GSEB Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 4 आवेदन पत्र

Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 11 Commercial Correspondence and Secretarial Practice Chapter 4 आवेदन पत्र Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 4 आवेदन पत्र

GSEB Class 11 Secretarial Practice आवेदन पत्र Text Book Questions and Answers

स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिये गये विकल्पों में से सही विकल्प पसन्द करके दीजिए ।

प्रश्न 1.
आवेदन-पत्र कैसा दस्तावेज है ?
(A) गौण दस्तावेज है ।
(B) उप दस्तावेज है ।
(C) मुख्य दस्तावेज है ।
(D) अतिरिक्त दस्तावेज है ।
उत्तर :
(C) मुख्य दस्तावेज है ।

प्रश्न 2.
कम्पनी के नाम के संदर्भ में इनमें से कौन-सी बात सही नहीं है ?
(A) हयात (कार्यरत) कम्पनी का नाम नहीं होना चाहिए ।
(B) राज्य सरकार केन्द्र सरकार का भ्रम खड़ा करे ऐसा नहीं होना चाहिए ।
(C) स्थानिक स्वराज की संस्था के साथ मिलता-झुलता नाम नहीं होना चाहिए ।
(D) कोई भी नाम रख सकते है ।
उत्तर :
(D) कोई भी नाम रख सकते है ।

प्रश्न 3.
आवेदन-पत्र के सन्दर्भ में कौन-सी बात असत्य है ?
(A) आवेदन-पत्र मूलभूत दस्तावेज है ।
(B) रजिस्टर्ड ऑफिस की जानकारी देते है ।
(C) कम्पनी के आन्तरिक प्रबन्ध/प्रशासन सम्बन्धी बातों का समावेश होता है ।
(D) कम्पनी का उद्देश्य स्पष्ट करता है ।
उत्तर :
(C) कम्पनी के आन्तरिक प्रबन्ध/प्रशासन सम्बन्धी बातों का समावेश होता है ।

प्रश्न 4.
सत्ता बाहर के कार्य कैसे है ?
(A) अस्वीकृत है । (रद्द माने जाते है ।)
(B) अस्वीकृत के योग्य है । (रद्द होने के लायक है ।)
(C) कम्पनी के साथ सम्बन्ध रखनेवाले व्यक्ति अस्वीकृत कर सकते है ।
(D) अंशधारियों द्वारा अस्वीकृत होने योग्य है ।
उत्तर :
(A) अस्वीकृत है । (रद्द माने जाते है ।)

प्रश्न 5.
कौन-सी कम्पनी को ‘लिमिटेड’ या ‘प्राईवेट लिमिटेड’ शब्द लिखने से मुक्ति मिलती है ?
(A) एक व्यक्ति की कम्पनी
(B) सामाजिक कल्याण के लिए स्थापित कम्पनी
(C) भवन निर्माण का धन्धा करनेवाली कम्पनी
(D) जिस कम्पनी की स्थापना सोफ्टवेर उत्पादन के लिए हुई हो ।
उत्तर :
(B) सामाजिक कल्याण के लिए स्थापित कम्पनी

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प्रश्न 6.
असीमित दायित्ववाली कम्पनी जिसकी अंश पूँजी नहीं उनको शिड्युल I प्रमाणे टेबल …………………………. अनुसार आवेदन-पत्र तैयार करना पड़ता है ।
(A) टेबल ‘A’
(B) टेबल ‘B’
(C) टेबल ‘C’
(D) टेबल ‘D’
उत्तर :
(D) टेबल ‘D’

प्रश्न 7.
नाम की कलम में परिवर्तन करने के लिए मध्यस्थ सरकार की अनुमति लेने के कितने दिनों में कम्पनी रजिस्ट्रार को बताना होता है ?
(A) 15
(B) 90
(C) 30
(D) 60
उत्तर :
(A) 15

प्रश्न 8.
एक राज्य में से दूसरे राज्य में रजिस्टर्ड ऑफिस के परिवर्तन के बारे में रजिस्ट्रार को मध्यस्थ सरकार की तरफ से मिली हुई प्रमाणित प्रति कितने दिन में प्रस्तुत करनी पड़ती है ?
(A) 15
(B) 30
(C) 90
(D) 60
उत्तर :
(B) 30

प्रश्न 9.
अंश पूँजी से सीमित कम्पनी को शिड्युल I प्रमाणे टेबल …………………………… अनुसार आवेदन-पत्र तैयार करना पड़ता है ।
(A) Table ‘A’
(B) Table ‘C’
(C) Table ‘E’
(D) Table ‘B’
उत्तर :
(A) Table ‘A’

प्रश्न 10.
आवेदन-पत्र के सन्दर्भ में कौन-सी बात सत्य नहीं है ?
(A) पूँजी की कलम
(B) उद्देश्य की कलम
(C) लाभांश की कलम
(D) दायित्व की कलम
उत्तर :
(C) लाभांश की कलम

प्रश्न 11.
कम्पनी का संविधान एवं आधारभूत दस्तावेज इनमें से कहलाता है ।
(A) आवेदन-पत्र
(B) नियमन-पत्र
(C) बदले का निवेदन
(D) विज्ञापन पत्र
उत्तर :
(A) आवेदन-पत्र

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प्रश्न 12.
यदि कोई कम्पनी विदेश में पंजिकृत हुई हो और भारत में कार्यरत हो ऐसी कम्पनी को इनमें से कौन-सा कानून लागू पड़ता है ?
(A) MRTP
(B) FENA
(C) FEMA
(D) Company Act
उत्तर :
(C) FEMA

प्रश्न 13.
आवेदन-पत्र की उद्देश्य की कलम में परिवर्तन करने के लिए इनमें से किसकी सभा में प्रस्ताव पारित किया जाना चाहिए ?
(A) सामान्य सभा
(B) संचालकों की सभा
(C) असामान्य
(D) कर्मचारियों की सभा
उत्तर :
(A) सामान्य सभा

प्रश्न 14.
निजी कम्पनी के आवेदन-पत्र में कम से कम कितने सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए ?
(A) 7
(B) 2
(C) 3
(D) 10
उत्तर :
(B) 2

प्रश्न 15.
सार्वजनिक कम्पनी के आवेदन-पत्र में कम से कम कितने सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिये ?
(A) 5
(B) 3
(C) 7
(D) 50
उत्तर :
(C) 7

प्रश्न 16.
कम्पनी के आवेदन-पत्र में सबसे महत्त्वपूर्ण कलम कौन-सी है ?
(A) नाम की कलम
(B) रजिस्टर्ड कार्यालय की कलम
(C) दायित्व की कलम
(D) उद्देश्य की कलम
उत्तर :
(D) उद्देश्य की कलम

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प्रश्न 17.
अंश पूँजी द्वारा सीमित दायित्ववाली कंपनी के रूप में सार्वजनिक कम्पनी बनी हो तब ऐसी कम्पनी अपने नाम के अन्त दर्शाया जाता है ।
(A) प्राइवेट लिमिटेड
(B) लिमिटेड
(C) इण्डिया लिमिटेड
(D) गारन्टी द्वारा सीमित
उत्तर :
(B) लिमिटेड

प्रश्न 18.
जब एक राज्य में से दूसरे राज्य में कार्यालय बदलना हो तब संचालक मण्डल की सभा में प्रस्ताव पारित करके कितने दिन में रजिस्ट्रार को सूचित करना पड़ता है ?
(A) 25 दिन
(B) 60 दिन
(C) 30 दिन
(D) 120 दिन
उत्तर :
(C) 30 दिन

प्रश्न 19.
कम्पनी अंश पूँजी की कलम में कितने प्रकार से परिवर्तन किया जा सकता है ?
(A) 2
(B) 3
(C) 4
(D) 7
उत्तर :
(C) 4

प्रश्न 20.
नाम परिवर्तन के प्रस्ताव के पारित होने के पश्चात् कम्पनी रजिस्ट्रार के समक्ष कितने दिनों में पंजिकृत करवाना पड़ता है ?
(A) 20
(B) 50
(C) 90
(D) 30
उत्तर :
(D) 30

प्रश्न 21.
निजी कम्पनी में अधिक से अधिक सदस्यों की संख्या होती है ।
(A) 200
(B) 700
(C) 50
(D) असंख्य
उत्तर :
(A) 200

प्रश्न 22.
निवेशकर्ता किस कलम के आधार पर पूँजीनिवेश के बारे में निर्णय लेते है ?
(A) दायित्व की
(B) पूँजी की
(C) उद्देश्य की
(D) नाम की
उत्तर :
(C) उद्देश्य की

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प्रश्न 23.
कौन-सी कलम के आधार पर कम्पनी पर किस न्यायालय का शासन लागू होगा यह स्पष्ट होता है ?
(A) Domicile Clause
(B) Object Clause
(C) Capital Clause
(D) Name Clause
उत्तर :
(A) Domicile Clause

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए ।

प्रश्न 1.
सार्वजनिक जनता को कम्पनी के साथ पत्रव्यवहार करना हो तो कहाँ करते है ?
उत्तर :
सार्वजनिक जनता को कम्पनी के साथ पत्रव्यवहार करना हो तो रजिस्टर्ड कार्यालय में करते है ।

प्रश्न 2.
नाम के अन्त में किस कम्पनी को लिमिटेड लिखना पड़ता है ?
उत्तर :
नाम के अन्त में सार्वजनिक कम्पनी को लिमिटेड लिखना पड़ता है ।

प्रश्न 3.
‘प्राईवेट लिमिटेड’ कौन-सी कम्पनी को नाम के अन्त में लिखना पड़ता है ?
उत्तर :
प्राईवेट लिमिटेड निजी कम्पनी के अन्त में लिखना पड़ता है ।

प्रश्न 4.
कम्पनी का अदालती कार्यक्षेत्र किसके आधार पर निश्चित किया जा सकता है ?
उत्तर :
रजिस्टर्ड ऑफिस के पते के आधार पर कम्पनी का अदालती कार्यक्षेत्र लागू पड़ता है ।

प्रश्न 5.
कम्पनी के दस्तावेज व्यक्ति को देखने हो (अथवा जाँच करने हो) तो कहाँ देख सकते है ?
उत्तर :
रजिस्टर्ड ऑफिस के पते कम्पनी के दस्तावेज देख सकते है ।

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प्रश्न 6.
गारन्टी से सीमित कम्पनी जिसमें अंश हो तो उसमें पूँजी की कितनी कलम होती है ?
उत्तर :
ऐसी कम्पनी में दो पूँजी की कलम होती है :

  1. गारन्टी से सम्बन्धित
  2. अंश पूँजी से सम्बन्धित

प्रश्न 7.
गारन्टी से सीमित कम्पनी में सदस्यों का दायित्व कितना होता है ?
उत्तर :
गारन्टी से सीमित कम्पनी में उनके सदस्यों का दायित्व उनके द्वारा दी गई गारन्टी तक ही सीमित होती है ।

प्रश्न 8.
कम्पनी के अस्तित्व के बारे में कौन-सा दस्तावेज ख्याल देता है ?
उत्तर :
कम्पनी के अस्तित्व के बारे में आवेदन-पत्र ख्याल देता है ।

प्रश्न 9.
एक व्यक्ति की कम्पनी (एकल व्यक्ति कम्पनी) किसे कहते हैं ?
उत्तर :
एक व्यक्ति की कम्पनी अर्थात् ऐसी कम्पनी जिसकी स्थापना एक व्यक्ति करे, जिम्मेदारी स्वयं उठाए, संचालक स्वयं हो तो एक व्यक्ति की कम्पनी कहलाती है ।

प्रश्न 10.
शेयर से सीमित कम्पनी के शेयरधारकों का दायित्व कैसा होता है ?
उत्तर :
ऐसी कम्पनी में सदस्यों का दायित्व सीमित होता है । शेयर द्वारा सीमित कम्पनी में सदस्यों को उनके द्वारा क्रय किये गए शेयर
की दार्शनिक कीमत तक दायित्व सीमित होता है ।

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प्रश्न 11.
सार्वजनिक जनता को कम्पनी में पूँजी निवेश करने के लिए प्राथमिक जानकारी कहाँ से मिल सकती है ?
उत्तर :
समाज का कोई भी व्यक्ति कम्पनी में पूँजी निवेश करने के लिए प्राथमिक जानकारी आवेदन-पत्र में से प्राप्त कर सकता है ।

प्रश्न 12.
FEMA संज्ञा समझाइए ।
उत्तर :
FEMA अर्थात् Foreign Exchange Management Act. जिसका अर्थ होता है, विदेशी विनिमय संचालन अधिनियम जो विदेशी कम्पनियों पर नियंत्रण रखने के लिए पारित किया गया है ।

प्रश्न 13.
आवेदन-पत्र की परिभाषा भारतीय कम्पनी अधिनियम 2013 के अनुसार दीजिये ।
उत्तर :
‘आवेदन-पत्र अर्थात् यह अथवा पूर्व के कम्पनी अधिनियम के अनुसार रचित अथवा समय समय की व्यवस्थाओं के अधिन किये परिवर्तन के अनुसार का आवेदन-पत्र ।’

प्रश्न 14.
उद्देश्य/ध्येय की कलम द्वारा निवेशकर्ता क्या जान सकते है ?
उत्तर :
उद्देश्य की कलम द्वारा निवेशकों द्वारा जो निवेश किया जाता है वह किस उद्देश्य के लिये उपयोग किया जायेगा, किस प्रवृत्ति में यह निवेश होगा यह ज्ञात किया जा सकता है ।

प्रश्न 15.
विदेशी कम्पनी हो और अपने देश में कार्यरत हो तो नाम के अन्त में क्या लगाया जाता है ?
उत्तर :
विदेशी कम्पनी हो और अपने देश में कार्यरत हो तो नाम के अन्त में कोष्ठक में (इण्डिया India) लिखकर ‘लिमिटेड’ या ‘प्राइवेट लिमिटेड’ शब्द लगाना चाहिए ।

प्रश्न 16.
कौन-से कार्य अधिकार बाहर के कार्य (Ultra-Vires) गिने जाते हैं ?
उत्तर :
कम्पनी के आवेदन-पत्र में जो उद्देश्य दर्शाया गया हो इसके अलावा का कोई कार्य कम्पनी नहीं कर सकती यदि ऐसे कार्य कम्पनी करे तो ‘अधिकार बाहर का कार्य’ गिना जाता है ।

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प्रश्न 17.
कम्पनी के आवेदन-पत्र में दर्शायी गई और पूँजी नियामक द्वारा मान्य की गई पूँजी को किस नाम से पुकारते है ?
उत्तर :
कम्पनी के आवेदन-पत्र में दर्शायी गई और पूँजी नियामक द्वारा मान्य की गई पूँजी को ‘अधिकारी पूँजी’, ‘अधिकृत पूँजी’, ‘पंजीकृत पूँजी’ (Authorised Capital) अथवा स्थिर पूँजी के नाम से पुकारते है ।

प्रश्न 18.
‘आद्य स्थापक’ संज्ञा समझाइए ।
उत्तर :
आद्य स्थापक अर्थात् आवेदन-पत्र में हस्ताक्षर की कलम में हस्ताक्षर करनेवाले सदस्यों को ‘आद्य स्थापक’ कहा जाता है ।

प्रश्न 19.
स्थापना की कलम दूसरे किन-किन नाम से पहचानी जाती है ?
उत्तर :
स्थापना की कलम को संघ की कलम, संविलयन (जोडाण) की कलम या भरपाई की कलम आदि नामों से भी पहचानी जाती है ।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए ।

प्रश्न 1.
आवेदन-पत्र लेनदारों को किस तरह उपयोगी है ?
उत्तर :
आवेदन-पत्र तीसरे पक्षकार के साथ कम्पनी के सम्बन्ध निश्चित करते है । कम्पनी जो कार्य करना चाहती है, वह जानकारी प्राप्त करके लेनदारो-व्यापारियों-बैंको उधार पूँजी देनी या नहीं इसके बारे में निर्णय ले सकती है ।

प्रश्न 2.
सार्वजनिक कम्पनी और निजी कम्पनी की स्थापना के लिए कम से कम कितने व्यक्ति होने चाहिए ?
उत्तर :
सार्वजनिक कम्पनी के लिए कम से कम 7 और निजी कम्पनी के लिए कम से कम 2 व्यक्ति चाहिए ।

प्रश्न 3.
रजिस्टर्ड ऑफिस में परिवर्तन हेतु प्रादेशिक डायरेक्टर के पास से अनुमति कब लेनी पड़ती है ?
उत्तर :
जब कम्पनी अपना रजिस्टर्ड ऑफिस एक रजिस्ट्रार के अधिकार क्षेत्र में से दूसरे रजिस्ट्रार के अधिकार क्षेत्र में परिवर्तन करे तब प्रादेशिक डिरेक्टर के पास से अनुमति लेनी पड़ती है ।

प्रश्न 4.
एक राज्य में से दूसरे राज्य में रजिस्टर्ड ऑफिस परिवर्तन किस तरह हो सकता है ?
उत्तर :
निम्न शर्तों के अधिन एक राज्य में से दूसरे राज्य में रजिस्टर्ड ऑफिस परिवर्तन कर सकते है ।
(1) ऐसे परिवर्तन के लिए केन्द्र सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है ।

(2) इस प्रकार के परिवर्तन के बारे में लेनदारों, ऋण-पत्रधारियों तथा अन्य सम्बन्धित व्यक्तियों का विरोध हो तो अरजी कर सकते है । जिस राज्य में रजिस्टर्ड ऑफिस परिवर्तन करनी हो उस राज्य के कम्पनी रजिस्ट्रार को बताना पड़ता है और परिवर्तन हुए नये पंजियन का प्रमाणपत्र लेना पड़ता है । केन्द्र सरकार की तरफ से मिली हुई अनुमति की प्रमाणित प्रति मिलने की तारीख से 30 दिन में रजिस्ट्रार को जरूरी फॉर्म में आवश्यक फीस के साथ पेश करना पड़ता है ।

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प्रश्न 5.
उद्देश्य की कलम के बारे में मर्यादाएँ बताइए ।
उत्तर :
उद्देश्य की कलम की मर्यादाएँ निम्नलिखित है :

  1. कम्पनी अधिनियम की व्यवस्थाओं के विरुद्ध कोई भी उद्देश्य नहीं रख सकती है ।
  2. कम्पनी का उद्देश्य सार्वजनिक नीति अथवा भारत के संविधान के विरुद्ध नहीं हो सकता ।
  3. उद्देश्य सामान्य कानून अथवा नियम के विरुद्ध नहीं हो सकता ।

प्रश्न 6.
आवेदन-पत्र में कितनी कलमें होती है ? व कौन-कौन-सी ?
उत्तर :
आवेदन-पत्र में 6 कलमें होती है ।

  1. नाम की कलम
  2. रजिस्टर्ड ऑफिस-पते की कलम
  3. उद्देश्य की कलम
  4. दायित्व की कलम
  5. पूँजी की कलम
  6. स्थापना की कलम

प्रश्न 7.
आवेदन-पत्र किन कम्पनियों को पंजिकृत करवाना पड़ता है ?
उत्तर :
सार्वजनिक कम्पनी और निजी कम्पनी के लिये आवेदन-पत्र पंजिकृत करवाना अनिवार्य होता है । यह दस्तावेज को पंजिकृत कराने के बाद ही पंजीकरण का प्रमाणपत्र प्राप्त होता है ।

प्रश्न 8.
आवेदन-पत्र की पूँजी की कलम में कौन-सी बात दर्शायी हुई होती है ?
उत्तर :
आवेदन-पत्र की पूँजी की कलम में कुल अधिकृत पूँजी कितनी है ? और किस प्रकार के अंशों में, कितने प्रमाण में विभाजित है यह दर्शाया जाता है ।

प्रश्न 9.
आवेदन-पत्र में सबसे महत्त्वपूर्ण कलम कौन-सी है ? क्यों ?
उत्तर :
आवेदन-पत्र में सबसे महत्त्वपूर्ण कलम उद्देश्य की कलम है । क्योंकि इससे कम्पनी का कार्यक्षेत्र स्पष्ट होता है । कम्पनी का मुख्य उद्देश्य, गौण उद्देश्य और अन्य कौन-सा उद्देश्य है यह इस कलम द्वारा स्पष्ट होता है । इसमें जो उद्देश्य दर्शाया जाता है इसके अलावा का कोई भी कार्य कम्पनी नहीं कर सकती और ऐसे कार्य करे तो अवैध माना जाता है । इस तरह कहा जाता है कि आवेदन-पत्र में उद्देश्य की कलम महत्त्वपूर्ण कहलाती है ।

प्रश्न 10.
‘कम्पनी की कार्यकारी पहचान आवेदन-पत्र द्वारा होती है’ विधान समझाइए ।
उत्तर :
यह विधान सही है । आवेदन-पत्र कम्पनी का मूलभूत दस्तावेज है, जिससे कम्पनी के बारे में सम्पूर्ण ख्याल आता है । कम्पनी कौन से कार्य करेगी, किस स्थान पर उसके सभी दस्तावेज प्राप्त होंगे और संचालक मिलेंगे, कितनी पूँजी से व्यवसाय करेगी तथा सदस्यों का दायित्व कैसा होगा आदि महत्त्वपूर्ण जानकारी आवेदन-पत्र द्वारा ही प्राप्त होती है । इसलिए कहा जाता है कि कम्पनी की कार्यकारी पहचान आवेदन-पत्र द्वारा होती है ।

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4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर महासर दीजिए ।

प्रश्न 1.
आवेदन-पत्र कम्पनी के लिए किस तरह उपयोगी है ?
उत्तर :
आवेदन-पत्र कम्पनी का मुख्य दस्तावेज है । आवेदन-पत्र कम्पनी की नींव है । आवेदन-पत्र कंपनी का संविधान व कार्यक्षेत्र दर्शाता है । जिसमें कम्पनी का नाम, उद्देश्य, पूँजी, दायित्व रजिस्टर्ड ऑफिस किस राज्य में रहेगा इत्यादि बातें दर्शायी हुई होती है । कम्पनी के आवेदन-पत्र में दर्शाए हुए उद्देश्य के अनुरूप ही कार्य करना होता है । यदि उद्देश्य के विरुद्ध कार्य करे तो ‘अधिकार क्षेत्र के बाहर का कार्य’ कहलाता है । कम्पनी की अधिकृत पूँजी कितनी है, सदस्यों का दायित्व सीमित है अथवा असीमित इस दस्तावेज से जान सकते हैं ।

प्रश्न 2.
कम्पनी के अंशधारियों को आवेदन-पत्र कौन-सा विश्वास देता है ?
उत्तर :
अंशधारियों द्वारा लगाई गई पूँजी का उपयोग आवेदन-पत्र में दर्शायी हुई प्रवृत्तियों में ही होगा, ऐसा विश्वास अंशधारियों को मिलता है। यदि इसके अनुसार कम्पनी कार्य न करे तो उन्हें अंशधारी अदालत में चुनौती दे सकते है । अंशधारियों का दायित्व जो शेयर खरीदे है, उनकी दार्शनिक कीमत जितनी ही सीमित रहेगी ऐसा निश्चित होने से सुरक्षा अथवा सलामती अनुभव करते है ।

प्रश्न 3.
कम्पनी किस प्रकार के नाम नहीं रख सकती है ?
उत्तर :
कम्पनी का नाम ऐसा नहीं रखा जाना चाहिए जो राज्य सरकार, केन्द्र सरकार अथवा स्थानिक स्वराज की संस्था के साथ संकलित है ऐसा विश्वास दिलाये अथवा राज्य सरकार या केन्द्र सरकार द्वारा स्थापित कम्पनी का भ्रम पैदा करे ऐसा नहीं होना चाहिए । जैसे राष्ट्रपिता, राष्ट्रपति, राज्यपाल, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री आदि ।

प्रश्न 4.
रजिस्टर्ड ऑफिस की कलम क्यों जरूरी है ?
उत्तर :
रजिस्टर्ड ऑफिस की कलम इसलिए जरूरी है कि कम्पनी के साथ के प्रत्येक पत्रव्यवहार रजिस्टर्ड ऑफिस के पते पर भेजे जाते है । रजिस्टर्ड ऑफिस के पते के आधार पर कौन-सी अदालत का कार्यक्षेत्र मालूम पड़ेगा, किस अदालत के अधिकार क्षेत्र में आयेगा इसकी स्पष्टता होती है । कम्पनी के सदस्य अन्य पक्षकार भी व्यक्तिगत रूप से दस्तावेज देखना चाहें तो देख सकते है अथवा अतिरिक्त जानकारी प्राप्त करना हो तो रजिस्टर्ड ऑफिस का सम्पर्क कर सकते है ।

प्रश्न 5.
उद्देश्य (ध्येय) की कलम की मर्यादाएँ बताइए ।
उत्तर :
उद्देश्य की कलम की मर्यादाएँ निम्नलिखित है :

  1. कम्पनी अधिनियम की व्यवस्थाओं के विरुद्ध कोई भी उद्देश्य नहीं रख सकती है ।
  2. कम्पनी का उद्देश्य सार्वजनिक नीति अथवा भारत के संविधान के विरुद्ध नहीं हो सकता ।
  3. उद्देश्य सामान्य कानून अथवा नियम के विरुद्ध नहीं हो सकता ।

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प्रश्न 6.
‘लिमिटेड’ अथवा ‘प्राईवेट लिमिटेड’ शब्द न लगाने की छूट किन्हें मिलती हैं ?
उत्तर :
कला, विज्ञान, संशोधन, सामाजिक कल्याण, धर्म, दान इत्यादि हेतु स्थापित कम्पनी का उद्देश्य लाभ कमाना नहीं होता । ऐसी कम्पनी लाभ कमाकर लाभांश का वितरण नहीं करनेवाली कम्पनी को ‘लिमिटेड’ या ‘प्राईवेट लिमिटेड’ शब्द लिखने से छूट मिलती है ।

प्रश्न 7.
नाम की कलम में किस तरह परिवर्तन हो सकता है ?
उत्तर :
कम्पनी के नाम की कलम में परिवर्तन करने के लिए विशेष प्रकार का प्रस्ताव पारित करना पड़ता है और केन्द्र सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है । केन्द्र सरकार की अनुमति लेने के 15 दिनों में कम्पनी रजिस्ट्रार को बताना पड़ता है । कम्पनी रजिस्ट्रार के रजिस्टर में कम्पनी का नया नाम लिखाना पड़ता है, परन्तु यदि कम्पनी के नाम के अन्त में ‘निजी’ (Private) दर्शाया जाए या कमी जाए तो केन्द्र सरकार से अनुमति नहीं लेनी पड़ती ।

प्रश्न 8.
नाम की कलम में परिवर्तन करने के लिए केन्द्र सरकार से अनुमति कब नहीं लेनी पड़ती ?
उत्तर :
यदि कम्पनी के नाम के अन्त में निजी (Private) शब्द लिखना हो अथवा कमी करना हो तो केन्द्र सरकार से अनुमति नहीं लेनी पड़ती है ।

प्रश्न 9.
दायित्व की कलम में परिवर्तन किस तरह हो सकता है ?
उत्तर :
दायित्व की कलम में परिवर्तन निम्न रूप से हो सकता है :

  1. शेयर के बकाया दायित्व में से, दायित्व कम किया जाए अथवा बकाया रहे शेयर का दायित्व कम किया जाए ।
  2. जो कम्पनी शेयर पूँजी से सीमित हो या गारन्टी द्वारा सीमित हो तब विशेष प्रस्ताव द्वारा शेयर पूँजी कम कर सकते है ।

प्रश्न 10.
पूँजी की कलम में किस तरह परिवर्तन हो सकता है ?
उत्तर :
शेयर पूँजी द्वारा सीमित कम्पनी को अपने नियमन-पत्र में परिवर्तन करने का अधिकार होता हो तब सामान्य सभा में ठहराव पारित करके आवेदन-पत्र में पूँजी की कलम में परिवर्तन कर सकते है । इस ठहराव द्वारा कम्पनी पूँजी की कलम में निम्न रूप से परिवर्तन कर सकती है ।

  • अधिकृत पूँजी में वृद्धि कर सकती है ।
  • शेयर का एकत्रीकरण करके अधिक मूल्यवाले शेयर का रूपान्तरण या कम मूल्य के शेयरों में विभाजन हो सकता है ।
  • आवेदन-पत्र में दर्शाए हुए सभी शेयर अथवा अमुक शेयर को कम मूल्य में परिवर्तन किया जाता है ।
  • जो शेयर कोई लेने को तैयार न हो तो उन्हें रद्द किया जाय एवं उतनी रकम की शेयर पूँजी की रकम को घटाया जाता है । शेयर पूँजी द्वारा सीमित कम्पनी या गारन्टी द्वारा सीमित कम्पनी में विशेष प्रस्ताव पारित करके शेयर पूँजी में कमी की जा सकती है । इसके साथ ही अदालत में अरजी करनी पड़ती है और यह स्वीकार होने के बाद ही कमी अमल में आती है ।

प्रश्न 11.
अधिकार क्षेत्र के बाहर के कार्यों के लिए संचालकों की जिम्मेदारी किस प्रकार की होती है ?
उत्तर :
अधिकार क्षेत्र के बाहर के कार्यों के लिए संचालक व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होते है ।

5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दीजिए ।

प्रश्न 1.
आवेदन-पत्र का अर्थ एवं इसके लक्षण बताइए ।
उत्तर :
आवेदन-पत्र अर्थात् कम्पनी का एक ऐसा मूलभूत दस्तावेज है, जो कम्पनी का कार्यक्षेत्र तय करता है । जो कम्पनी का संविधान कहलाता है । आवेदन-पत्र का उद्देश्य अंशधारियों, लेनदारों एवं कम्पनी के साथ सम्बन्ध रखनेवाले पक्षकारों को कम्पनी के उद्देश्यों के बारे में जानकारी देना है । अर्थ : ‘आवेदन-पत्र का उद्देश्य अंशधारकों, लेनदारों और कम्पनी के साथ सम्बन्ध रखनेवाले पक्षकारों को कम्पनी के ध्येय की जानकारी देना है।’

लक्षण :

  1. आवेदन-पत्र यह कम्पनी का मूलभूत दस्तावेज है ।
  2. यह कम्पनी का उद्देश्य दर्शाता है ।
  3. यह विभिन्न बाह्य पक्षकारों के लिए उपयोगी है ।
  4. आवेदन-पत्र द्वारा कम्पनी के अस्तित्व के बारे में तथा इसके रजिस्टर्ड ऑफिस के बारे में जानकारी देता है ।
  5. इसमें सरलता से परिवर्तन नहीं हो सकता ।
  6. आवेदन-पत्र यह कम्पनी का संविधान है ।

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प्रश्न 2.
आवेदन-पत्र की व्याख्या बताकर इसका महत्त्व समझाइए ।
उत्तर :
लार्ड केन्स के अनुसार व्याख्या : ‘आवेदन-पत्र यह कम्पनी का संविधान है, जो कानून द्वारा स्थापित कम्पनी के अधिकारियों की मर्यादा दर्शाता है । कम्पनी विभिन्न पक्षकारों के लिए किस तरह उपयोगी है यह आवेदन-पत्र के महत्त्व द्वारा स्पष्ट होता है जो कि निम्नलिखित है :
(1) कम्पनी के लिये
(2) निवेशकों के लिये
(3) जनसाधारण के लिये
(4) लेनदारों, व्यापारियों व बैंकों के लिये

(1) कम्पनी के लिये : आवेदन-पत्र कम्पनी का आधारभूत दस्तावेज है । इसमें कम्पनी का नाम, पता, उद्देश्य, दायित्व आदि विवरण । दर्शाया जाता है । कंपनी किस उद्देश्य से कार्य करेगी, मुख्य तथा गौण उद्देश्य क्या होगा ? कम्पनी की अधिकृत पूँजी कितनी है ? तथा सदस्यों का दायित्व सीमित है या असीमित है यह बताता है, जिसके आधार पर कम्पनी के साथ सम्बन्ध निश्चित होता है ।

(2) निवेशकों के लिये : निवेशक निवेश सम्बन्धी निर्णय लेते समय आवेदन-पत्र की उद्देश्य की कलम को ध्यान में रखते है । यह रकम किस प्रवृत्ति के लिए उपयोग की जायेगी तथा उनका दायित्व क्रय किये गये अंश की प्रत्यक्ष कीमत जितना सीमित रहेगा ऐसा निश्चित होने से वे सुरक्षा का अनुभव कर सकते हैं ।

(3) आमजनता / जनसाधारण के लिये : आमजनता कम्पनी के इस महत्त्वपूर्ण दस्तावेज का अध्ययन करके आवश्यक सूचना प्राप्त कर सकते हैं तथा प्रतिलिपि प्राप्त कर सकते हैं । और जो पता दर्शाया है उस पते पर पत्रव्यवहार आसानी से कर सकते है ।

(4) लेनदारों, व्यापारियों, बैकों के लिये : कम्पनी जो कार्य करना चाहती है वह जानकर रकम उधार देना है कि नहीं उसका निर्णय ले सकते हैं । व्यापारी किस सीमा तक अच्छे सम्बन्ध बनाना है यह निश्चित कर सकता है । बैंक भी ऋण देती है तब सुरक्षा के प्रश्न को ध्यान में रखकर देती है । उपरोक्त सभी पक्षकार रजिस्टर्ड ऑफिस के पते पर पत्रव्यवहार कर सकते है ।

प्रश्न 3.
आवेदन-पत्र में किन कलमों का समावेश होता है ? संक्षिप्त में समझाइए ।
अथवा
आवेदन-पत्र का अर्थ समझाकर उसमें दर्शायी गयी कलमें बताकर किन्हीं दो कलमों की चर्चा कीजिये ।
अथवा
आवेदन-पत्र की विभिन्न कलमें समझाइए ।
उत्तर :
स्थापना का प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए कम्पनी को जो दस्तावेज प्रस्तुत किये जाते है, उनमें आवेदन-पत्र (Memorandum of Association) एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज होता है । जो कि कम्पनी का संविधान माना जाता है तथा यह आधारभूत/मूलभूत दस्तावेज के रूप में पहचाना जा सकता है तथा यह आधारभूत/मूलभूत दस्तावेज के रूप में पहचाना जा सकता है । उसमें कम्पनी का कार्यक्षेत्र दर्शाया जाता है ।

एक निष्णांत द्वारा दिये गये अर्थ अनुसार : ‘आवेदन-पत्र यह कम्पनी का मूलभूत संविधान है, जिसके आधार पर कम्पनी को अधिकार प्राप्त होता है और इस अधिकार पर नियंत्रण किया जा सकता है ।’

दूसरे एक अर्थ के अनुसार : ‘आवेदन-पत्र का उद्देश्य अंशधारियों, लेनदारों और कम्पनी के साथ सम्बन्ध रखनेवाले पक्षकारों को कम्पनी के ध्येय की जानकारी देना है ।। व्याख्या – कम्पनी अधिनियम के अनुसार : ‘आवेदन-पत्र अर्थात् यह अथवा पूर्व के कम्पनी अधिनियम के अनुसार रचित अथवा समय समय की व्यवस्थाओं के अधीन किये परिवर्तन के अनुसार का आवेदन-पत्र ।’ उपरोक्त अर्थों को सामान्य अर्थ में इस तरह प्रस्तुत किया जा सकता है । ‘आवेदन-पत्र यह एक ऐसा दस्तावेज है या जो दर्शाता है कि अमुक निश्चित नामधारक कम्पनी किसी निश्चित राज्य में शेयरधारकों के सीमित दायित्व के साथ निश्चित उद्देश्य से स्थापित की गई है और इसमें हस्ताक्षर करनेवालों ने यह स्थापित की है ।’

आवेदन-पत्र की कलमें (Clause of Memorandum of Association) :
(1) नाम की कलम Name Clause
(2) रजिस्टर्ड ऑफिस की कलम Domicile Clause
(3) उद्देश्य/ध्येय की कलम Object Clause
(4) पूँजी की कलम Capital Clause
(5) दायित्व/उत्तरदायित्व की कलम Liability Clause
(6) स्थापना की कलम Association Clause

(1) नाम की कलम (Name Clause) : आवेदन-पत्र में सर्वप्रथम कम्पनी का नाम दर्शाया जाता है । कम्पनी के नाम से ही व्यावसायिक जगत में उसके अस्तित्व का मालूम पड़ता है । कम्पनी के नामकरण के सम्बन्ध में कम्पनी व्यवस्थाओं का पालन करके नाम रखा जाना चाहिए । जो कि निम्नलिखित है :

  • समान नाम अथवा अस्तित्ववाली कम्पनी का नाम नहीं होना चाहिए ।
  • ऐसा नाम अनिच्छनीय नहीं होना चाहिए ।
  • देश के नेता, राष्ट्रपति, राष्ट्रपिता, राज्यपाल या राष्ट्र की विभूति के नाम के साथ जुड़ा हुआ नहीं होना चाहिए ।
  • समाप्त हो गई कम्पनी अथवा दिवालिया घोषित हुई कम्पनी का नाम रद्द न हुआ हो तब तक उसके जैसा नाम रखा नहीं जा सकता ।
  • प्रत्येक सार्वजनिक कम्पनी या जिसकी अंशपूँजी सीमित दायित्व की हो तो ऐसी कम्पनी के नाम के अन्त में ‘लिमिटेड’ ‘Ltd’ और निजी कम्पनियों को ‘प्राइवेट लिमिटेड’ ‘Private Limited’ शब्द लगाना चाहिए ।
  • विदेश में कोई पंजिकृत हुई हो और भारत में कार्यरत हो ऐसी कम्पनी पर FEMA – Foreign Exchange Management Act विदेशी विनिमय संचालन अधिनियम लागू होता है तथा ऐसी कम्पनी को अपने नाम के अन्त में कोष्टक में ‘इण्डिया’ ‘India’ लिखकर ‘लिमिटेड’ या ‘प्राइवेट लिमिटेड’ शब्द लगाना चाहिए ।
  • यदि कोई कम्पनी कला, विज्ञान या धर्म के उद्देश्य से काम कर रही हो उनका उद्देश्य लाभ कमाना नहीं होता है । ऐसी कम्पनी लाभ कमाने पर भी लाभांश का वितरण नहीं करेगी ऐसा विश्वास दिलाकर पूर्व अनुमति प्राप्त करके नाम के अन्त में दर्शाये जानेवाले ‘लिमिटेड’, ‘प्राइवेट लिमिटेड’ शब्द से मुक्ति पा सकती है ।
  • कम्पनी द्वारा किये जानेवाले पत्रव्यवहार व.दस्तावेजों पर इस नाम का उपयोग कर सकती है ।

(2) रजिस्टर्ड कार्यालय की कलम (Domicile Clause) : जब कम्पनी आवेदन-पत्र तैयार करे तब उस कम्पनी का रजिस्टर्ड ऑफिस किस राज्य में व कहाँ बनाया जायेगा यह दर्शाना अनिवार्य है । इस रजिस्टर्ड पते के आधार पर यह निश्चित होता है कि कम्पनी किस राज्य की निवासी (Domicile) है तथा राष्ट्रीयता व किस न्यायालय का शासन लागू होगा, किस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में आयेगी वह स्पष्ट होता हैं । सभी पक्षकारों के लिए यह पता उपयोगी होता है । कानूनी रूप से रख्ने जानेवाले पत्रक, दस्तावेज इस स्थान पर रखे जाते है । निश्चित समय अवधि में सार्वजनिक जनता उसका अध्ययन कर सकती है अथवा उसकी जाँच कर सकती है तथा जरूरी सूचना प्राप्त कर सकती है ।

(3) ध्येय/उद्देश्य की कलम (Object Clause) : आवेदन-पत्र में सबसे महत्त्वपूर्ण कलम उद्देश्य की कलम कहलाती है । इस कलम के आधार पर कम्पनी का कार्यक्षेत्र जाना जा सकता है । कम्पनी का मुख्य उद्देश्य, गौण उद्देश्य व अन्य उद्देश्य क्या है यह इस कलम द्वारा तय होता है । जो उद्देश्य दर्शाया गया है उसके अलावा अन्य कोई कार्य कम्पनी नहीं कर सकती है और ऐसे कार्य अनधिकृत माने जाते है । ऐसे कार्य ‘सत्ता बाहर’ (Ultra Vires) के कार्य माने जाते है । कम्पनी के उद्देश्य के आधार पर निवेशक अपनी पूँजी लगाने के बारे में निर्णय लेते है । यदि निवेश किया जायेगा तो किस उद्देश्य के लिए उपयोग किया जायेगा, किस प्रवृत्ति में यह निवेश होगा यह इसी कलम द्वारा ज्ञात किया जा सकता है । यह उद्देश्य देश के प्रवर्तित कानून के विरुद्ध या देश हित के विरुद्ध नहीं होना चाहिए ।

(4) पूँजी की कलम (Capital Clause) : कम्पनी के आवेदन-पत्र में दर्शायी गयी और पूँजी नियामक/रजिस्ट्रार द्वारा मान्य की गई पूँजी को अधिकारी पूँजी/अधिकृत पूँजी/ स्थिर पूँजी (Authorised Capital) कहते है । ऐसी पूँजी के आधार पर पंजीकरण शुल्क चुकाना पड़ता है । कम्पनी स्वयं के अस्तित्व काल में ‘अधिकृत पूँजी’ से अधिक पूँजी निर्गमित नहीं कर सकती है । जब कम्पनी वर्तमान पत्र में विज्ञापन दे अथवा पत्रव्यवहार किया जाये तब अधिकृत पूँजी दर्शायी जाती है । इस कलम के आधार पर पूँजी कितनी है व किस प्रकार के अंशों में विभाजित है यह दर्शाया जाता है ।

(5) दायित्व/उत्तरदायित्व की कलम (Liability Clause) : इस कलम द्वारा सदस्यों का दायित्व सीमित होगा ऐसा विदित होता है । यदि कम्पनी अंशपूँजीवाली हो तब सदस्यों का दायित्व उनके द्वारा क्रय किये गये अंश के प्रत्यक्ष मूल्य तक सीमित रहेगा इसका उल्लेख किया जाता है । यदि कम्पनी जामिन द्वारा सीमित दायित्ववाली है तो उसके सदस्यों का दायित्व दी गई प्रतिभूति/जामिन जितना रहेगा । ऐसी कम्पनी पर आमजनता का विश्वास बना रहे, पूँजी प्राप्ति का कार्य सरल बने इसके लिये नियमन-पत्र में व्यवस्था हो, तो डायरेक्टर्स या मैनेजिंग डायरेक्टर लिखित सहमति प्राप्त करके उनका दायित्व असीमित बनाया जा सकता है । सीमित दायित्ववाली कम्पनी के सदस्यों का दायित्व में वृद्धि उनकी लिखित सहमति के बिना नहीं की जा सकती है ।

(6) स्थापना की कलम (Association Clause) : आवेदन-पत्र की यह अन्तिम कलम कहलाती है, जिन्हें हस्ताक्षर की कलम भी कह
सकते है । सार्वजनिक कम्पनी में कम से कम 7 और निजी कम्पनी में कम से कम 2 सदस्यों के हस्ताक्षर करके निवेदन दिया जाता है । इस तरह हस्ताक्षर करनेवाले व्यक्ति प्रवर्तक के रूप में कम्पनी स्थापित करना चाहते है, स्थापना कार्य में रुचि रखते है, इसी प्रकार उनके नाम के सामने जितने अंश दर्शाये गये है वे अंश क्रय करने की स्वीकृति दी है ऐसा सूचित करते है । जो व्यक्ति हस्ताक्षर किये है उन सदस्यों का नाम, पता, व्यवसाय का विवरण दर्शाया जाता है । इस प्रकार एक साक्षी की उपस्थिति में उन्होंने हस्ताक्षर किये है ऐसी सूचना दी जाती है । ऐसे हस्ताक्षर करनेवाले सदस्यों को ‘आद्य स्थापक’ कहा जाता है ।

GSEB Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 4 आवेदन पत्र

प्रश्न 4.
अधिकार क्षेत्र के बाहर के कार्य किसे कहा जाता है ? इसके असर बताइये ।
उत्तर :
कम्पनी के आवेदन-पत्र में जो उद्देश्य दर्शाया है इन्हीं कार्यक्षेत्र में रहकर कार्य कर सकते है । आवेदन-पत्र में दर्शाए हुए उद्देश्य के अलावा कम्पनी कोई भी कार्य नहीं कर सकती और जो कार्य किए जाए तो रद्द करने योग्य होते है । ऐसे कार्यों को अधिकार क्षेत्र के बाहर का कार्य’ (Ultra Vires) कहा जाता है । यदि अधिकार क्षेत्र के बाहर के कार्य किए जाए तो निम्न असर होते है :

  1. संचालक ऐसे कार्यों के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होते है ।
  2. अदालत ऐसे कार्यों को रोक नहीं सकती है ।
  3. अधिकार क्षेत्र के बाहर के कार्य अथवा करार रद्द करने योग्य होते है ।
  4. कम्पनी के कर्मचारी द्वारा अधिकार क्षेत्र के बाहर के कार्य के लिए कम्पनी जिम्मेदार होती है ।
  5. अधिकार क्षेत्र के बाहर के कार्यों के लिए संचालक तीसरे पक्ष के प्रति जिम्मेदार होते है ।

प्रश्न 5.
संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
1. नाम की कलम
2. रजिस्टर्ड ऑफिस की कलम
3. उद्देश्य की कलम
4. दायित्व की कलम
5. पूँजी की कलम
6. स्थापना की कलम
उत्तर :
उपरोक्त समस्त टिप्पणियों का उत्तर देखिए पिछले तीसरे प्रश्न के विभिन्न कलमों में ।

प्रश्न 6.
कम्पनी के प्रकार बताकर कौन से प्रकार के आवेदन-पत्र को कौन-सा टेबल लागू पड़ेगा बताइए ।
उत्तर :

कम्पनी का प्रकार

कंपनी कानून 2013 के अनुसार

आवेदन-पत्र का टेबल

1. शेयर पूँजी से सीमित कम्पनी टेबल A अनुसार
2. गारन्टी द्वारा सीमित दायित्ववाली कम्पनी या जिसकी शेयर पूँजी नहीं होती टेबल B अनुसार
3. गारन्टी द्वारा सीमित दायित्ववाली कम्पनी जिसने शेयर निर्गमित किए हो टेबल C अनुसार
4. असीमित दायित्ववाली कम्पनी जिसकी शेयर पूँजी नहीं होती टेबल D अनुसार
5. असीमित दायित्ववाली कम्पनी जिसके शेयर होते है टेबल E अनुसार

6. संक्षिप्त उत्तर दीजिए ।

प्रश्न 1.
कम्पनी के विषय में ‘Domicile’ ‘निवासी’ अर्थात् क्या ?
उत्तर :
प्रत्येक कम्पनी आवेदन-पत्र तैयार करे तब उस कम्पनी का रजिस्टर्ड कार्यालय किस में कहाँ बनाया जायेगा वह दर्शाना अनिवार्य है । इस रजिस्टर्ड पते के आधार पर कम्पनी किस राज्य की निवासी (Domicile) है यह निश्चित किया जा सकता है, राष्ट्रीयता जानी जा सकती
है । कम्पनी पर किस न्यायालय का शासन लागू होगा – किस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में वह आयेगी वह स्पष्ट होता है ।

प्रश्न 2.
‘अधिकृत पूंजी’ अर्थात् क्या ?
उत्तर :
कम्पनी के आवेदन-पत्र में दर्शायी गयी कुल पूँजी को अधिकृत पूँजी/सत्तावार पूँजी Authorised Capital कहते है । कम्पनी अपने अस्तित्व दौरान अधिक से अधिक इतनी पूँजी ही शेयरधारकों से प्राप्त कर सकती है ।

प्रश्न 3.
‘अधिकार बाहर का कृत्य’ अर्थात् क्या ?
उत्तर :
‘अधिकार बाहर का कृत्य अर्थात् कम्पनी के आवेदन-पत्र में दर्शाये गये उद्देश्य के अलावा यदि अतिरिक्त प्रवृत्ति या कार्य किये जाएँ तो उसे अधिकार बाहर का कृत्य Ultra Vires कहते हैं । ये कार्य के लिए कम्पनी को बन्धनकर्ता नहीं है । इन कार्यों की जिम्मेदारी सम्बन्धित संचालकों की होती है ।

GSEB Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 4 आवेदन पत्र

प्रश्न 4.
ध्येय की कलम में किन स्थितियों में परिवर्तन हो सकता है ?
उत्तर :
निम्न स्थिति में उद्देश्य/ध्येय की कलम में परिवर्तन हो सकता है :

  1. आवेदन-पत्र में दर्शित ध्येय को सीमित करना हो या त्याग करना हो ।
  2. नये साधनों द्वारा मुख्य ध्येय को पूरा करने के लिये ।
  3. व्यवसाय को सक्षमता से चलाने के लिए ।
  4. कामकाज के विस्तार को स्थानिक स्तर से बढ़ाने या परिवर्तन के लिये ।
  5. सम्पूर्ण व्यवसाय अथवा व्यवसाय का कोई भाग विक्रय करना हो या निकालने के लिये ।
  6. यदि कम्पनी अन्य कम्पनी के साथ संविलयन (Merger) करना चाहती हो तब ।

7. विधान समझाइए ।

प्रश्न 1.
कम्पनी कोई भी नाम रख सकती है ।
उत्तर :
कम्पनी कोई भी नाम तो रख सकती है, लेकिन जो नामवाली कम्पनी अस्तित्व में हो वैसी कम्पनी जैसा नाम नहीं रख सकती तथा मध्यस्थ सरकार/सरकार को अनिच्छनीय लगे ऐसा नाम भी नहीं रख सकती । इसके उपरान्त राष्ट्र के नेता, राष्ट्रपति, राष्ट्रपिता या राष्ट्र की विभूति के नाम के साथ जुड़ा हुआ नहीं होना चाहिए ।

प्रश्न 2.
आवेदन-पत्र आसानी से परिवर्तित न हो सके ऐसा दस्तावेज है ।
उत्तर :
आवेदन-पत्र कम्पनी का मूलभूत/आधारभूत दस्तावेज होता है जिसमें कम्पनी की महत्त्वपूर्ण जानकारी दर्शायी जाती है । इसमें आसानी से परिवर्तन नहीं किया जा सकता । आवेदन-पत्र में विभिन्न कलमों में आवश्यक जानकारी में परिवर्तन करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रस्ताव पारित करके, न्यायालय या मध्यस्थ सरकार की अनुमति प्राप्त करके, रजिस्ट्रार को सूचित करके कानूनी लम्बी विधि से गुजरना होता है तथा समय भी लगता है, इस तरह कहा जा सकता है कि आवेदन-पत्र आसानी से परिवर्तित न हो सके ऐसा दस्तावेज है ।

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