GSEB Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 1 सेक्रेटरी का अर्थ और प्रकार

Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 11 Commercial Correspondence and Secretarial Practice Chapter 1 सेक्रेटरी का अर्थ और प्रकार Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 1 सेक्रेटरी का अर्थ और प्रकार

GSEB Class 11 Secretarial Practice सेक्रेटरी का अर्थ और प्रकार Text Book Questions and Answers

स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिये गये विकल्पों से सही विकल्प पसन्द करके लिखिए ।

प्रश्न 1.
FICCI (फिक्की) का पूरा नाम क्या है ?
(A) Foreign Institute of Cricket Club of India
(B) Fedration of Internet Control and Chember of Commerce
(C) Fedration of Indian Chember of Commerce and Industry
(D) Fedration of Indian Chember of Commerce and India
उत्तर :
(C) Fedration of Indian Chember of Commerce and Industry

प्रश्न 2.
सहकारी समिति के सचिव के रूप में कौन होता है ?
(A) स्टाफ क्रेडिट को.ओ.सो. के सचिव
(B) मजदूर मण्डल के सचिव
(C) व्यापारी मण्डल के सचिव
(D) शैक्षणिक संस्था के सचिव
उत्तर :
(A) स्टाफ क्रेडिट को.ओ.सो. के सचिव

प्रश्न 3.
विभागीय सचिव के रूप में नियुक्ति किसकी की जाती है ?
(A) राजदूत कार्यालय के सचिव
(B) मण्डल के सचिव
(C) क्लब के सचिव
(D) उच्च/सनदी अधिकारी
उत्तर :
(D) उच्च/सनदी अधिकारी

प्रश्न 4.
लाभांश (Dividend) वितरण का कार्य कौन करता है ?
(A) कम्पनी के सामान्य सचिव
(B) कम्पनी का प्रशासकीय सचिव
(C) विद्यार्थी मण्डल के सचिव
(D) मजदूर मण्डल के सचिव
उत्तर :
(A) कम्पनी के सामान्य सचिव

प्रश्न 5.
कम्पनी सचिव ……………………………..
(A) कम्पनी और संचालक मण्डल के मध्य कडीरूप है ।
(B) इनकी आवश्यकता कम्पनी में नहीं होती ।
(C) अंशधारी नियुक्त करती है ।
(D) सरकार नियुक्त करती है ।
उत्तर :
(A) कम्पनी और संचालक मण्डल के मध्य कडीरूप है ।

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प्रश्न 6.
नये कम्पनी अधिनियम के अनुसार कम्पनी सचिव की नियुक्ति ………………………
(A) जब कम्पनी में हानि हो रही हो तब अनिवार्य बनती है ।
(B) जब भरपाई हुई पूँजी 5 करोड़ या उससे अधिक हो तब अनिवार्य हो जाती है ।
(C) कोई आवश्यकता नहीं होती ।
(D) शेयरधारक करते है ।
उत्तर :
(B) जब भरपाई हुई पूँजी 5 करोड़ या उससे अधिक हो तब अनिवार्य हो जाती है ।

प्रश्न 7.
गुप्त लेख रखनेवाला और पत्रव्यवहार करनेवाला अर्थात् ……………………………
(A) प्रबन्धक
(B) सहायक प्रबन्धक
(C) सेक्रेटरी (सचिव)
(D) व्यक्तिगत सलाहकार
उत्तर :
(C) सेक्रेटरी (सचिव)

प्रश्न 8.
दैनिक कार्यों के साथ ही प्रबन्धन करने के लिए विभिन्न संस्थाओं में ……………………………. का पद आवश्यक हो गया है ।
(A) लेखा अधिकारी
(B) निरीक्षक
(C) उप प्रबन्धक
(D) सेक्रेटरी
उत्तर :
(D) सेक्रेटरी

प्रश्न 9.
सचिव के प्रकार कितने है ?
(A) 2
(B) 4
(C) 6
(D) 10
उत्तर :
(C) 6

प्रश्न 10
निजी सेक्रेटरी को निजी या …………………………… सचिव के रूप में पहचाना जाता है ।
(A) गुप्त
(B) विभागीय
(C) मण्डल का
(D) राजकीय
उत्तर :
(A) गुप्त

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प्रश्न 11.
सेक्रेटरी यह किसका मूल शब्द है ?
(A) रोमन
(B) फ्रेन्च
(C) लेटिन
(D) अंग्रेजी एवं हिन्दी
उत्तर :
(C) लेटिन

प्रश्न 12.
ऐसे राजदूत जो अपने देश का वास्तविक दृष्टिबिंदु समझाते है और देश के हितों की रक्षा का कार्य करते है ऐसा सेक्रेटरी कहलाता । है।
(A) राजदूत कार्यालय का सेक्रेटरी
(B) विभागीय सेक्रेटरी
(C) निजी सेक्रेटरी
(D) सामान्य सेक्रेटरी
उत्तर :
(A) राजदूत कार्यालय का सेक्रेटरी

प्रश्न 13.
ऐसा व्यक्ति या वे अन्य व्यक्ति, मण्डली, निगम या सार्वजनिक संस्थाओं के लिए निजी रहस्यों की रक्षा करे, पत्रव्यवहार करे, इसी प्रकार के दस्तावेजों, अनुबन्ध आदि रिकार्ड की देखभाल करनेवाला कहलाता है ।
(A) प्रतिनिधि
(B) सेक्रेटरी
(C) मुख्य वहीवटी अधिकारी
(D) प्रबन्धक
उत्तर :
(B) सेक्रेटरी

प्रश्न 14.
कम्पनी का प्रबन्ध नीति-नियम और कानूनी व्यवस्था के अनुसार कार्यकुशल रूप से हो इसके लिए जो अधिकारी नियुक्त किया जाता है, वह ……………….. कहलाता है ।
(A) प्रबन्ध सेक्रेटरी
(B) राजकीय सेक्रेटरी
(C) कम्पनी सेक्रेटरी
(D) मण्डल का सचिव
उत्तर :
(C) कम्पनी सेक्रेटरी

प्रश्न 15.
कम्पनी के सफल संचालन में संचालक मण्डल, डायरेक्टर के अतिरिक्त किसका स्थान महत्त्वपूर्ण होता है ? ।
(A) सेक्रेटरी
(B) ऋण-पत्रधारियों
(C) प्रबन्धक
(D) गुमास्ताओं
उत्तर :
(A) सेक्रेटरी

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए ।

प्रश्न 1.
कम्पनी का व्यक्तित्व किस प्रकार होता है ?
उत्तर :
कानून द्वारा कृत्रिम व्यक्तित्व होता है ।

प्रश्न 2.
भारत में स्वतंत्रता के पश्चात् कितने कम्पनी अधिनियम अस्तित्व में आए ?
उत्तर :
भारतीय कम्पनी अधिनियम, 1956 एवं भारतीय कम्पनी अधिनियम, 2013 अस्तित्व में आए है ।

प्रश्न 3.
भारत में वर्तमान में कौन-सा कम्पनी अधिनियम अस्तित्व में है ?
उत्तर :
भारत में वर्तमान में भारतीय कम्पनी अधिनियम सन् 2013 अस्तित्व में है ।

प्रश्न 4.
राजा दशरथ के मंत्री कौन थे ?
उत्तर :
राजा दशरथ के मंत्री सुमंत थे ।

प्रश्न 5.
नये कम्पनी अधिनियम के अनुसार कम्पनी सचिव की नियुक्ति कब अनिवार्य होती है ?
उत्तर :
नये कम्पनी अधिनियम 2013 के अनुसार जिस कम्पनी की भरपाई पूँजी 5 करोड रु. या उससे अधिक हो तब कम्पनी सचिव की नियुक्ति अनिवार्य बनाई गई है ।

प्रश्न 6.
स्क्रीबा कहाँ प्रचलित था ?
उत्तर :
स्क्रीबा रोमन साम्राज्य राजाओं की ओर से लिखनेवाले स्क्रीबा ही थे ।

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प्रश्न 7.
सेक्रेटरी शब्द किसमें से आया है ?
उत्तर :
सेक्रेटरी शब्द मूल लेटिन शब्द सेक्रेटरियस (Secretarious) से आया है ।

प्रश्न 8.
कम्पनी सेक्रेटरी की नियुक्ति कौन करता है ?
उत्तर :
कम्पनी सेक्रेटरी की नियुक्ति संचालक मण्डल द्वारा की जाती है ।

प्रश्न 9.
कम्पनी सेक्रेटरी के कितने प्रकार होते है ?
उत्तर :
कम्पनी सेक्रेटरी के दो प्रकार होते है :

  1. सामान्य सेक्रेटरी
  2. वहीवटी (प्रशासकीय) सेक्रेटरी

प्रश्न 10.
किसी भी एक व्यापारी मण्डली का नाम दीजिए ।
उत्तर :
मजदूर महाजन संघ Cember of Commerce एवं फिक्की ।

प्रश्न 11.
कम्पनी में कर्मचारी का चयन और नियुक्ति का कार्य कौन से सेक्रेटरी (सचिव) को करना होता है ?
उत्तर :
कम्पनी में कर्मचारी का चयन और नियुक्ति का कार्य वहीवटी सेक्रेटरी करता है ।

प्रश्न 12.
प्राचीन समय में रोमन राज्य में राजाओं की तरफ से लेखन करनेवाले को किस नाम से पहचाना जाता हैं ?
उत्तर :
प्राचीन समय में रोमन राज्य में राजाओं की तरफ से लेखन करनेवाले को ‘स्क्रीबा’ ‘Scriba’ नाम से पहचाना जाता है ।

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प्रश्न 13.
कम्पनी धारा के अनुसार सेक्रेटरी की परिभाषा दीजिए ।
उत्तर :
कम्पनी धारा के अनुसार ‘सेक्रेटरी अर्थात् नियमानुसार सेक्रेटरी के कर्तव्य करे ऐसे कर्तव्यों और मंत्रीय या प्रबन्धन कर्तव्यों को करने के लिए नियुक्त कोई भी व्यक्ति या जो निश्चित की गई योग्यता रखता है ।’

प्रश्न 14.
कम्पनी सेक्रेटरी के कितने व कौन-कौन-से प्रकार होते हैं ?
उत्तर :
कम्पनी सेक्रेटरी के दो प्रकार होते हैं :

  1. सामान्य सेक्रेटरी
  2. प्रबन्ध सेक्रेटरी (वहीवटी सेक्रेटरी)

प्रश्न 15.
कम्पनी स्वरुप किस रूप से मानव जीवन के साथ जुड़ी हुई है ? ।
उत्तर :
कम्पनी स्वरुप प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मानव-जीवन के साथ जुड़ी हुई है ।

प्रश्न 16.
मण्डली का सचिव किसे कहते हैं ?
उत्तर :
मजदूर संघ, व्यापारी मण्डली, क्रिकेट बोर्ड, स्कूल, विद्यार्थी संगठन, क्लब आदि संस्थाओं में दैनिक कार्य और प्रबन्ध करने के लिए जिस सेक्रेटरी की नियुक्ति की जाती है उन्हें ‘मण्डली का सचिव’ कहते हैं ।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए ।

प्रश्न 1.
वाणिज्य के स्वरूप में परिवर्तन किस कारण से हुए ?
उत्तर :
वाणिज्य व्यवस्था के स्वरूप में एक की मर्यादा दूसरे स्वरूप के उद्भव का कारण बना । समयांतरे युद्धों के कारण राजकीय क्षेत्रों में परिवर्तन हुए । अलग-अलग विचारधाराएँ अस्तित्व में आई । नई नई खोज के कारण सूचनाओं का आदान-प्रदान काफी तेजी से हुआ । परिणामस्वरूप वाणिज्य के स्वरूप में दिन-प्रतिदिन परिवर्तन होते रहे ।

प्रश्न 2.
कोर्पोरेट संस्थाएँ मानवजीवन के साथ किस तरह जुड़ी हुई है ?
उत्तर :
कोर्पोरेट संस्थाएँ प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से मानवजीवन के साथ जुड़ी हुई है ।

प्रश्न 3.
सचिव (सेक्रेटरी) कौन-कौन से कार्य करते है ?
उत्तर :
सचिव निजी सहायक के रूप में कार्य करता है, मालिक की ओर पत्रव्यवहार करते है, निजी रहस्यों की रक्षा करते है । यह जिसके लिए कार्य करता है उनकी निजी बातें किसी अन्य को नहीं कह सकते । इसी प्रकार दस्तावेजों, अनुबन्ध और दस्तावेज/रिकार्ड की देखभाल करता है । इसके अलावा उसको सौंपे गए कार्य करता है ।

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प्रश्न 4.
निजी सचिव कौन-कौन रखते है ?
उत्तर :
वर्तमान समय में फिल्म कलाकार, उद्योगपति, मुख्य वहीवटकर्ता उच्च पदाधिकारी, राजकीय नेता, वाणिज्य क्षेत्र के अग्रसर अपने निजी सेक्रेटरी रखते है ।

प्रश्न 5.
राजकीय सेक्रेटरी किसे कहा जाता है ?
उत्तर :
विदेश में जनता द्वारा निर्वाचित प्रमुख अलग-अलग विभागों को योग्य रूप से चलाने के लिए जिसकी नियुक्ति की जाती है, जिसे राजकीय सेक्रेटरी कहा जाता है ।

प्रश्न 6.
राजदूत (दूतावास) कार्यालय का सेक्रेटरी क्या कार्य करता है ?
उत्तर :
राजदूत कार्यालय का सेक्रेटरी का मुख्य कार्य अपने देश के हितों का रक्षण करना और अपने देश का वास्तविक दृष्टिबिन्दु समझाना होता है ।

प्रश्न 7.
मण्डल के सेक्रेटरी की आवश्यकता क्यों उत्पन्न हुई ?
उत्तर :
मानव संस्कृति की अग्रता जैसे जैसे आगे बढ़ी उसी तरह सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक मामलों का विस्तार और स्वरूप में परिवर्तन होते गये । परिणामस्वरुप ऐसे मण्डलों को सेक्रेटरी की आवश्यकता उत्पन्न हुई ।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर मुद्दासर दीजिए ।

प्रश्न 1.
सेक्रेटरी के लक्षण बताइए ।
उत्तर :
सेक्रेटरी के लक्षण निम्नलिखित है :

  1. सेक्रेटरी योग्य योग्यता प्राप्त होना चाहिए ।
  2. वह जिनकी ओर से कार्य करता है उनकी निजी बातों एवं रहस्यों को जानते है तथा इन रहस्यों को गुप्त रखता है ।
  3. सेक्रेटरी के रूप में जिस व्यक्ति की नियुक्ति की जाय वह जीवित व्यक्ति ही हो ।
  4. इनको जो कार्य सौंपा जाए वो ही कार्य करता है ।
  5. इनके पास अपनी कोई सत्ता नहीं होती है, इन्हें सत्ता (अधिकार) प्रदान की जाती है ।
  6. सेक्रेटरी दस्तावेज बनाने में, करार करने में मददरुप होते है । मालिक की ओर से पत्रव्यवहार करते है । इन दस्तावेजों, करारों को योग्य रूप से सम्भाल कर रखते है ।

प्रश्न 2.
निजी सेक्रेटरी के कार्य कौन-कौन से होते है ?
अथवा
निजी सेक्रेटरी (सचिव) किसे कहा जाता है ?
उत्तर :
निजी सेक्रेटरी को कई बार पी.ए. (Personal Assistant) के रूप में भी जाने जाते है, तो कई बार निजी सचिव या रहस्य सचिव ।
के रूप में भी पहचाना जाता है । ऐसे सेक्रेटरी अपने उच्च अधिकारी की ओर से टेलीफोन के उत्तर देते हैं, पत्रव्यवहार करते है, इसके अलावा दैनिक कार्यवाही, मुलाकात या कार्यक्रम की रचना करना, जो कार्यक्रम निश्चित हुआ हो उनको समय पर याद कराने का कार्य करते है । ऐसे सेक्रेटरी फिल्म कलाकार, उद्योगपति, मुख्य प्रबन्धकर्ता, उच्च पदाधिकारी, राजकीय नेता इत्यादि नियुक्त करते है ।

प्रश्न 3.
कम्पनी सेक्रेटरी की अगत्यता बताइए ।
उत्तर :
कम्पनी कृत्रिम व्यक्तित्व प्राप्त कानूनी अस्तित्व प्राप्त व्यक्ति है । जिसका संचालन संचालक मण्डल द्वारा किया जाता है । लेकिन दैनिक कार्यों का संचालन करने के लिए संचालक मण्डल द्वारा कम्पनी सेक्रेटरी की नियुक्ति की जाती है । इस तरह, कम्पनी और संचालक मण्डल के मध्य सेक्रेटरी कडी समान है ।

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प्रश्न 4.
सामान्य सेक्रेटरी के कार्य बताइए ।
उत्तर :
सामान्य सेक्रेटरी के कार्य निम्न है :

  1. कम्पनी की ओर से विभिन्न पक्षकारों के साथ पत्रव्यवहार करना ।
  2. संचालकों के आदेश के अनुसार अंश एवं ऋण-पत्र निर्गमित करना ।
  3. अंश वितरण करना, अंशों की जप्ती, अंशों में परिवर्तन इत्यादि कार्य करना ।
  4. लाभांश का वितरण करना ।
  5. कम्पनी के सदस्यों को सभा के बारे में नोटिस जारी करना, कार्यसूचि (एजेण्डा) तैयार करना, सभा की कार्यवाही की टिप्पणी करना (Minutes) मिनिट्स तैयार करना तथा उनको रखना ।
  6. कम्पनी कानून के अनुसार आवश्यक पत्रक, दस्तावेज तैयार करना, सुरक्षित रखना तथा कम्पनी रजिस्ट्रार के समक्ष पंजिकृत करवाना इत्यादि कार्य करते है ।

प्रश्न 5.
वहीवटी (प्रबन्धकीय) सेक्रेटरी के कार्य बताइए ।
उत्तर :
ऐसे सेक्रेटरी के कार्य निम्नलिखित है :

  1. कर्मचारियों का चयन और नियुक्ति करना ।
  2. कम्पनी की ओर से बातचीत करना तथा विभिन्न करार करना ।
  3. विभिन्न प्रकार के हिसाबों पर देखरेख रखना ।
  4. संचालक मण्डल को कम्पनी की नीतियाँ और कार्यक्रमों का निर्माण करने के लिए उपयोगी सलाहसूचन और इस हेतु आवश्यक मार्गदर्शन देना ।
  5. कम्पनी के विभिन्न विभागों पर देखरेख रखना ।

प्रश्न 6.
विभागीय सेक्रेटरी किसे कहते हैं ? इनके क्या कार्य होते हैं ?
उत्तर :
देश का प्रशासन करने के लिए मंत्री होते है । मंत्री जिस विभाग के होते है उस विभाग के अधिकारी के रूप में जिस सनदी अधिकारी की नियुक्ति की जाती है, जिसे विभागीय सेक्रेटरी कहा जाता है । जिनका मुख्य कार्य सम्बन्धित विभाग का प्रबन्ध-प्रशासन नीति निर्माण के अनुसार चल रहा है या नहीं यह देखना है ।

प्रश्न 7.
मण्डल के सेक्रेटरी में किन-किन का समावेश होता है ?
उत्तर :
मण्डल के सेक्रेटरी में निम्न का समावेश होता है :

  1. विद्यार्थी मण्डल के सेक्रेटरी (Student Union Secretary)
  2. क्लब के सेक्रेटरी (Club Secratary)
  3. शैक्षणिक संस्था के सेक्रेटरी (Educational Institute Secretary)
  4. मजदूर मण्डल के सेक्रेटरी (Labour Union Secretary)
  5. व्यापारी मण्डल के सेक्रेटरी (Trade Association Secretary)
  6. सहकारी मण्डली के सेक्रेटरी (Co-operative Society Secretary)

5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तारपूर्वक दीजिए ।

प्रश्न 1.
सेक्रेटरी प्रथा की शुरूआत किस तरह हुई ?
उत्तर :
सेक्रेटरी प्रथा का उपयोग शुरुआत राजकर्ताओं के निजी पत्रव्यवहार करनेवाले अधिकारियों के लिए किया जाता था । परन्तु जैसे जैसे समाज का विस्तार हुआ, वाणिज्य का विकास हुआ, वैसे वैसे उनका विस्तार बढ़ता गया । अब सेक्रेटरी शब्द का उपयोग विशाल अर्थ में होता है । वर्तमान समय में नेता, अभिनेता, मंत्री आदि सेक्रेटरी रखते है । समाज में विविध प्रवृत्तियाँ करती सहकारी मण्डली, मजदूर संघ, क्रिकेट बोर्ड, व्यापारी मण्डल, सार्वजनिक निगम, सरकारी विभाग इत्यादि में सेक्रेटरी का स्थान अनिवार्य बना है । इन सभी संस्थाओं में लगभग सेक्रेटरी बिना काम नहीं हो सकते ऐसी परिस्थिति उत्पन्न है ।

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प्रश्न 2.
कम्पनी में सेक्रेटरी का स्थान किसलिए महत्त्वपूर्ण है ?
उत्तर :
कम्पनी में सेक्रेटरी का स्थान महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि कम्पनी कानून के अनुसार कम्पनी एक कृत्रिम व्यक्तित्व रखती है । कम्पनी और उसके मालिक (शेयरधारक) दोनों अलग है । कम्पनी का संचालन करने के लिए संचालक मण्डल होता है । संचालक मण्डल के सभी सदस्य सभी नीति-नियमों और कानूनी प्रक्रियाओं से परिचित नहीं होते । जिससे कम्पनी का प्रबन्ध (प्रशासन) नीति-नियम और कानूनी व्यवस्थाओं के अनुसार कार्यक्षम रूप से हो सके इसके लिए सक्षम अधिकारी की नियुक्ति की जाती है । जिसे कम्पनी सेक्रेटरी कहा जाता है । इस तरह कम्पनी सेक्रेटरी की नियुक्ति संचालक मण्डल द्वारा की जाती है । वह कम्पनी का कर्मचारी है । संचालक मण्डल द्वारा जो आदेश दिया जाता है, उनका केवल अमल ही करना होता है । उनके पास स्वयं की कोई सत्ता नहीं होती । परन्तु संचालक मण्डल की ओर से प्राप्त सत्ता का उपयोग कम्पनी कानून द्वारा निर्देशित कर्तव्य अनुसार कार्य करना है । इस तरह सेक्रेटरी संचालक मण्डल के अधिन काम करता है ।

प्रश्न 3.
सेक्रेटरी का अर्थ व उनकी व्याख्या दीजिए ।
उत्तर :
सेक्रेटरी का अर्थ (Meaning of Secretary) : ‘सेक्रेटरी’ यह मूल लेटिन शब्द है जो कि सेक्रेटेरियस (Secretarius) शब्द से आया
है । सेक्रेटेरियस शब्द का अर्थ होता है ‘गुप्त लेख्न रखनेवाला और पत्रव्यवहार करनेवाला व्यक्ति ।’

दूसरे शब्दों में सेक्रेटरी अर्थात् गुप्त और प्रशासकीय कामकाज सम्भालनेवाला व्यक्ति ।

प्राचीन समय में रोमन राज्य में राजाओं की तरफ से लेखनकार्य करनेवाले को ‘Scriba’ – ‘स्क्रीबा’ के नाम से पहचाना जाता था । सामान्य अर्थ के अनुसार ‘सेक्रेटरी अर्थात् ऐसा व्यक्ति या वे अन्य व्यक्ति, मण्डली, कोर्पोरेशन या सार्वजनिक संस्थाओं के लिए निजी रहस्यों की रक्षा करे, पत्रव्यवहार करे, इसी प्रकार दस्तावेजों, अनुबन्ध व दस्तावेज/रिकार्ड की देखभाल करता है । इसके उपरान्त उसको सौंपे गये कार्य करता है ।’

कम्पनीधारा के अनुसार – ‘सेक्रेटरी अर्थात् नियमानुसार सेक्रेटरी के कर्तव्य करे ऐसे कर्तव्यों और अन्य मंत्रीय या प्रबन्धन कर्तव्यों को करने के लिए नियुक्त कोई भी व्यक्ति या जो निश्चित की गई योग्यता रखता है ।’

ऑक्सफर्ड डिक्शनरी के अनुसार : ‘सेक्रेटरी अर्थात् ऐसा व्यक्ति की जो अन्य व्यक्ति की ओर से लिखने का काम करता है । कुछ अंश में अन्य व्यक्तियों, मण्डलियों, कोर्पोरेशन या सार्वजनिक संस्थाओं के लिए पत्रव्यवहार करने, जानकारी रखने या विभिन्न प्रकार
के धन्धाकीय व्यवहार करने के लिए उनकी नियुक्ति की जाती है ।’

प्रश्न 4.
सेक्रेटरी के प्रकार बताइए ।
उत्तर :
सेक्रेटरी के प्रकार (Types of Secretary) : व्यक्तिगत तथा विविध संस्थाओं के सन्दर्भ में सेक्रेटरी के विविध प्रकार निम्नलिखित हो सकते है :
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(1) निजी सेक्रेटरी (Private Secretary) : निजी सेक्रेटरी को ‘निजी’ या ‘गुप्त सचिव’ के रूप में जाना जाता है । प्राचीन समय में
जो राजाओं की तरफ से ‘गुप्त सचिव’ के रूप में कार्य करते और निजी बातों का लेखन करके पत्रव्यवहार का कार्य सम्भालते थे । विभिन्न व्यवसायी व्यक्ति, उद्योगपति या उच्च पदाधिकारी नेता अपने कामकाज के लिए निजी सेक्रेटरी नियक्त करते हैं । दैनिक कार्य, मुलाकात के कार्यक्रमों की व्यवस्था साथ ही जो कार्यक्रम निश्चित हो गया है उसको निश्चित समय पर याद दिलाने का कार्य सेक्रेटरी करते हैं । विश्वसनीय, प्रमाणिक, निष्ठावान इस प्रकार से निजी व्यक्ति को निजी सचिव के रूप में नियुक्त किया जाता है ।

(2) राजकीय सचिव/सेक्रेटरी (Ministerial Secretary) : अपने देश में केन्द्रस्तर व राज्यस्तर के विभिन्न विभाग सम्भालनेवाले चयनित सदस्य मंत्री के रूप में कार्य करते है । अमेरिका में यह पद्धति प्रचलित नहीं है । वहाँ पर जनता द्वारा निर्वाचित किये गये, मुख्य विभिन्न विभागों का ध्यान रखने के लिए विभागीय रूप से जिस-जिस व्यक्ति की नियुक्ति की जाती है उन्हें सेक्रेटरी कहा जाता है ।

(3) कम्पनी सेक्रेटरी (Company Secretary) : कम्पनी का संचालन संचालक मण्डल द्वारा होता है । कम्पनी और मालिक (शेयरधारक) अलग अलग होने से कम्पनी का प्रबन्ध नीति-नियम और कानूनी व्यवस्था के अनुसार कार्यकुशल रूप से हो सके इसके लिए जो अधिकारी नियुक्त किया जाता है, उन्हें ‘कम्पनी सेक्रेटरी’ कहा जाता है, जो कि वेतनभोगी कर्मचारी कहलाता है । इनको संचालक मण्डल के द्वारा जो अधिकार प्रदान किया जाता है उसकी सीमा में रहकर कम्पनी अधिनियम में दर्शाये गए कर्तव्यों के अनुसार कार्य करना होता है ।

कम्पनी सेक्रेटरी के दो प्रकार होते हैं :
(i) सामान्य सेक्रेटरी
(ii) प्रबन्ध सेक्रेटरी

(i) सामान्य सेक्रेटरी (General Secretary) : कम्पनी के दैनिक कार्य सामान्य सचिव करता है । संचालक मण्डल की ओर से जो सूचना दी जाती है, उसके अनुसार कार्य करता है । सामान्य सेक्रेटरी के निम्न कार्य होते हैं :

  1. कम्पनी की ओर पत्रव्यवहार करना ।
  2. संचालकों के आदेशानुसार विभिन्न प्रकार की प्रतिभूति, अंश एवं ऋणपत्र निर्गमित करना ।
  3. शेयर का वितरण, हस्तान्तरण, किस्त, अंश जप्ती आदि कार्य करना ।
  4. लाभांश (Dividend) का वितरण करना ।
  5. सभा के सम्बन्ध में नोटिस सदस्यों को देना, कार्यसूचि (एजेन्डा) तैयार करना एवं सभा की टिप्पणी (मिनिट्स) रखना ।
  6. कम्पनी अधिनियम के अनुसार आवश्यक पत्रक, दस्तावेज तैयार करना और उनका पंजियन करवाना आदि कार्य सामान्य सचिव करता है ।

(ii) प्रबन्ध सचिव (Administrative Secretary) : ऐसा सचिव संचालकों और कम्पनी के बीच श्रृंखलारूपी कार्य करता है । इसके कार्य निम्नलिखित होते हैं :

  1. कम्पनी के हिसाब-किताब की देखरेख रखना ।
  2. विभिन्न विभागों की देखरेख करना और व्यवस्था करना ।
  3. कम्पनी की ओर से आवश्यक करार/अनुबन्ध करना व बातचीत करना ।
  4. कर्मचारियों की नियुक्ति व चयन का कार्य करना ।
  5. संचालक मण्डल को नीति-निर्माण में और कार्यक्रम में जरूरी परामर्श, मार्गदर्शन देना ।

(4) दूतावास कार्यालय, का सचिव (Secretary of Embassy) : प्रत्येक देश विश्व के विभिन्न देशों में राजदूत/दूत नियुक्त करता है । ऐसे राजदूत अपने देश की वास्तविक दृष्टिबिन्दु समझाते हुए अपने देश के हितों की रक्षा का कार्य करते है । ऐसे सेक्रेटरी को राजदूत कार्यालय का सेक्रेटरी कहते हैं ।

(5) विभागीय सचिव (Departmental Secretary) : सरकार द्वारा मंत्रीमण्डल की रचना की जाती है । प्रत्येक खाता या विभाग का प्रमुख जो कि उस विभाग के मंत्री के रूप में पहचाना जाता है । ऐसे मंत्री द्वारा जो विभाग सम्भाला जाता है उस विभाग का प्रबन्ध करवाना, निर्मित नीति के अनुसार कार्य हो सके यह देखने हेतु जिन अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है उन्हें ‘विभागीय सचिव’ कहते हैं । जो कि सम्बन्धित विभाग का सर्वोच्च अधिकारी कहलाता है । सामान्यतः सनदी अधिकारी की नियुक्ति ऐसे सेक्रेटरी के रूप में की जाती है । जैसे – वित्त विभाग का सेक्रेटरी, गृह विभाग का सेक्रेटरी व शिक्षण विभाग का सेक्रेटरी आदि ।

(6) मण्डली का सचिव (Secretary of Association) : मजदूर संघ, व्यापारी मण्डल, क्रिकेट बोर्ड, विद्यार्थी मण्डल, क्लब, निगम व ख्नेलकूद की संस्थाएँ आदि संस्थाओं में दैनिक कार्य और प्रबन्ध करने के लिए जो सेक्रेटरी नियुक्त किया जाता है उन्हें ‘मण्डली का सचिव’ कहते हैं । मानव संस्कृति का विकास जैसे जैसे आगे बढ़ता गया वैसे सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक बातों का व्याप, विस्तार और स्वरूप में परिवर्तन होते गये । जिसके परिणामस्वरुप ऐसे मण्डलों के सेक्रेटरी की आवश्यकता उत्पन्न हुई ।

ऐसे मण्डल निम्न है :

  1. विद्यार्थी मण्डल के सेक्रेटरी
  2. क्लब के सेक्रेटरी
  3. शैक्षणिक संस्था के सेक्रेटरी
  4. मजदूर मण्डल के सेक्रेटरी
  5. व्यापारी मण्डल के सेक्रेटरी
  6. सहकारी मण्डली के सेक्रेटरी ।

6. निम्न प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए ।

प्रश्न 1.
‘स्क्रीबा’ ‘Scriba’ अर्थात् क्या ?
उत्तर :
प्राचीन समय में रोमन राज्य में राजाओं की तरफ से लेखन करनेवाले को ‘Scriba’ के नाम से पहचाना जाता है ।

प्रश्न 2.
सेक्रेटरी को वेतनभोगी कर्मचारी किसलिये कहा जा सकता है ?
उत्तर :
संचालक मण्डल द्वारा दी गई सूचनाओं का अमल सेक्रेटरी द्वारा किया जाता है । उनका कार्य कम्पनी की प्रबन्धकीय व्यवस्था करना है । उसके पास कोई स्वतंत्र अधिकार नहीं होता है । संचालक मण्डल द्वारा अधिकार प्रदान किया हो उसकी सीमा में रहकर कम्पनी अधिनियम में निर्देशित कर्तव्यों के अनुसार उसको कार्य करना होता है । अतः सेक्रेटरी कम्पनी का वेतनभोगी कर्मचारी कहलाता है ।

GSEB Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 1 सेक्रेटरी का अर्थ और प्रकार

प्रश्न 3.
विभागीय सेक्रेटरी अर्थात् क्या ?
उत्तर :
प्रत्येक सरकारी खाता/विभाग का प्रशासन/वहीवट चलाने हेतु जो अधिकारी नियुक्त किया जाता है उन्हें विभागीय सेक्रेटरी कहा जाता है ।

प्रश्न 4.
‘सेक्रेटरी की आवश्यकता अब अनिवार्य बन गई है’ विधान समझाइए ।
उत्तर :
पूर्व समय में व्यवसाय का कार्यक्षेत्र सीमित होता था तब मालिक समस्त कार्य स्वयं कर लेता था तथा मानव का कार्यक्षेत्र सीमित था । लेकिन आधुनिक समय में व्यापार-धन्धे का काफी विकास हुआ है, जिससे सेक्रेटरी की आवश्यकता उत्पन्न हुई है । मानवजीवन के साथ कम्पनी स्वरूप प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़ी है । किसी भी कम्पनी के सफल संचालन में संचालक मण्डल, डायरेक्टर के अतिरिक्त सेक्रेटरी का स्थान महत्त्वपूर्ण रहा है । कम्पनी विविध अनुबन्ध करे, दस्तावेजों का निर्माण करे, महत्त्वपूर्ण निर्णय ले इनमें सेक्रेटरी भी शामिल होता है । कम्पनी धारा में उत्तरोत्तर जो सुधार होते रहे है, उसके परिणामस्वरूप सेक्रेटरी का स्थान अनिवार्य बन गया है ।

प्रश्न 5.
‘गुप्त लेख रखनेवाला और पत्रव्यवहार करनेवाला व्यक्ति अर्थात् सेक्रेटरी’ उपरोक्त कथन समझाइए ।
उत्तर :
सेक्रेटरी अर्थात् गुप्त लेख्न रखनेवाला और पत्रव्यवहार करनेवाला व्यक्ति । यह सेक्रेटरी का अर्थ होता है । सेक्रेटरी एक ऐसा व्यक्ति होता है जो कि दूसरे व्यक्तियों के पास से माहिती प्राप्त करता हैं तथा गुप्त रखता है व आवश्यकता पड़ने पर वह माहिती प्रदान करता है । इसके अलावा कम्पनी/संस्था में प्रत्येक कार्यों की गोपनियता को बनाये रखता है । व आवश्यकता पड़ने पर पत्रव्यवहार करता है । इस तरह कहा जाता है गुप्त लेख्न रखनेवाला और पत्रव्यवहार करनेवाला व्यक्ति अर्थात् सेक्रेटरी ।

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