GSEB Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 5 नियमन पत्र

Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 11 Commercial Correspondence and Secretarial Practice Chapter 5 नियमन पत्र Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 5 नियमन पत्र

GSEB Class 11 Secretarial Practice नियमन पत्र Text Book Questions and Answers

स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिये गये विकल्पों में से सही विकल्प पसन्द करके दीजिए ।

प्रश्न 1.
नियमन-पत्र में इनमें से कौन-सी बात निश्चित होती है ?
(A) कम्पनी के उद्देश्य निश्चित करता है ।
(B) कम्पनी और सदस्यों के परस्पर सम्बन्ध नियंत्रित करता है ।
(C) कम्पनी और तीसरे पक्ष के मध्य सम्बन्ध निश्चित करता है ।
(D) कम्पनी और सरकार के मध्य सम्बन्ध निश्चित करता है ।
उत्तर :
(B) कम्पनी और सदस्यों के परस्पर सम्बन्ध नियंत्रित करता है ।

प्रश्न 2.
नियमन-पत्र के सम्बन्धों में इनमें से कौन-सा असत्य है ?
(A) उद्देश्य निश्चित करने के बारे में नियम
(B) शेयर किस्त के बारे में नियम
(C) संचालक मण्डल के अधिकार-कर्तव्य
(D) शेयर परिवर्तन के बारे में नियम
उत्तर :
(A) उद्देश्य निश्चित करने के बारे में नियम

प्रश्न 3.
कम्पनी का आन्तरिक प्रशासन के लिए कौन-सा दस्तावेज है ?
(A) आवेदन-पत्र है ।
(B) विज्ञापन-पत्र है ।
(C) नियमन-पत्र है ।
(D) कम्पनी सेक्रेटरी एक्ट है ।
उत्तर :
(C) नियमन-पत्र है ।

प्रश्न 4.
कम्पनी को व्यक्तित्व किस तरह प्राप्त होता है ?
(A) स्वयं प्राप्त होता है ।
(B) रजिस्ट्रार के पास आवश्यक दस्तावेज पंजिकृत करवाके कानूनी स्वरूप में मिलता है ।
(C) अंशधारियों द्वारा मिलता है ।
(D) संचालक मण्डल द्वारा मिलता है ।
उत्तर :
(B) रजिस्ट्रार के पास आवश्यक दस्तावेज पंजिकृत करवाके कानूनी स्वरूप में मिलता है ।

प्रश्न 5.
असीमित दायित्ववाली कम्पनी जिसमें शेयर पूँजी न हो तब इनमें से कौन-सा नियमन-पत्र लागू पड़ता है ?
(A) Table I
(B) Table H
(C) Table F
(D) Table J
उत्तर :
(D) Table J

GSEB Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 5 नियमन पत्र

प्रश्न 6.
निजी कम्पनी के शेयर परिवर्तन पर …………………………………
(A) स्वतंत्र होता है ।
(B) सदस्य आपस में ही कर सकते है ।
(C) परिवर्तन पर नियंत्रण रखा जाता है ।
(D) परिवर्तन कर ही नहीं सकते ।
उत्तर :
(C) परिवर्तन पर नियंत्रण रखा जाता है ।

प्रश्न 7.
शेयर पूँजी से असीमित दायित्ववाली कम्पनी को कौन-सा नियमन-पत्र लागू पड़ता है ?
(A) Table I
(B) Table F
(C) Table G
(D) Table H
उत्तर :
(A) Table I

प्रश्न 8.
आन्तरिक प्रशासन का सिद्धान्त अर्थात् ………………………..
(A) जिससे शेयरधारकों को खबर होती हैं कि कम्पनी में क्या चल रहा है ।
(B) जिसमें संचालक मण्डल को खबर होती है कि कम्पनी का संचालन किस तरह हो रहा है ।
(C) जिसमें कर्मचारी को खबर होती है कि कम्पनी का प्रशासन व्यवस्थित चल रहा है ।
(D) जिसमें त्राहित पक्ष मान लेता है कि कम्पनी का आन्तरिक प्रशासन नियमित और व्यवस्थित चलता है ।
उत्तर :
(D) जिसमें त्राहित पक्ष मान लेता है कि कम्पनी का आन्तरिक प्रशासन नियमित और व्यवस्थित चलता है ।

प्रश्न 9.
गारन्टी द्वारा सीमित दायित्ववाली कम्पनी कि जिसने शेयर निर्गमित न किए हो तो कौन-सा नियमन-पत्र लागू पड़ता है ?
(A) Table G
(B) Table H
(C) Table I
(D) Table J
उत्तर :
(B) Table H

प्रश्न 10.
शेयर द्वारा सीमित कम्पनी के लिए कौन-सा नियमन-पत्र लागू पड़ता है ?
(A) Table F
(B) Table G
(C) Table I
(D) Table H
उत्तर :
(A) Table F

प्रश्न 11.
इनमें से कौन-सी कम्पनी को नियमन-पत्र बनाना अनिवार्य होता है ?
(A) सार्वजनिक कम्पनी
(B) निजी कम्पनी
(C) शासक कम्पनी
(D) सरकारी कम्पनी
उत्तर :
(B) निजी कम्पनी

प्रश्न 12.
जब अंशपूँजी द्वारा सीमित दायित्ववाली सार्वजनिक कम्पनी नियमन-पत्र पंजिकृत न करे तब इनको अनिवार्य रुप से क्या लागू पड़ता है ?
(A) टेबल अ
(B) स्थानापन्न का कथन
(C) विज्ञापन पत्र
(D) कानूनी सूचना
उत्तर :
(A) टेबल अ

GSEB Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 5 नियमन पत्र

प्रश्न 13.
नियमन-पत्र इनमें से कैसा दस्तावेज कहलाता है ?
(A) स्वैच्छिक
(B) मुख्य
(C) सहायक
(D) सरकारी
उत्तर :
(C) सहायक

प्रश्न 14.
नियमन-पत्र की कुछ बातों में परिवर्तन करने के लिये अनुमति लेनी पड़ती हैं ?
(A) राज्य सरकार की
(B) विदेशी सरकार की
(C) शेयरधारकों की
(D) केन्द्र सरकार की
उत्तर :
(D) केन्द्र सरकार की

प्रश्न 15.
सुधार की गई नियमन-पत्र की प्रति रजिस्ट्रार को प्रस्ताव पारित करने के कितने महिने में भेजनी पड़ती हैं ?
(A) 2 महिने में
(B) 3 महिने में
(C) 6 महिने में
(D) 12 महिने में
उत्तर :
(B) 3 महिने में

प्रश्न 16.
नियमन-पत्र में परिवर्तन के लिए सभा में विशेष प्रस्ताव पारित करने हेतु कितने % बहुमति से पारित करना पड़ता है ?
(A) 70
(B) 75
(C) 80
(D) 90
उत्तर :
(B) 75

प्रश्न 17.
नियमन-पत्र में परिवर्तन करने के लिए अंशधारकों की सभा कितने दिन का नोटिस देकर बुलानी पड़ती है ?
(A) 15
(B) 25
(C) 21
(D) 50
उत्तर :
(C) 21

प्रश्न 18.
नियमन-पत्र में परिवर्तन करने के लिये किस प्रकार का प्रस्ताव पारित करना पड़ता है ?
(A) सामान्य प्रस्ताव
(B) विशेष प्रस्ताव
(C) अवैधानिक प्रस्ताव
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(B) विशेष प्रस्ताव

प्रश्न 19.
टेबल ‘अ’ का उपयोग किसके विकल्प के रूप में होता है ?
(A) विज्ञापन-पत्र
(B) नियमन-पत्र
(C) आवेदन-पत्र
(D) बदले का निवेदन
उत्तर :
(B) नियमन-पत्र

प्रश्न 20.
आवेदन-पत्र एवं नियमन-पत्र एकदूसरे के है ।
(A) विरुद्ध
(B) पूरक
(C) विरुद्ध व पूरक दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(B) पूरक

GSEB Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 5 नियमन पत्र

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए ।

प्रश्न 1.
नियमन-पत्र में जो परिवर्तन किया जाए तब कितने दिन में रजिस्ट्रार के समक्ष पंजिकृत करवाना पड़ता है ?
उत्तर :
नियमन-पत्र में जो परिवर्तन किया जाए वह 30 दिनों में रजिस्ट्रार के समक्ष पंजिकृत करवाना पड़ता है ।

प्रश्न 2.
गारन्टी से सीमित दायित्ववाली कम्पनी के सदस्यों का दायित्व कैसा होता है ?
उत्तर :
गारन्टी से सीमित दायित्ववाली कम्पनी के सदस्यों का दायित्व उनके द्वारा क्रय किये गये शेयरों की दार्शनिक कीमत तक गारन्टी दी हो वहाँ तक होती है ।

प्रश्न 3.
असीमित दायित्व कौन से सदस्यों का होता है ?
उत्तर :
शेयर पूँजीवाली असीमित दायित्ववाली कम्पनी सदस्यों का दायित्व असीमित होता है ।

प्रश्न 4.
नियमन-पत्र में परिवर्तन करने के लिए शेयरधारकों को कितने दिन पहले नोटिस भेजना पड़ता है ?
उत्तर :
नियमन-पत्र में परिवर्तन करने के लिए शेयरधारकों को 21 दिन पहले नोटिस भेजना पड़ता है ।

प्रश्न 5.
नियमन-पत्र के लिए कम्पनी कानून में कितने टेबल है ?
उत्तर :
नियमन-पत्र के लिए कम्पनी कानून में 5 टेबल है ।

प्रश्न 6.
निजी कम्पनी में अधिक से अधिक कितनी सदस्य संख्या हो सकती है ?
उत्तर :
निजी कम्पनी में अधिक से अधिक 200 सदस्य संख्या हो सकती है ।

GSEB Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 5 नियमन पत्र

प्रश्न 7.
निजी कम्पनी में कम से कम कितनी सदस्य संख्या होनी चाहिए ?
उत्तर :
निजी कम्पनी में कम से कम 2 सदस्य संख्या होनी चाहिए ।

प्रश्न 8.
सदस्यों के मध्य कौन-सा दस्तावेज सम्बन्ध निश्चित करता है ?
उत्तर :
सदस्यों के मध्य नियमन-पत्र सम्बन्ध निश्चित करता है ।

प्रश्न 9.
नियमन-पत्र में परिवर्तन किस तरह हो सकता है ?
उत्तर :
कम्पनी कानून की व्यवस्थाओं के अधीन एवं आवेदन-पत्र की शर्तों के अन्तर्गत रहकर विशेष प्रस्ताव पारित करके नियमन-पत्र में परिवर्तन हो सकता है ।

प्रश्न 10.
नियमन-पत्र बनाना कौन-सी कम्पनी के लिए अनिवार्य नहीं ?
उत्तर :
अंशपूँजी से सीमित दायित्ववाली कम्पनी के लिए नियमन-पत्र बनाना अनिवार्य नहीं होता ।

प्रश्न 11.
टेबल ‘अ’ की व्याख्या कौन-सी कम्पनियों के लिए लागू पड़ती है ?
उत्तर :
जो कम्पनियाँ नियमन-पत्र तैयार नहीं करती है उन कम्पनियों को टेबल ‘अ’ की व्यवस्था लागू पड़ती है ।

प्रश्न 12.
कम्पनी धारा की व्यवस्थाओं के अनुसार आवेदन-पत्र और नियमन-पत्र कैसे दस्तावेज है ?
उत्तर :
कम्पनी धारा की व्यवस्थाओं के अनुसार आवेदन-पत्र और नियमन-पत्र एक सार्वजनिक दस्तावेज है ।

GSEB Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 5 नियमन पत्र

प्रश्न 13.
नियमन-पत्र किसके मध्य के आन्तरिक सम्बन्ध निश्चित करते है ?
उत्तर :
नियमन-पत्र कम्पनी और शेयरधारकों के मध्य आन्तरिक सम्बन्ध निश्चित करता है ।

प्रश्न 14.
नियमन-पत्र में कौन-सी व्यवस्थाओं के विरुद्ध कोई कार्य नहीं हो सकता ?
उत्तर :
नियमन-पत्र में आवेदन-पत्र की व्यवस्थाओं के विरुद्ध कोई कार्य नहीं हो सकता ।

प्रश्न 15.
नियमन-पत्र की परिभाषा कम्पनी अधिनियम अनुसार दीजिए ।
उत्तर :
नियमन-पत्र अर्थात् कम्पनी का स्वयं का तैयार किया गया अथवा इस कानून या इससे पूर्व के कम्पनी के कानून के अन्तर्गत किये गये परिवर्तनों सहित कम्पनी का नियमन-पत्र ।

प्रश्न 16.
नियमन-पत्र में परिवर्तन करने से किसकी वित्तीय जिम्मेदारी में वृद्धि नहीं होनी चाहिए ?
उत्तर :
नियमन-पत्र में परिवर्तन करने से शेयरधारकों की वित्तीय जिम्मेदारी में वृद्धि नहीं होनी चाहिए ।

प्रश्न 17.
नियमन-पत्र में हुये परिवर्तन की प्रतिलिपि रजिस्ट्रार के समक्ष कितने दिन में पंजिकृत करानी पड़ती है ?
उत्तर :
संशोधित नियमन-पत्र की प्रतिलिपि विशेष प्रस्ताव पारित करने के 30 दिनों में कम्पनी रजिस्ट्रार के समक्ष पंजिकृत करानी पड़ती है ।

प्रश्न 18.
संशोधित नियमन-पत्र की प्रतिलिपि रजिस्ट्रार को कब तक भेजनी पडती है ?
उत्तर :
संशोधित नियमन-पत्र की प्रतिलिपि विशेष प्रस्ताव पारित होने के 3 महिने में प्रेषित करनी पड़ती है ।

GSEB Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 5 नियमन पत्र

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए ।

प्रश्न 1.
नियमन-पत्र में कौन से परिवर्तन हेतु ट्रिब्यूनल की अनुमति लेनी पड़ती है ?
उत्तर :
निजी में से सार्वजनिक, सार्वजनिक में से निजी में परिवर्तन हेतु विशेष प्रस्ताव पारित करके एवं अमुक संजोगों में ट्रिब्युनल की अनुमति
लेनी पड़ती है ।

प्रश्न 2.
नियमन-पत्र का अर्थ बताइए । एवं इसकी व्याख्या दीजिए ।
उत्तर :
पंजीकरण के प्रमाणपत्र में द्वितीय महत्त्वपूर्ण दस्तावेज नियमन-पत्र होता है । नियमन-पत्र में कम्पनी के आन्तरिक संचालन के नियम
और कानून दर्शाता है । आवेदन-पत्र में मुख्य उद्देश्य सिद्ध करने के लिए जो प्रवृत्तियाँ तय होती है वह प्रवृत्तियाँ किस तरह चलाई जायेगी और प्रवृत्तियाँ करनेवाले के लिए कौन-से नियम होंगे तथा अंशधारियों के और संचालकों के अधिकार व कर्तव्य, अंशों में परिवर्तन, डिविडन्ड, ऑडिट, मीटिंग आदि नियम नियमन-पत्र में दर्शाये जाते है ।

परिभाषाएँ : कम्पनी अधिनियम के अनुसार : ‘नियमन-पत्र अर्थात् कम्पनी का स्वयं का तैयार किया गया अथवा इस कानून या इससे पूर्व के कम्पनी के कानून के अर्थात किये गये परिवर्तनों सहित कम्पनी का नियमन-पत्र ।’

लॉर्ड केइन्स के अनुसार : ‘नियमन-पत्र कम्पनी के आन्तरिक प्रशासन व दैनिक संचालन के नीति-नियम दर्शानवाला महत्त्व का दस्तावेज है ।’

सरल शब्दों में : ‘नियमन-पत्र कम्पनी के आन्तरिक संचालन का नियमन करनेवाला नियमों का एक समूह है ।’

जिस कम्पनी ने नियमन-पत्र तैयार किया न हो उस कम्पनी के प्रसंग में Table ‘A’ की व्यवस्थायें लागू होती है । कम्पनी के नियमन

पत्र में यदि किन्हीं व्यवस्थाओं का समावेश न हुआ हो तो इस सम्बन्ध में Table ‘A’ में दर्शायी गई व्यवस्थाये लागू होती है ।

प्रश्न 3.
कृत्रिम व्यक्तित्व का निर्माण करने के लिए कौन से दरतावेज जरूरी है ?
उत्तर :
कृत्रिम व्यक्तित्व का निर्माण करने के लिए आवेदन-पत्र एवं नियमन-पत्र जरूरी है ।

प्रश्न 4.
नियमन-पत्र में परिवर्तन कब अमल में आता है ?
उत्तर :
शेयरधारकों की सामान्य सभा में विशेष प्रस्ताव पारित करके परिवर्तन किया जाता है । विशेष परिस्थिति में ही ट्रिब्युनल की अनुमति .
लेनी पड़ती है ।

प्रश्न 5.
दैनिक प्रशासन में नियमन-पत्र किस तरह उपयोगी है ?
उत्तर :
आवेदन-पत्र में दर्शाए हुए कार्यक्षेत्र की मर्यादा में रहकर योग्य प्रशासन (प्रबन्ध) और संचालन हेतु आवश्यक नीति-नियम दर्शाए जाते है । जिसके आधार पर कम्पनी का दैनिक प्रशासन चलता है ।

प्रश्न 6.
‘आवेदन-पत्र और नियमन-पत्र परस्पर पूरक है ।’ विधान समझाइए ।
उत्तर :
यह विधान सही है । आवेदन-पत्र कम्पनी का संविधान और कार्यक्षेत्र निश्चित करता है । जबकि नियमन-पत्र इस संविधान और कार्यक्षेत्र की मर्यादा में रहकर कम्पनी की आन्तरिक प्रबन्ध व्यवस्था के नियम निर्धारित करता है । आवेदन-पत्र से कम्पनी के उद्देश्य तथा उसे सिद्ध करने के लिए कौन-सी प्रवृत्तियाँ होगी यह निश्चित किया जाता है । जबकि नियमन-पत्र द्वारा इन प्रवृत्तियों को कैसे अमल में लाया जायेगा यह निश्चित किया जाता है । इसलिए कहा जाता है कि आवेदन-पत्र और नियमन-पत्र परस्पर पूरक है ।

प्रश्न 7.
आन्तरिक प्रबन्ध का सिद्धान्त (Doctrine of Indoor Management) विधान समझाइए ।
उत्तर :
कम्पनी के नियमन-पत्र में कम्पनी के आन्तरिक नियम दर्शाये हुए होते है । यह दस्तावेज कम्पनी का सार्वजनिक दस्तावेज है । कम्पनी के साथ सम्बन्ध रखनेवाले अथवा व्यवहार करनेवाले व्यक्ति को इस नियमन-पत्र की व्यवस्थाओं का ज्ञान है ऐसा कानूनी रूप से मान लिया जाता है । इस नियम को आन्तरिक प्रबन्ध का सिद्धान्त कहते हैं ।

GSEB Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 5 नियमन पत्र

प्रश्न 8.
आवेदन-पत्र और नियमन-पत्र दोनों सार्वजनिक दस्तावेज है । किस तरह ?
उत्तर :
पंजीकरण का प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए इन दोनों दस्तावेजों को रजिस्ट्रार के समक्ष पंजिकृत करना पड़ता है । पंजिकृत होने पर यह दोनों दस्तावेज सार्वजनिक बन जाते है । इसलिए सार्वजनिक जनता में से कोई भी व्यक्ति इन दोनों दस्तावेजों की जाँच कर सकता है तथा आवश्यक लगे तो निश्चित फीस/शुल्क भरकर इसकी प्रति भी प्राप्त कर सकता है । कम्पनी के साथ व्यवहार करते समय । ऐसा मान लिया जाता है कि व्यक्ति को आवेदन-पत्र और नियमन-पत्र की व्यवस्थाओं की जानकारी है ।

प्रश्न 9.
नियमन-पत्र कम्पनी का सहायक/गौण दस्तावेज है ।
उत्तर :
आवेदन-पत्र और नियमन-पत्र ये दोनों कम्पनी की स्थापना के लिए महत्त्वपूर्ण दस्तावेज कहलाते है । आवेदन-पत्र कम्पनी का संविधान है, जबकि नियमन आवेदन-पत्र की तुलना में गौण दस्तावेज है, क्योंकि आवेदन-पत्र द्वारा कम्पनी का कार्यक्षेत्र निश्चित किया जाता है जबकि नियमन-पत्र में कम्पनी के आन्तरिक प्रबन्ध/प्रशासन के नियम दर्शाता है ।

प्रश्न 10.
MA, AA, MS, SEBI के विस्तृत रूप लिखिए ।

  1. MA = Memorandum of Association
  2. AA = Articles of Association (3) MS = Minimum Subscription
  3. SEBI = Security Exchange Board of India

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर मुद्दासर दीजिए ।

प्रश्न 1.
Table J कौन-सी कम्पनी को लागू पड़ता है ?
उत्तर :
Table J टेबल J असीमित दायित्ववाली कम्पनी जिसमें शेयरपूँजी न हो उसमें लागू पड़ता है ।

प्रश्न 2.
टेबल I किसको लागू पड़ता है ?
उत्तर :
टेबल I शेयर पूँजीवाली असीमित दायित्ववाली कम्पनी को लागू पड़ता है ।

प्रश्न 3.
टेबल H कौन-सी कम्पनी को लागू पड़ता है ?
उत्तर :
टेबल H गारन्टी द्वारा सीमित दायित्ववाली कम्पनी जिसने शेयर बाहर निर्गमित न किये हो उसमें लागू पड़ता है ।

प्रश्न 4.
टेबल G में किन बातों का समावेश किया जा सकता है ?
उत्तर :
जिस कम्पनी के सदस्यों का दायित्व आवेदन-पत्र अनुसार उनके द्वारा क्रय किये गये शेयरों की दार्शनिक कीमत तक गारन्टी दी हो ऐसी कम्पनी गारन्टी द्वारा सीमित, शेयर पूँजीवाली कम्पनी कहा जाता है ।

ऐसी कम्पनी का रजिस्ट्रेशन करवाते समय सदस्य संख्या 100 होनी चाहिए । परन्तु संचालक मण्डल की आवश्यकतानुसार समय समय पर कम्पनी की सदस्य संख्या में वृद्धि करने की आवश्यकता है । इस प्रकार की कम्पनी को इस कलम के अलावा टेबल F को स्वीकार करना होता है ।

प्रश्न 5.
सेक्रेटरी के लिए नियमन-पत्र किस तरह उपयोगी है ?
उत्तर :
नियमन-पत्र सेक्रेटरी के लिए बहुत उपयोगी है । कम्पनी के दैनिक अलग-अलग शब्दों का अर्थघटन, शेयर का वितरण किस तरह करना, शेयर की किस्त किस तरह मंगाना, शेयर जप्ती, शेयर परिवर्तन किस तरह करना इसके बारे में नियमन-पत्र में निर्धारित नियम सेक्रेटरी को कार्यालय व्यवस्था में और कम्पनी के संचालन में उपयोगी होता है, इतना ही नहीं बल्कि हिसाब से सम्बन्धी जानकारी, संचालक मण्डल, ऑडिटर आदि अधिकारियों की नियुक्ति, उनके अधिकार, कर्तव्य आदि के बारे में नियम सेक्रेटरी को आसानी से मार्गदर्शन देते है ।

GSEB Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 5 नियमन पत्र

प्रश्न 6.
आन्तरिक प्रशासन (प्रबन्ध) के सिद्धान्तों के अपवाद बताइए ।
उत्तर :
आन्तरिक प्रबन्ध के सिद्धान्त के अपवाद : निम्नलिखित होते है :

  1. जब बाह्य पक्षकारों को आन्तरिक विधि सम्बन्धी निरीक्षण करने के लिये स्पष्ट रूप से बताया गया हो ।
  2. कम्पनी की तरफ से प्रस्तुत किया गया दस्तावेज नकली हो तब ।
  3. जब बाह्य पक्षकारों के पास ऐसी जानकारी हो कि कम्पनी ने आन्तरिक प्रबन्ध सम्बन्धी विधि का पालन नहीं किया है ।
  4. जब कम्पनी के अधिकारी ने कोई ऐसा कार्य किया हो जो प्रत्यक्ष रूप से अधिकार क्षेत्र के बाहर का कार्य हो ।
  5. कम्पनी के साथ काम करनेवाले व्यक्ति को जाँच करना अनिवार्य बनता हो और वो जाँच न करे तब इस सिद्धान्त का लाभ नहीं मिलता ।

5. निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर विस्तारपूर्वक दीजिए ।

प्रश्न 1.
आन्तरिक प्रबन्ध (प्रशासन) का सिद्धान्त किसे कहा जाता है ?
उत्तर :
कम्पनी के नियमन-पत्र में कम्पनी के आन्तरिक नियम दर्शाए हुए होते है । यह दस्तावेज कम्पनी का सार्वजनिक दस्तावेज है । कम्पनी के साथ सम्बन्ध रखनेवाले अथवा व्यवहार करनेवाले व्यक्ति को इस नियमन-पत्र की व्यवस्थाओं का ज्ञान है । ऐसा कानूनी रूप से । मान लिया जाता है । इस नियम को आन्तरिक प्रबन्ध का सिद्धांत कहते हैं ।

प्रश्न 2.
नियमन-पत्र में परिवर्तन के बारे में सेक्रेटरी के कर्तव्य बताइए ।
उत्तर :
नियमन-पत्र में परिवर्तन करने सम्बन्धी सचिव/सेक्रेटरी कर्तव्य निम्न हैं :

  1. अंशधारियों की सामान्य सभा आयोजित करने की नोटिस तैयार करके सभा के 21 दिन पूर्व अंशधारियों को प्राप्त हो ऐसी व्यवस्था करनी ।
  2. सामान्य सभा का आयोजन करने सम्बन्धी कार्यवाही करना । नियमन-पत्र में परिवर्तन विशेष प्रस्ताव द्वारा ही किया जा सकता है । इसलिए विशेष प्रस्ताव पारित करने सम्बन्धी विधि का पालन करना है ।
  3. सभा की कार्य सूचि तैयार करके नियमन-पत्र में सूचित परिवर्तन करना हो उसको समाविष्ट करना ।
  4. सामान्य सभा का लेखन तैयार करके उसमें विशेष प्रकार के लेखन को समाविष्ट करना ।
  5. सभा में विशेष प्रस्ताव पारित होने के 30 दिनों में रजिस्ट्रार के समक्ष विशेष प्रस्ताव की प्रति पंजिकृत करवाना ।
  6. जिस किसी मामले में ट्रिब्यूनल की अनुमति की आवश्यकता हो तो उनकी व्यवस्था करनी पड़ती है ।
  7. जो परिवर्तन किया जाए उसका समावेश नियमन-पत्र में करके, नियमन-पत्र की नई प्रिन्टेड प्रति निर्धारित समय मर्यादा में रजिस्ट्रार के समक्ष पंजिकृत करवानी पड़ती है । रजिस्ट्रार के समक्ष पंजियन कराने के बाद ही परिवर्तन अमल में आता है ।

प्रश्न 3.
टेबल F में किन बातों का समावेश किया जाता है ?
उत्तर :
टेबल F में निम्न बातों का समावेश होता है :

  1. कम्पनी अधिनियम 2013 में दिये गये पद या शब्दों का अर्थघटन
  2. कम्पनी की सामान्य मुहर (सार्वमुद्रा) और उनका उपयोग के बारे में समझ अथवा नियम
  3. शेयर पूँजी के बारे में व्यवस्थाएँ
  4. शेयर पर के कम्पनी के विशेष अधिकार (लियन) के बारे में नियम
  5. शेयर की किस्त के बारे में नियम
  6. शेयर परिवर्तन के बारे में नियम
  7. शेयर प्रेषण के नियम (Transmission – in case of Death)
  8. शेयर जप्ती के बारे में नियम
  9. शेयरपूँजी में परिवर्तन के बारे में नियम
  10. लाभ के पुनः विनियोग के बारे में नियम
  11. शेयर पूँजी की वापस आय (Buy Back) के बारे में नियम
  12. सामान्य सभा के बारे में नियम
  13. सामान्य सभा संचालन के बारे में नियम
  14. सभा स्थगित करने की विधि
  15. मताधिकार के बारे में नियम व स्पष्टीकरण
  16. प्रोक्सी के बारे में नियम
  17. संचालक मण्डल के बारे में नियम
  18. संचालकों की संख्या और उनका प्रतिफल के बारे में नियम
  19. संचालक मण्डल सभा संचालन की विधि
  20. सार्वमुद्रा का कहाँ उपयोग करना और उनकी देखरेख के बारे में नियम
  21. लाभांश के बारे में नियम व मार्गदर्शिका
  22. अनामत कोष के बारे में नियम
  23. हिसाब के बारे में नियम
  24. कम्पनी का समापन अथवा फडचे में ले जाने की विधि
  25. अधिकारियों की गारन्टी के बारे में नियम

प्रश्न 4.
नियमन-पत्र के बारे में कम्पनी अधिनियम की व्यवस्था बताइए ।
उत्तर :
निम्न बातों का समावेश होता है :

  1. आवेदन-पत्र में हस्ताक्षर करनेवाले प्रत्येक व्यक्ति को नियमन-पत्र में हस्ताक्षर करना पड़ता है ।
  2. हस्ताक्षर करनेवाले का पता, धन्धा और आवश्यक विवरण बताना पड़ता है ।
  3. हस्ताक्षर कम से कम एक साक्षी के सामने करना पड़ता है ।
  4. नमूने के रूप में दिये गये नियमन-पत्र में समाविष्ट समस्त नियमों अथवा किसी नियम को कम्पनी स्वीकार कर सकती है ।
  5. कम्पनी नियमन-पत्र की व्यवस्थाओं का पालन करने के लिए बन्धनकर्ता है । कम्पनी सदस्यों की तरफ जिम्मेदारी से हट नहीं सकती।
  6. आवेदन-पत्र की व्यवस्थाओं के विरुद्ध नियमन-पत्र में कोई कलम नहीं रख सकते ।
  7. निजी कम्पनी को उनके नियमन-पत्र में निम्न तीन विशेषताएँ दर्शानी पड़ती है ।
    (i) कम्पनी की सदस्य संख्या कम से कम 2 अधिक से अधिक 200 रहेगी ।
    (ii) शेयर के परिवर्तन पर नियंत्रण रखा जाता है ।
    (iii) कम्पनी अपने शेयर क्रय करने हेतु आम जनता को आमंत्रण नहीं दे सकती ।
  8. कम्पनी के साथ सम्बन्ध रखनेवाले व्यक्ति नियमन-पत्र से अवगत है ऐसा कानून अनुसार माना जाता है । ऐसा कोई भी व्यक्ति नियमन पत्र के बारे में आवश्यक फीस भरकर प्रति भी प्राप्त कर सकता है ।
  9. कम्पनी अधिनियम की व्यवस्थाओं के अधीन, आवेदन-पत्र की शर्तों के अधीन विशेष प्रस्ताव पारित करके अपने नियमन-पत्र में परिवर्तन कर सकते है ।
  10. नियमन-पत्र में स्थापक के रूप में दर्शाए गए व्यक्तियों का सोगन्दनामा में अपनी कम्पनी की स्थापना, रचना या व्यवस्थापन सम्बन्ध के किसी भी गुनाह में अपने को गुनहगार साबित नहीं हुआ है इस प्रकार का निवेदन देना पड़ता है ।

GSEB Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 5 नियमन पत्र

प्रश्न 5.
आवेदन-पत्र और नियमन-पत्र के बीच अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर :
आवेदन-पत्र और नियमन-पत्र के बीच अन्तर निम्न बिन्दुओं द्वारा समझ सकते है ।

अन्तर का मुद्दा आवेदन-पत्र M/A नियमन-पत्र A/A
(1) अर्थ (1) आवेदन-पत्र कम्पनी का संविधान है, जिसके आधार पर कम्पनी को अधिकार प्राप्त होता है तथा अधिकार पर नियंत्रण रखा जाता है । (1) नियमन-पत्र यह कम्पनी के आन्तरिक प्रबन्ध और दैनिक संचालन के नियमों को दर्शानेवाला दस्तावेज है ।
(2) दस्तावेज का प्रकार (2) यह कम्पनी का संवैधानिक दस्तावेज है, जो कि कम्पनी का मूलभूत दस्तावेज है । (2) नियमन-पत्र कम्पनी के आन्तरिक प्रबन्ध सम्बन्धी नियम दर्शाता है ।
(3) सम्बन्ध (3) कम्पनी का बाह्य व्यक्तियों तथा आम जनता के साथ बाह्य सम्बन्ध निश्चित करता है । (3) कम्पनी और अंशधारियों के मध्य आन्तरिक सम्बन्ध निश्चित करता है ।
(4) सर्वोपरि (4) आवेदन-पत्र यह सर्वोपरी दस्तावेज है । नियमन-पत्र की व्यवस्थायें आवेदन-पत्र का उल्लंघन नहीं कर सकती है । (4) नियमन-पत्र यह पूरक और सहायक दस्तावेज है । आवेदन-पत्र की सीमा में ही नियमन-पत्र की व्यवस्थाएँ की जाती है ।
(5) विवरण (5) आवेदन-पत्र में नाम की कलम. पता. उद्देश्य, पँजी. दायित्व व स्थापना की कलम के बारे में विवरण दर्शाया जाता है । (5) नियमन-पत्र यह आन्तरिक प्रबन्ध सम्बन्धी दर्शाता है । इसमें आवेदन-पत्र जैसी कलमें नहीं होती है लेकिन इसमें अंशपूँजी, सभा, संचालकों, हिसाब-किताब सम्बन्धी व्यवस्थाएँ स्पष्ट की जाती है ।
(6) परिवर्तन (6) आवेदन-पत्र में आसानी से परिवर्तन नहीं कर सकते । इसकी परिवर्तन की विधि अतिलम्बी, अटपटी व खर्चीली है । विशेष प्रस्ताव के बाद  कम्पनी लॉ बोर्ड की और/अथवा न्यायालय की अनुमति भी प्राप्त करनी पड़ती है । (6) नियमन-पत्र यह आन्तरिक प्रबन्ध सम्बन्धी पूरक दस्तावेज होने से इसमें कानूनी व्यवस्थाओं का पालन करके आसानी से परिवर्तन कर सकते है । अंशधारियों की सामान्य सभा में प्रस्ताव पारित करके नियमन-पत्र में परिवर्तन किया जा सकता है ।
(7) अधिकार की मर्यादा (7) आवेदन-पत्र के अधिकार के उल्लंधन के कार्यों को बाद में भी मान्य नहीं रख सकते हैं । इसलिए इन्हें अधिकार बाहर के कार्य कहते है । (7) नियमन-पत्र के अधिकार का उल्लंघन के कार्य यदि आवेदन-पत्र के अधिकार की सीमा में हो, तो उनके बाद में स्वीकृति दी जा सकती है ।
(8) स्पष्टता (8) कम्पनी के कार्यक्षेत्र की स्पष्टता करता है । (8) आवेदन-पत्र में दर्शाये गये उद्देश्यों को किस तरह पूरा किया जायेगा इसकी स्पष्टता करता है ।
(9) कम्पनी का पंजियन (9) प्रत्येक कम्पनी को रजिस्ट्रेशन का प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए यह दस्तावेज बनाना अनिवार्य है । (9) शेयर पूँजी से सीमित दायित्ववाली सार्वजनिक कम्पनियों के लिए यह स्वैच्छिक दस्तावेज है । यदि दस्तावेज न बनाएँ तो टेबल F अपना सकती है ।
(10) पंजियन अनिवार्य (10) कम्पनी रजिस्ट्रार के पास पंजिकृत करवाना अनिवार्य है । (10) यदि Table F अपनाए तो यह दस्तावेज पंजिकृत करवाना अनिवार्य नहीं है ।

प्रश्न 6.
टिप्पणी लिखिए : नियमन-पत्र में परिवर्तन
उत्तर :
कम्पनी के नियमन-पत्र में परिवर्तन के लिए निम्न बातों को ध्यान में रखा जाता है ।
(1) कम्पनी अधिनियम के अनुसार निम्न परिवर्तन करने के लिए विशेष प्रस्ताव पारित करना पड़ता है तथा ट्रिब्युनल की अनुमति लेनी .
पड़ती है ।
(A) निजी कम्पनी का सार्वजनिक कम्पनी में परिवर्तन
(B) सार्वजनिक कम्पनी का निजी कम्पनी में परिवर्तन

सार्वजनिक कम्पनी का निजी कम्पनी में परिवर्तन होता है तो ऐसा परिवर्तन ट्रिब्युनल की अनुमति के बाद ही अमल में आयेगा । यह समस्त परिवर्तन आवेदन-पत्र में समाविष्ट शर्तों के अधीन है ।

(2) कम्पनी अधिनियम के अनुसार कोई निजी कम्पनी अपने आर्टिकल्स में इस तरह से परिवर्तन करे जिससे निजी कम्पनी के नियमनपत्र में समाविष्ट मर्यादाएँ या नियंत्रण हट जाए तो वह उस तारीख से निजी कम्पनी के रूप में इनका अंत आता है ।

(3) संचालक, मेनेजिंग डायरेक्टर या पूर्ण समय के डायरेक्टर के प्रतिफल में वृद्धि करने के लिए सुधार करना हो तो विशेष प्रस्ताव पारित करना पड़ता है ।

(4) सर्वोपरि प्राप्त व्यवस्थाओं के विरुद्ध कोई परिवर्तन नहीं हो सकता ।

(5) भारत में प्रवर्तमान कानूनों के विरुद्ध कोई परिवर्तन नहीं हो सकता ।

(6) आवेदन-पत्र के विरुद्ध कोई परिवर्तन नहीं हो सकता ।

(7) सदस्यों के साथ में धोखाघड़ी, विश्वासघात अथवा जोर जबरदस्ती हो ऐसे परिवर्तन कोई भी नहीं किये जा सकते है ।

(8) नियमन-पत्र में किया जानेवाला परिवर्तन कम्पनी के हित में किया जाना चाहिए ।

(9) कम्पनी अधिनियम के विरुद्ध कोई भी परिवर्तन नहीं हो सकता है ।

प्रश्न 7.
टेबल H में किन बातों का समावेश किया जाता है ?
उत्तर :
टेबल H में निम्न बातों का समावेश किया जाता है :

  1. सदस्य संख्या : कम्पनी के पंजियन के लिए सदस्य संख्या एक सौ की आवश्यकता होती है । कम्पनी की व्यवसाय की आवश्यकता के अनुसार सदस्यों की संख्या में वृद्धि कर सकते है ।
  2. सामान्य सभा : सामान्य सभा के अलावा की समस्त सभाएँ विशेष सभाएँ मानी जाती है ।
  3. सामान्य सभा संचालन के बारे में नियम
  4. मताधिकार के बारे में नियम
  5. सभा स्थगित करने की विधि (Adjornment of Meeting)
  6. सार्वमुद्रा (Common Seal) के बारे में नियम
  7. संचालक मण्डल और उनकी सभाओं के बारे में नियमन
  8. मुख्य प्रबन्धकीय अधिकारी, प्रबन्धक, कम्पनी सेक्रेटरी, मुख्य वित्तीय अधिकारी – उनकी नियुक्ति – उनको निष्कासन करने के बारे में नियम

प्रश्न 8.
नियमन-पत्र में किन बातों का समावेश होता है ?
उत्तर :
नियमन-पत्र में निम्न बातों का समावेश होता है :

  1. जो प्राथमिक करार हुए है उनको स्वीकार किया है या नहीं
  2. शेयर की संख्या और उनकी दार्शनिक मूल्य
  3. शेयर किस्त के बारे में नियम
  4. शेयर परिवर्तन के बारे में विभिन्न नियम
  5. शेयर की बकाया रकम के बारे में कम्पनी का लियन
  6. शेयर का प्रेषण और शेयर जप्ती के बारे में नियम
  7. असीमित दायित्ववाली कम्पनी में सदस्यों की संख्या और उसमें लगाई पूँजी
  8. निजी कम्पनी में शेयर हस्तांतरण पर नियंत्रण (9) कम्पनी की सामान्य सभा के बारे में नियम
  9. संचालक मण्डल के अधिकार तथा कर्तव्य
  10. लाभांश (Dividend) सम्बन्धी नियम

GSEB Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 5 नियमन पत्र

प्रश्न 9.
नियमन-पत्र का महत्त्व (Importance of Articles of Association) समझाइए ।
उत्तर :
नियमन का महत्त्व निम्न बिन्दुओं के आधार पर समझा जा सकता है :
(1) दैनिक प्रबन्ध में उपयोगी
(2) सेक्रेटरी के लिये विशेष उपयोगी
(3) उद्देश्य की प्राप्ति में उपयोगी
(4) विविध सम्बन्ध निश्चित करने में उपयोगी
(5) कम्पनी स्वरूप निश्चित करने में उपयोगी

(1) दैनिक प्रबन्ध में उपयोगी : नियमन-पत्र में कम्पनी के आन्तरिक प्रबन्ध/संचालन सम्बन्धी नीति-नियमों’ को दर्शाया जाता है । उपरोक्त
नियमों के आधार पर ही कम्पनी का दैनिक संचालन होता है ।

(2) सेक्रेटरी के लिये विशेष उपयोगी : सेक्रेटरी के लिये भी नियमन-पत्र विशेष महत्त्ववाला दस्तावेज कहलाता है । दैनिक कार्य में अलग अलग शब्दों का अर्थघटन अंशधारकों के अधिकारों और दायित्वों, अंशों का वितरण, हफ्ता, जप्ती, स्थानान्तरण सम्बन्धी नियम, कार्यालय व्यवस्था और कम्पनी संचालन में उपयोगी होता है । सदस्यों सम्बन्धी व्यवस्थायें, हिसाब सम्बन्धी नियम, संचालक, ऑडिटर आदि अधिकारियों की नियुक्ति, अधिकार, दायित्व आदि के नियम सेक्रेटरी की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण हैं ।

(3) उद्देश्य की प्राप्ति में उपयोगी : कम्पनी का उद्देश्य आवेदन-पत्र में दर्शाया हुआ होता है जबकि नियमन-पत्र में इन उद्देश्यों को पूर्ण करने सम्बन्धी जानकारी दी हुई होती है । इसी तरह अंश पूँजी सम्बन्धी प्राथमिक जानकारी आवेदन-पत्र में होती है । जबकि विभिन्न प्रकार अंशधारियों के अधिकार और कर्तव्य नियमन-पत्र में दर्शाये हुए होते हैं । इस प्रकार नियमन-पत्र यह आवेदन-पत्र का पूरक दस्तावेज माना जाता है ।

(4) विविध सम्बन्ध स्थापित करने में उपयोगी : नियमन-पत्र कम्पनी तथा सदस्यों के बीच का सदस्यों का कम्पनी सम्बन्धी अधिकार की दृष्टि से एकदूसरे के सम्बन्ध तय करता है ।

(5) कम्पनी स्वरूप निश्चित करने में उपयोगी : नियमन-पत्र एक ऐसा दस्तावेज है, जिसके आधार पर कम्पनी सार्वजनिक कम्पनी है या निजी कम्पनी यह निश्चित किया जा सकता है ।

Leave a Comment

Your email address will not be published.