GSEB Solutions Class 11 Sanskrit Chapter 19 होलिकोत्सवः

Gujarat Board GSEB Solutions Class 11 Sanskrit Chapter 19 होलिकोत्सवः Textbook Exercise Questions and Answers, Notes Pdf.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Sanskrit Chapter 19 होलिकोत्सवः

GSEB Solutions Class 11 Sanskrit होलिकोत्सवः Textbook Questions and Answers

होलिकोत्सवः Exercise

1. अधोलिखितानां प्रश्नानां समुचितम् उत्तरं चित्वा लिखत :

પ્રશ્ન 1.
हिरण्यकशिपुनामकस्य दैत्यस्य पुत्रः कः आसीत् ?
(क) प्रह्लादः
(ख) ध्रुवः
(ग) कश्यपः
(घ) वेनः
उत्तर :
(क) प्रह्लादः

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પ્રશ્ન 2.
प्रहलादं मारयितुं हिरण्यकशिपुः कां प्रेरयत् ?
(क) पूर्णिमाम्
(ख) होलिकाम्
(ग) मातरम्
(घ) देवीम्
उत्तर :
(ख) होलिकाम्

પ્રશ્ન 3.
भारते जनाः प्रायः कतिवारं कृषिं कुर्वन्ति ?
(क) एकवारम्
(ख) द्विवारम्
(ग) त्रिवारम्
(घ) चतुर्वारम्
उत्तर :
(ख) द्विवारम्

પ્રશ્ન 4.
होलकं जनाः कस्मै समर्पयन्ति ?
(क) गणेशाय
(ख) शिवाय
(ग) अग्निदेवाय
(घ) विष्णवे
उत्तर :
(ग) अग्निदेवाय

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2. अधोलिखितानां प्रश्नानां संक्षेपत: उत्तरं लिखत :

પ્રશ્ન 1.
होलिकोत्सवः कदा आयाति ?
उत्तर :
फाल्गुनमासस्य पूर्णिमायां तिथौ होलिकोत्सवः आयाति।

પ્રશ્ન 2.
होलिका नाम स्त्री कस्य भगिनी आसीत् ?
उत्तर :
होलिका नाम स्त्री हिरण्यकशिपोः असुरराजस्य भगिनी।

પ્રશ્ન 3.
प्रह्लादम् अङ्के स्थापयित्वा होलिका कदा अग्नौ प्राविशत् ?
उत्तर :
फाल्गुनमासस्य पूर्णिमायां तिथौ नवसस्येष्टौ होलिका प्रह्लादम् अङ्के स्थापयित्वा अग्नौ उपाविशत्।

પ્રશ્ન 4.
अस्माकं देश: कीदृशः वर्तते ?
उत्तर :
अस्माकं देश: कृषिप्रधानः वर्तते।

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પ્રશ્ન 5.
होलकं जनाः प्रथमं कस्मै समर्पयन्ति ?
उत्तर :
होलकजनाः प्रथमं अग्निदेवाय समर्पयन्ति।

3. Write answers of the following questions in your mother-tongue :

Question 1.
How is the character of Prahlada related to the festival of Holi?
उत्तर :
होलिकोत्सव का प्रारंभ होलिका दहन से संबद्ध है। असुर राज हिरण्यकशिपु की बहन उसके भक्त-पुत्र प्रह्लाद को मारने के लिए उसे गोद में लेकर अग्नि में प्रवेश करती है किन्तु भगवान की कृपा-दृष्टि से भक्त प्रह्लाद अग्नि से सुरक्षित रहते हैं पर उनकी बूआ होलिका अग्नि में जल जाती है।

तब से भक्त-जन भक्त प्रह्लाद के अग्नि में सुरक्षित रहने पर प्रसन्नता अभिव्यक्त करते हुए आज भी होलिकोत्सव का आयोजन करते हैं।

Question 2.
How did Prahlada behave and who did not like that?
उत्तर :
प्रह्लाद परमेश्वर का ध्यान करते हुए भक्तिमय व्यवहार करता था तथा वह उसके पिता असुरराज हिरण्यकशिपु को अच्छा नहीं लगता था।

Question 3.
What did holika do, under whose inspiration on the full moon night of the month of ‘Fagun’ (Hindu calendar)?
उत्तर :
फाल्गुन माह की पूर्णिमा को होलिका ने अपने भ्राता असुरराज हिरण्यकशिपु की प्रेरणा से उसके पुत्र – भगवान के परं भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए अग्नि में प्रवेश किया।

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Question 4.
How is Holak useful for health ?
उत्तर :
आयुर्वेद की दृष्टि से होलक मेद-कफ-दोष एवं श्रम को नष्ट करता है। इस प्रकार यह स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है।

4. Write an analytical note on:

(1) Navasasyeshtis (नवसस्येष्टि)
(नए धान से होनेवाला यज्ञ) यह एक प्रकार का यज्ञ है। नए पके हुए अन्न का उपयोग हम स्वयं के लिए करें उसके पूर्व देवताओं को वह नवान्न समर्पित करने हेतु इस यज्ञ का आयोजन किया जाता है। नवसस्यस्य निमित्ता इष्टिः नवसस्येष्टिः। एक वर्ष में इस प्रकार के यज्ञ दो बार करने की परंपरा है।

उनमें से एक शरद ऋतु में तथा दूसरा वसन्त ऋतु में होता है। शरद ऋतु में नवसस्येष्टि को शरदीय नवसस्येष्टि के रूप में पहचाना जाता है। वर्तमान समय में यह पर्व दीपावली के रूप में मनाया जाता है। वसंत ऋतु में मनाए जानेवाले इस नवसस्येष्टि को वासन्तिकसस्येष्टि: के रूप में पहचाना जाता है।

वर्तमान में होली के रूप में हम इस पर्व को मनाते हैं।

(2) Holak (होलक)
यह अन्न का एक प्रकार है। शमी एवं शूक धान्य के ताजा एवं रसयुक्त दानों को हलकी अग्नि में सेककर जो प्राप्त होता है, उस अन्न को होलक कहा जाता है। वसंत ऋतु में कफजन्य रोगों का उपद्रव अत्यधिक होता है इस स्थिति में कफ का शमन करने हेतु होलक – अन्न का सेवन किया जाना चाहिए।

(3) Bhavprakash (भावप्रकाश:)
यह आयुर्वेद का एक सुप्रसिद्ध ग्रन्थ है। इसके रचयिता भाव मिश्र का कालखंड ई.स. सोलहवीं शताब्दी माना जाता है। इस ग्रन्थ में आयुर्वेद के अष्टांग (काय चिकित्सा, बाल चिकित्सा, ग्रहचिकित्सा, ऊर्ध्वाङ्ग चिकित्सा, शल्य चिकित्सा, दौष्ट चिकित्सा (विषतन्त्र), जरा चिकित्सा (रसायन) एवं वृशचिकित्सा (वाजीकरण) की चर्चा की गई है।

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5. Write a critical note on:

1. Holikotsav – Festival of Holi

होलिकोत्सव :
फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाए जानेवाले इस पर्व के दो स्वरूप है – होलिकाया: उत्सवः एवं होलिकानाम् उत्सवः। प्रथम वाक्यानुसार हिरण्यकशिपु की बहन होलिका के द्वारा भक्त प्रह्लाद को मारने की घटना का सूचन होता है तथा द्वितीय वाक्यानुसार होलक नामक अन्न के द्वारा किए जानेवाले नवसस्येष्टि कर्म का सूचन होता है।

द्वितीय वाक्य जिस घटना का सूचन करता है वह प्राचीन है, तथा प्रथम वाक्यानुसार जिस घटना का सूचन होता है, वह अपेक्षाकृत अर्वाचीन है।

Sanskrit Digest Std 11 GSEB होलिकोत्सवः Additional Questions and Answers

होलिकोत्सवः स्वाध्याय

1. अधोलिखितानां प्रश्नानां समुचितम् उत्तरं चित्वां लिखत।

પ્રશ્ન 1.
अग्निरक्षिता मायाविनी का आसीत् ?
(क) होलिका
(ख) पूर्णिमा
(ग) अमावस्या
(घ) शकुन्तला
उत्तर :
(क) होलिका

પ્રશ્ન 2.
फाल्गुनमासस्य पूर्णिमायां का उत्सवः भवति ?
(क) दीपावली
(ख) गणेशोत्सवः
(ग) संस्कृतोत्सवः
(घ) होलिकोत्सवः
उत्तर :
(घ) होलिकोत्सवः

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પ્રશ્ન 3.
होलिका कस्य भगिनी ?
(क) प्रह्लादस्य
(ख) वेनस्य
(ग) हिरण्यकशिपोः
(घ) ध्रुवस्य
उत्तर :
(ग) हिरण्यकशिपोः

પ્રશ્ન 4.
फाल्गुनमासस्य पूर्णिमायां तिथौ जनाः किं कुर्वन्ति स्म ?
(क) दीपप्रज्ज्वलनम्
(ख) नवसस्येष्टिम्
(ग) रक्षाबन्धनम्
(घ) क्रीडाम्
उत्तर :
(ख) नवसस्येष्टिम्

પ્રશ્ન 5.
अस्माकं देशः कीदृशः वर्तते ?
(क) कृषिप्रधानः
(ख) धनप्रधानः
(ग) व्यवसायप्रधानः
(घ) राजतन्त्रप्रधानः
उत्तर :
(क) कृषिप्रधानः

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પ્રશ્ન 6.
भावप्रकाश: कस्य विषयस्य ग्रन्था ?
(क) आयुर्वेदस्य
(ख) साहित्यस्य
(ग) सङ्गीतस्य
(घ) कर्मकाण्डस्य
उत्तर :
(क) आयुर्वेदस्य

2. अधोलिखितानां प्रश्नानां संक्षेपत: उत्तरं लिखत।

પ્રશ્ન 1.
भावप्रकाशनामके ग्रन्थे किं कथितम् ?
उत्तर :
भावप्रकाशनामके ग्रन्थे कथितमस्ति यत् होलकोऽल्पानलो मेद-कफ-दोषश्रमापहः।

પ્રશ્ન 2.
होलक: किम् अस्ति ?
उत्तर :
होलक: तृणाग्निभ्रष्टम् अर्धपक्वं शमी धान्यं भवति।

પ્રશ્ન 3.
नवसस्येष्टिः नाम किम् ?
उत्तर :
नवैः सस्यैः क्रियमाणा इष्टिः नवसस्येष्टिः कथ्यते।

પ્રશ્ન 4.
अस्माकं देशे जना: कतिवारं कृषिं कुर्वन्ति ? च जना: कदा कृषि कुर्वन्ति ?
उत्तर :
अस्माकं देशे जनाः द्विवारं कृषि कुर्वन्ति। वर्षायां तथा शरदि।

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પ્રશ્ન 5.
जना: प्राचीनकालादेव फाल्गुनमासस्य पूर्णिमायां तिथौ किं कुर्वन्ति स्म ?
उत्तर :
जनाः प्राचीनकालादेव फाल्गुनमासस्य पूर्णिमायां तिथौ नवसस्येष्टिं कुर्वन्ति स्म।

પ્રશ્ન 6.
शरदि कृतायाः कृषे: फलं प्राय: कदा प्राप्यते ?
उत्तर :
शरदि कृतायाः कृषेः फलं प्राय: फाल्गुनमासे प्राप्यते।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर मातभाषा में लिखिए।

પ્રશ્ન 1.
हिरण्यकशिपु अपने पुत्र को क्यों मारना चाहते थे ?
उत्तर :
हिरण्यकशिपु असुरों के राजा थे, किन्तु उनका पुत्र प्रह्लाद भक्त था। वह ईश्वर का ध्यान करते हुए भक्तिमय व्यवहार करता था। भक्त प्रह्लाद का यह व्यवहार भक्ति के शत्रु हिरण्यकशिपु को अच्छा नहीं लगता था अतः अपने पुत्र प्रह्लाद को मारना चाहते थे।

પ્રશ્ન 2.
होलिका ने प्रह्लाद को अग्नि में जलाने के लिए फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि का चयन क्यों किया ?
उत्तर :
होलिका ने प्रह्लाद को अग्नि में जलाने के लिए फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि का चयन किया क्योंकि लोग प्राचीनकाल से ही इस दिन नवसस्येष्टि करते थे। अत: उस नवसस्येष्टि में होलिका ने प्रह्लाद को लेकर अग्नि में प्रवेश किया।

4. निम्न शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. भगिनी = सहोदरा, स्वसा
  2. अद्यत्वे = सम्प्रति, इदानीम् – साम्प्रतम्,
  3. दैत्यः = असुरः, दितिसुतः

5. निम्न शब्दों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।

1. भक्तिमय: –
भक्तिमयम् शब्द का तात्पर्य है भक्ति से पूर्ण-भक्ति से भरा हुआ या भक्ति से युक्त। मय शब्द का अर्थ है युक्त, पूर्ण – (भरा हुआ) या बना हुआ – यथा – हिरण्मय अर्थ हिरण्य – स्वर्ण से निर्मित (बना हुआ)।

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2. गुरुचरणा: –
गुरुचरणाः शब्द का प्रयोग गुरुजनों के प्रति अत्यधिक आदर प्रदर्शित करने हेतु किया जाता है। संस्कृत भाषा में सम्मान प्रदर्शित करने हेतु कुछ शब्दों के पश्चात् चरण या पाद शब्द का प्रयोग किया जाता है। यथा – पितृपादाः, मातृचरणाः ‘आदि।

3. अनुगृहीतः –
संस्कृत भाषा में आभारी होने या धन्यवाद ज्ञापन हेतु शिष्टाचार के रूप में इस शब्द का प्रयोग किया जाता है। – अनु उपसर्गपूर्वक, ग्रह धातु के पश्चात् क्त कर्मणि भूत कृदन्त के प्रयोग से यह शब्द निष्पन्न हुआ है।

क्त – कर्मणि भूत कृदन्त के प्रयोग में प्राय: त के पूर्व ह्रस्व इकार की मात्रा ही होती है किन्तु अनुगृहीतः शब्द के साथ दीर्घ ईकार का प्रयोग होता है।

होलिकोत्सवः Summary in Hindi

होलिकोत्सवः सन्दर्भ

उत्सव अर्थात् आनंद का अवसर। विपुल साधन-समृद्धि से युक्त मानव के जीवन में कदाचित् प्रतिदिन उत्सव का वातावरण हो, परंतु जीवन के सामान्य दिनों में साधन-सामग्री के अभाव में संघर्षमय जीवन-यापन कर रहे मानव के लिए उत्सव का दिन विशिष्ट हो जाता है। क्योंकि उत्सव के दिन वह मानव अपने सामान्य जीवन को विस्मृत कर विशिष्ट आनंद की अनुभूति करता है। इस प्रकार मानव मात्र के लिए उत्सव आनन्ददायक बन जाता है।

उत्सव मनाने के लिए आचार-विचार निर्धारित है। प्रत्येक उत्सव के अवसर पर मात्र व्यक्तिगत आनंद-प्राप्ति के स्थान पर सभी की सामूहिक रूप से आनंदानुभूति के लिए व्यवस्था का आयोजन किया जाता है।

इस व्यवस्था से साधनाभाव से पीडित व्यक्ति भी उत्सव के आनंद का सहभागी बन सकता है। होलिकोत्सव में भी इस प्रकार की व्यवस्था का आयोजन किया जाता है। प्रस्तुत संपादित पाठ में गुरु-शिष्य का संवाद है। इस संवाद में होलिकोत्सव एवं होली के पारंपरिक इतिहास का परिचय केन्द्रस्थ है।

उत्सव के आयोजन में मात्र व्यक्तिगत आनंद की प्राप्ति का उद्देश्य नहीं होता है, परंतु आनंद के साथ-साथ दान एवं तप का अवसर भी प्राप्त होता है। इस प्रकार उत्सव को मानवीय जीवन के उत्कर्ष को सिद्ध करने के साधन के रूप में भी देखना चाहिए।

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शब्दार्थ :
आयाति = आता है – आ + या – वर्तमानकाल, अन्य पुरुष, एकवचन। भगिनी = बहन। कृतम् = किया, कृ धातु + क्त – कर्मणि भूतकृदन्त। नामतः = नाम से – (अव्यय)। श्रूयते = (इस प्रकार) सुना जाता है। – श्रु धातु (कर्मणि प्रयोग) वर्तमान काल, अन्य पुरुष, एकवचन। आसीत् = था – अस् धातु, ह्यस्तन भूतकाल, अन्य पुरुष, एकवचन। ध्यायन् = ध्यान करता हुआ – ध्यै – ध्या + शतृ – वर्तमान कृदन्त। भक्तिमयम् – भक्तिपूर्ण – यहाँ भक्ति शब्द, पूर्ण भरा हुआ – अर्थ में मय प्रत्यय से युक्त होता है। कई स्थानों पर मय प्रत्यय ‘बना हुआ’ अर्थ में प्रयुक्त होता है।

यथा हिरण्मय अर्थात् सोने से बना हुआ। भक्तिशत्रवे = भक्ति के शत्रु के लिए – भक्तेः शत्रुः – षष्ठी विभक्ति। रोचते स्म = अच्छा लगता था – रूच् – धातु + लट् लकार – अन्य पुरुष, एकवचन + स्म। अनेकधा = अनेकबार – अव्यय पद। परमेश्वररक्षित: = परमेश्वर के द्वारा रक्षित – परमेश्वरेण रक्षितः – तृतीया तत्पुरुष। गत: = गया हुआ – गम् धातु + क्त – कर्मणि भूतकृदन्त (प्राप्त हुआ)। अन्ते = अन्त में। दाहेन = दाह से – अग्नि की जलन से, अग्नि से, जलाने से। मायाविनीम् = मायाविनी को। स्वकीयाम् = स्वयं की। प्रेरयत् = प्रेरणा की, प्रेरित किया – प्र + इर् + ह्यस्तन भूतकाल, अन्य पुरुष, एकवचन। यतो हि = क्योंकि – अव्यय पद। अग्निरक्षिता = अग्नि से रक्षित – अग्निना रक्षिता।

सञ्जातम् = हुआ, बना – सम् + जन् + क्त – कर्मणि भूतकृदन्त। एकदा = एक बार – अव्यय। अके = गोद में। स्थापयित्वा = रखकर, बैठाकर, स्थापित करके। प्राविशत् = प्रविष्ट हुई, प्रवेश किया – प्र + विश् + ह्यस्तन भूतकाल, अन्य पुरुष, एकवचन। दग्धा = जल गई – दह् + क्त + आ कर्मणि भूत कृदन्त। अतिष्ठत् = खड़ा रहा – स्था – तिष्ठ – ह्यस्तन भूतकाल, अन्य पुरुष, एकवचन। ततः प्रभृति = तब से लेकर – अव्यय पद। अनुभावयन्ति = मनाते हैं, आयोजन करते हैं – अनु + भू + प्रेरक – अनुभावि – वर्तमान काल, अन्य पुरुष, बहुवचन। सङ्कल्पिता = संकल्प किया हुआ, सोचा हुआ।

नवसस्येष्टिम् = नए सस्य – अन्न के द्वारा किया जानेवाला यज्ञ – नवं च तत् सस्यं – कर्मधारय समास – नवसस्येन इष्टिः = तृतीया तत्पुरुष समास।

उपाविशत् = बैठा – उप + विश् – ह्यस्तन भूतकाल, अन्य पुरुष, एकवचन। क्रियमाणा = किया जा रहा – कृ धातु + शानच् प्रत्यय – आन + आ – वर्तमान कृदन्त। अत्रत्या: = यहाँ रहनेवाले, यहाँ के। द्धि वारम् = दो बार। शरदि = शरद् ऋतु में – शरद् – स्त्रीलिंग – सप्तमी विभक्ति, एकवचन। प्राय: = हमेशा – अव्यय। प्राप्यते = प्राप्त किया जाता है – प्राप्त होता है – प्र + आप् – कर्मणि – वर्तमान काल, अन्य पुरुष, एकवचन। प्रथमम् = पहले।

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वितीर्य = वितरण करके – वि + तृ + ल्यप् – सम्बन्धक भूत कृदन्त। खोपभोगाय = स्वयं के उपयोग के लिए – स्वस्य उपभोगः तस्मै – षष्ठी तत्पुरुष समास। कल्पयन्ति = विचार करते हैं – सोचते हैं – कलुप् – वर्तमान काल, अन्य पुरुष, बहुवचन। तृणाग्निभृष्टम् = तिनके से जलता हुआ – अग्नि में सेका हुआ – तृणानाम् अग्नि: – षष्ठी तत्पुरुष समास। तृणाग्निना भृष्टम् तृतीया तत्पुरुष। अर्धपक्वम् = आधा पका हुआ। शमीधान्यम् = शमी अन्न को। अद्यत्वे

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