ई
- जीवित – इत
- आनंदित – इत
- कलंकित – इत
- खुशी – ई
शब्दों में से उपसर्ग अलग कीजिए :
- अनमोल – अन
- कपूत – क
- नालायक – ना
- प्रभाव – प्र
शब्दों के मानक शब्द रूप लिखिए :
- मानुष – मनुष्य
- जोग – योग
- गुन – गुण
- सरग – स्वर्ग
- आस – आशा
- सरवर – सरोवर
- पियास – प्यास
नीति के दोहे Summary in Gujarati
ભાવાત્મક અનુવાદ :
કવિ રહીમ કહે છે કે પાણી ખૂબ કીમતી વસ્તુ છે. આપણે પાણીની કદર કરવી જોઈએ. પાણી વિના બધું વ્યર્થ છે. પાણી વગર મોતી ઉત્પન્ન થઈ શકતું નથી અને મનુષ્ય જીવતો રહી શકતો નથી. પાણી વિના ખાવા(પાન વગેરેમાં)નો ચૂનો ચૂનો રહેતો નથી.
અહીં કવિએ પાણીનો બીજા અર્થમાં પ્રયોગ કર્યો છે. તેઓ કહે છે કે મનુષ્ય પોતાના તેજ, પોતાની ઇજ્જતને હંમેશાં સાચવી રાખવી જોઈએ. તેજ વિના કે ઇજ્જત વગર બધું વ્યર્થ છે. જે મોતીનું તેજ (ચમક) જતી રહે છે તે મોતી મોતી રહેતું નથી અને જે મનુષ્યની ઇજ્જત જતી રહે છે એ મનુષ્ય મનુષ્ય રહેતો નથી. એવી જ રીતે જે ચૂનાનું સત્ત્વ (પાણી) જતું રહે છે, તે ચૂનો કશા કામનો હોતો નથી. અર્થાત્ તેનું તેજ સમાપ્ત થઈ જાય છે.
કવિ રહીમ કહે છે કે જે મહાનુભાવ ગરીબોનું હિત કરે છે તે બહુ મહાન હોય છે. ગરીબ સુદામાં ભગવાન શ્રીકૃષ્ણની મિત્રતાને યોગ્ય ન હતા, પરંતુ શ્રીકૃષ્ણ ગરીબ સુદામા સાથે મિત્રતા નિભાવી. આનાથી શ્રીકૃષ્ણની મહાનતા સાબિત થાય છે.
કવિ રહીમ કહે છે કે સંગતિનો ખૂબ પ્રભાવ પડે છે. જેની સાથે આપણો સંબંધ હોય, તેના જેવો પ્રભાવ આપણા પર પડશે. રહીમ ઉદાહરણ આપતાં કહે છે કે સ્વાતિ નક્ષત્રમાં પાણીનું ટીપું તો એક જેવું હોય છે પણ તે કેળાનાં પાંદડાં પર પડે તો પાણીનું ટીપું જ રહે છે, સાપના મોંમાં પડે તો તે ઝેર બની જાય છે અને છીપમાં પડે તો મોતી બની જાય છે !
કવિ રહીમ કહે છે કે મનુષ્યના સદગુણો અને દુર્ગુણોનો પરિચય એની વાણીથી થાય છે. જ્યાં સુધી કાગડો અને કોયલ બોલે નહીં ત્યાં સુધી બને એક જેવાં દેખાય છે, પરંતુ જ્યારે વસંતઋતુમાં કોયલ મીઠા સ્વરમાં બોલે છે ત્યારે ખબર પડે છે કે કોણ કાગડો છે અને કોણ કોયલ?
કવિ રહીમ નાલાયક કુપુત્રની તુલના દીપક સાથે કરતાં કહે છે કે કુપુત્ર અને દીપક બંનેની હાલત એક જેવી હોય છે. દીપકને પ્રગટાવવામાં આવે, તો ચારે બાજુ પ્રકાશ ફેલાઈ જાય છે. જો તેને ઓલવી નાખવામાં આવે તો અંધારું છવાઈ જાય છે, એવી જ રીતે જ્યારે કોઈ બાળક જન્મ લે છે ત્યારે તેનું કુળ એના જન્મથી પ્રસન્ન થાય છે, પણ જેમ જેમ તે મોટે થાય છે ત્યારે ત્યારે પોતાનાં કૃત્યોથી કુળને લંક્તિ કરે છે..
કવિ રહીમ મોટી અને નાની વ્યક્તિઓ વિષે કહે છે કે જો કોઈ નાની વ્યક્તિ મોટું કામ કરે છે, તો એનું મહત્ત્વ ગણાતું નથી. એનું ઉદાહરણ આપતાં તેઓ કહે છે કે હનુમાનજીએ પહાડ ઉપાડ્યો હતો પણ તેમને કોઈ ‘ગિરિધર’ કહેતું નથી.
કવિ રહીમ કહે છે કે ગરીબ માણસ દરેકની સામે આશાભરી નજરે જુએ છે કે કદાચ ક્યાંકથી કંઈ મળી જાય, પરંતુ ગરીબની તરફ કોઈની નજર જતી નથી. કવિ રહીમ કહે છે કે જે વ્યક્તિ ગરીબ તરફ જુએ છે અર્થાત્ એની સહાયતા કરે છે, તે દીનદુખિયાનો મદદગાર એટલે ઈશ્વર સમાન હોય છે.
કવિ રહીમ કહે છે કે હરણ મધુર સ્વર પર પ્રસન્ન થઈને પોતાનો જીવ આપી દે છે. મનુષ્ય ધનપ્રાપ્તિ માટે પશુ કરતાંય વધારે પ્રસન્ન થાય છે, પણ આના કરતાં પણ તેને કંઈ પ્રાપ્ત થતું નથી.
કવિ રહીમ કહે છે કે મનુષ્ય પોતાની જીભ કાબૂમાં રાખવી જોઈએ, પરંતુ જીભ તો અક્કલ વગરની હોય છે. તે આડી-અવળી જાણે કેટલીય વાતો બોલતી રહે છે. જીભ તો કડવી વાત કહીને મોંની અંદર જતી રહે છે, પરંતુ તેનું માઠું પરિણામ માથાને ભોગવવું પડે છે, કારણ કે જીભે કરેલી કડવી વાતોને લીધે માથાને જોડાનો માર સહન કરવો પડે છે.
કવિ રહીમ કહે છે કે જેની પાસેથી કંઈ મળવાની ઉમ્મીદ હોય તેની જ આશા રાખવી જોઈએ. કોઈ સુકા તળાવ પર પાણી પીવા જવાથી શું મળવાનું છે? સૂકા સરોવર પાસે જળથી તરસ કેવી રીતે છિપાય?
नीति के दोहे Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
कवि रहीम नीतिशास्त्र में पारंगत थे। उनके नीतिपरक दोहों में उनकी सूक्ष्म दृष्टि की झलक मिलती है। प्रस्तुत दोहों में उन्होंने तेज और इज्जत के महत्त्व, गरीबों का हित करना, संगति का फल, वाणी का प्रभाव, योग्यता, बड़े-छोटे का भेद, गरीबी, कृपणता, जिहवा की विशेषता तथा उदारता आदि के बारे में अनमोल बातें कही हैं।
दोहों का सरल अर्थ :
रहिमन पानी …………. मानुष चून।।
कवि रहीम कहते हैं कि पानी बहुत मूल्यवान चीज है। हमें पानी की कद्र करनी चाहिए। वे कहते हैं कि बिना पानी के सब कुछ व्यर्थ है। बिना पानी के न मोती उत्पन्न हो सकता है, न मनुष्य जीवित रह सकता है और न (पान आदि में) खाया जानेवाला चूना चूना रह जाता है।
यहाँ कवि ने पानी को दूसरे अर्थ में भी लिया है। वे कहते हैं कि मनुष्य को अपने तेज अपनी इज्जत को हमेशा बनाए रखना चाहिए। बिना तेज, बिना इज्जत के सब कुछ व्यर्थ है। जिस मोती का तेज (चमक) चला जाता है वह मोती मोती नहीं रह जाता और जिस मनुष्य की इज्जत चली जाती है, वह मनुष्य मनुष्य नहीं रह जाता। इसी तरह जिस चूने का सत्त्व (पानी) चला जाता है। वह चूना भी किसी काम का नहीं रह जाता। अर्थात् इनका तेज समाप्त हो जाता है।
जे गरीब……….. मिताई जोग।।
कवि रहीम कहते हैं कि जो महानुभाव गरीबों का हित करते हैं, वे बहुत महान लोग होते हैं। गरीब सुदामा भगवान कृष्ण की मित्रता के योग्य नहीं थे, पर कृष्ण ने गरीब सुदामा से मित्रता निभाई। इससे कृष्ण की महानता साबित होती है।
कदली सी. ……. फल दीन।
रहीम कवि कहते हैं कि मनुष्य पर संगति का बड़ा प्रभाव पड़ता है। जिसके साथ आपका उठना-बैठना होगा, आप पर वैसा ही प्रभाव पड़ेगा। उदाहरण देते हुए वे कहते हैं कि स्वाति के नक्षत्र के पानी की बूंद तो एक जैसी ही होती है, पर वह केले के पेड़ पर पड़ती है, तो पानी की बूंद रह जाती है, साँप के मुँह में पड़ती है, तो वह जहर बन जाती है और जब वह सीप में पड़ जाती है, तो मोती बन जाती है।
दोनों रहिमन …………. वसंत के माहिं।।
कवि रहीम कहते हैं कि आदमी की अच्छाई और बुराई की पहचान उसकी वाणी से होती है। वे कहते हैं कि जब तक कौआ और कोयल बोलते नहीं, तब तक दोनों देखने में एक जैसे लगते हैं। मगर जब वसंत ऋतु में कोयल मीठे स्वर में बोलती है, तब पता चल जाता है कि कौन कौआ है और कौन कोयल?
जो रहीम गति … …. अंधेरो होय॥
कवि रहीम नालायक कुपुत्र की तुलना दीपक से करते हुए कहते हैं कि कुपुत्र और दीपक दोनों की हालत एक जैसी होती है। दीपक जला देने पर चारों ओर प्रकाश फैल जाता है। यदि उसे बुझा दिया जाए, तो अंधेरा छा जाता है। उसी प्रकार जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो उसका कुल इस जन्म से प्रफुल्लित हो उठता है। पर ज्यों-ज्यों वह बड़ा होता जाता है, त्यों-त्यों वह अपनी करतूतों से अपने कुल को कलंकित करता रहता है।
ओछो काम ……….. कहै न कोय॥
कवि रहीम बड़े और छोटे व्यक्तियों के बारे में बताते हुए कहते हैं कि यदि कोई छोटा व्यक्ति कोई बड़ा काम करता है, तो उसकी बड़ाई नहीं होती है। इसका उदाहरण देते हुए वे कहते हैं कि हनुमानजी ने भी पहाड़ उठाया था, पर उन्हें कोई गिरधर नहीं कहता।
दीन सबन………… सम होय॥
कवि रहीम कहते हैं कि गरीब व्यक्ति हर किसी की ओर आशाभरी नजरों से देखते हैं कि जाने कहाँ से कुछ मिल जाए। पर गरीब की ओर किसी की भी नजर नहीं जाती। रहीमजी कहते हैं कि जो व्यक्ति गरीबों की ओर देखता है, यानी उनकी सहायता करता है, वह दीन-दुखियों का सहायक यानी ईश्वर की भाँति होता है।
नाद रीझि ……….. कछु न देत॥
कवि रहीम कहते हैं कि हिरन मधुर आवाज पर रीझ कर अपनी जान दे देता है। पुरुष धनप्राप्ति के लिए पशु से भी अधिक रीझता है, पर इतना करने पर भी उसे कुछ भी प्राप्त नहीं होता।
रहिमन जिह्वा …………. खात कपाल॥
कवि रहीम कहते हैं कि मनुष्य को अपनी जिहवा को वश रखना चाहिए, वरना जिहवा तो बावली होती है। वह इधर-उधर की
जाने क्या-क्या बातें बकती रहती है। जीभ तो कड़वी बातें कहकर मुंह के भीतर चली जाती है, पर उसका बुरा परिणाम सिर को भोगना पड़ता है। क्योंकि जीभ की कही हुई कड़वी बातों के लिए जूते सिर को सहने पड़ते हैं।
तासों ही कुछ ……….. पियास।
कवि रहीम कहते हैं, जिससे कुछ मिलने की उम्मीद हो, उसी की आशा करनी चाहिए। किसी खाली सरोवर पर पानी पीने के लिए जाने से क्या मिलनेवाला है? खाली सरोवर के पास जाने से प्यास कैसे बुझेगी?
नीति के दोहे शब्दार्थ :
- पानी – जल।
- पानी – इज्जत, तेज।
- ऊबर – बचे।
- सून – शून्य, सूना।
- चून – चूना।
- हित – भला, मित्र।
- बड़ – महान।
- बापुरो – दीन-हीन, बेचारा ।
- जोग – योग्य।
- कदली – केला।
- सीप – सीपी।
- भुजंग – साप।
- स्वाति – स्वाति नक्षत्र।
- गुन – गुण।
- संगति – साथ।
- तैसो – वैसा।
- जौ-लौं – जब तक।
- जानि परत – जान पड़ना।
- पिक – कोयल।
- माँहिं – में।
- गति – दशा।
- दीप – दीपक।
- कपूत – बुरी चाल-चलनवाला पुत्र, कुपुत्र।
- सोय – वही।
- बारे – जलाने पर।
- बढ़े – बुझने पर।
- बढ़े – बढ़ना।
- ओछो – छोटा।
- बड़ाई – बड़प्पन।
- गिरधर – भगवान कृष्ण।
- लखत – देखते हैं।
- दीनबंधु – भगवान, गरीबों के भाई।
- नाद – आवाज।
- रीझि – मोहित होना, खुश होना।
- हेत – हेतु के लिए।
- जिहवा – जीभ।
- बावरी – पगली।
- सरग-पताल – उल्टा-सीधा।
- आपु – खुद, स्वयं।
- केपाल – सिर।
- तासों – उसी से।
- जाकी – जिसकी।
- आस – आशा।
- रीते – खाली, सूखे।
- पियास – प्यास।