GSEB Solutions Class 6 Hindi पुनरावर्तन

Gujarat Board GSEB Solutions Class 6 Hindi पुनरावर्तन Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 6 Hindi पुनरावर्तन

GSEB Solutions Class 6 Hindi पुनरावर्तन Textbook Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
हमारे मन में कैसी भावना होनी चाहिए?
उत्तर :
हमारे मन में किसी से बदला लेने की भावना नहीं होनी चाहिए।

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प्रश्न 2.
हस्ताक्षर करने के बाद गाँधी जी ने क्या लिखा?
उत्तर :
हस्ताक्षर करने के बाद गाँधीजी ने लिखा, तुम्हारे इन आभूषणों की अपेक्षा “तुम्हारा त्याग ही सच्चा आभूषण है।”

प्रश्न 3.
हमें पुस्तकें क्यों पढ़नी चाहिए?
उत्तर :
पुस्तकें हमें ज्ञान देती हैं। वे हमें अच्छे – बुरे की पहचान कराती हैं। किताबों से हमारी जिज्ञासा की पूर्ति होती है। ज्ञान – विज्ञान को गतिमान रखने का काम पुस्तकें ही करती हैं। पुस्तकों से सच्ची मित्रता का लाभ अवश्य मिलता है। इस तरह हमारे जीवन में पुस्तकों का बहुत महत्त्व है।

प्रश्न 4.
समय और शक्ति की बचत कैसे होती है?
उत्तर :
कम्प्यूटर जैसे वैज्ञानिक उपकरणों के प्रयोग से समय और शक्ति की बचत होती है।

प्रश्न 5.
खलीफ़ा ने हसन को अपने दरबार में क्यों बुलाया?
उत्तर :
एक दिन खलीफा अपना भेष बदलकर शहर में घूम रहे थे। एक जगह उन्होंने कुछ लड़को को ‘न्यायालय का खेल’ खेलते हुए देखा। वे छिपकर उनका खेल देखने लगे। जो लड़का न्यायाधीश बना था, उसकी समझदारी और निर्णय करने की पद्धति उन्हें बहुत अच्छी लगी। उन्हें लगा कि अली ख्वाजा और वाजिद के झगड़े को यह लड़का सुलझा सकता है। इसलिए उन्होंने हसन को अपने दरबार में बुलाया।

प्रश्न 6.
देवेन्द्र ने भिखारी के लिए क्या किया?
उत्तर :
अंधा और बूढ़ा भिखारी राह के बीच पड़ा कराह रहा था। देवेन्द्र ने उसे वहाँ से उठाकर फूटपाथ पर बिठाया, जो रोटी बाहर गिर गई थी, वह कटोरे में डाल दी। सड़क पर उसके बिखर गए पैसे भी कटोरे में डाल दिए। भिखारी के पाँव में लगे घाव से खून बह रहा था। इसलिए देवेन्द्र उसे सहारा देकर अस्पताल ले गया और वहाँ उसने भिखारी को भरती करा दिया।

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2. निम्नलिखित परिच्छेद को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

जीवन में खेल बहुत जरूरी है। खेल से मनोरंजन मिलता है। हमारी तंदुरस्ती ठीक होती है। हम कभी बीमार नहीं पड़ते। रोज़ खेलने से खाया हुआ अन्न पच जाता है और शरीर में स्फूर्ति आती है। खेल हमारे सारे शरीर को मज़बूत बनाते हैं और हमारा दिमाग तेज़ करते हैं। जो लड़के नहीं खेलते वे आलसी और बीमार रहते हैं। खेलते समय हमें अपने साथियों का ख्याल रखना पड़ता है। उनसे हम खूब मिल-जुलकर खेलते हैं। जिससे हममें कई अच्छी आदतें आप ही आप आ जाती हैं। ये आदतें आगे जाकर हमारे लिए बड़ी लाभकारक होती है, इसलिए पढ़ाई के साथ-साथ खेल पर भी पूरा जोर देना चाहिए।

प्रश्न 1.
जीवन में खेल क्यों जरूरी है?
उत्तर :
खेल से मनोरंजन होता है, तंदुरस्ती ठीक रहती है और हम निरोगी रहते हैं। खाया हुआ अन्न खेलने से पच जाता है और शरीर में स्फूर्ति रहती है। खेल से शरीर मज़बूत और दिमाग तेज़ बनता है। इसलिए जीवन में खेल जरूरी है।

प्रश्न 2.
खेल के अभाव में क्या होता है?
उत्तर :
खेल के अभाव में शरीर में आलस्य रहता है और भोजन का पाचन ठीक से नहीं होता। इससे हमारा शरीर स्वस्थ नहीं रहता और हम बीमार तथा कमजोर रहते हैं।

प्रश्न 3.
पढ़ाई के साथ खेल पर जोर देना चाहिए? क्यों?
उत्तर :
हाँ, पढ़ाई के साथ खेल पर भी जोर देना चाहिए, क्योंकि खेलते समय हम साथियों के साथ मिल – जुलकर खेलते हैं। हम साथियों का ख्याल रखते हैं। इससे हममें अपने आप कई अच्छी आदतें आ जाती हैं। ये आदतें हमारे भावी जीवन में बहुत उपयोगी साबित होती हैं।

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प्रश्न 4.
परिच्छेद का योग्य शीर्षक दीजिए।
उत्तर :

  • खेल का महत्त्व
  • खेल से लाभ

3. निम्नलिखित विषय पर अपने विचार लिखिए :

(1) विज्ञान का महत्त्व
(2) देवेन्द्र की मानवता
(3) हसन का सच्चा न्याय
उत्तर :
(1) विज्ञान का महत्त्व : विज्ञान ने दुनिया को अनेक उपहार दिए हैं। रेल, मोटर, विमान, हेलिकॉप्टर जैसे यातायात के साधन हमें विज्ञान ने ही दिए हैं। पानी के जहाज (जलपोत), स्टीमरें, पनडुब्बियों भी उसी ने दी है। जिस बिजली से हमारे जीवन को तरह – तरह की सुविधाएँ मिली हैं, वह भी विज्ञान की ही देन है। विज्ञान से हमें अनेक जीवनरक्षक दवाएँ मिली हैं।

आधुनिक शल्यचिकित्सा ने बहुतों को नया जीवन दिया है। आज खेती की नई – नई पद्धतियों का विकास हुआ है। इससे देश में अनाज, शाक – सब्जी, फल आदि का उत्पादन बढ़ा है। ट्रैक्टर से खेती करना बहुत आसान हो गया है। यदि विज्ञान न होता तो पुस्तकों की छपाई कैसे होती?

तरह – तरह की मशीनें कैसे बनती? सिनेमा, दूरदर्शन, टेलीफोन, कम्प्यूटर, मोबाइल आदि हमें विज्ञान से ही मिले हैं। इसलिए विज्ञान का जितना महत्त्व बताया जाए, उतना कम है।

(2) देवेन्द्र की मानवता : देवेन्द्र को परीक्षा देने के लिए शीघ्र स्कूल पहुँचना था। परंतु रास्ते में उसे एक अंधा, बूढ़ा और अपाहिज भिखारी कराहता हुआ मिला। उसके पैर से खून बह रहा था। देवेन्द्र ने सोचा कि इसे तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए। सहारा देकर वह लाचार भिखारी को अस्पताल ले गया और वहाँ उसे भरती कराया। भिखारी के इलाज का प्रबंध करने के बाद वह परीक्षा देने स्कूल पहुँचा।

मानव – सेवा के लिए उसने परीक्षा की चिन्ता नहीं की। उसने भिखारी की जिन्दगी को परीक्षा से अधिक महत्त्व दिया। इस प्रकार, देवेन्द्र ने अपनी मानवता का परिचय दिया।

(3) हसन का सच्चा न्याय : वाजिद ने अली ख्वाजा की पाँच सौ मोहरें ले ली थी। सबूत न होने से काजी भी उसे चोर साबित नहीं कर सका था। खलीफा ने यह मामला हसन को सौंपा। हसन ने सूझबूझ से काम लिया। उसने तेलियों द्वारा तेल की जाँच कराई और साबित कर दिया कि वाजिद ने ख्वाजा का तेल निकाल लिया था और घड़े में दूसरा तेल भरा था। उसीने घड़े से ख्वाजा की मोहरें ले ली थीं। इस प्रकार, बालक होने के बावजूद हसन ने अक्लमंदी से काम लिया और सच्चा न्याय किया।

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4. अपने मित्र को जन्मदिन की बधाई देता हुआ पत्र लिखिए।
उत्तर :
25, लक्ष्मीमंगल
गोमतीपुर,
अहमदाबाद – 380021
14 नवंबर, 2013
प्रिय मित्र सुदीप,
सप्रेम नमस्ते।
17 नवंबर को तुम्हारा जन्मदिन हैं। तुम्हें मेरी खूब – खूब बधाइयाँ।

मित्र, मुझे तुम्हारे जन्मदिन की पार्टी का निमंत्रण – पत्र मिला है। उसमें यदि मैं शामिल होता तो यह मेरे लिए बड़ी खुशी की बात होती। परंतु उसी दिन मेरी बुआ के बेटे की शादी है। पूरा परिवार उसमें शामिल होगा। सबके साथ मुझे भी जाना पड़ेगा। इसलिए मैं तुम्हारी पार्टी में नही आ सकूँगा। आशा है, तुम मुझे माफ कर दोगे।

एक बार फिर बधाई।

तुम्हारा मित्र,
सुहास सोलंकी

5. कहावतों का अर्थ लिखिए :
प्रश्न 1.
उलटा चोर कोतवाल को डाँटे
उत्तर :
अपराधी द्वारा निर्दोष को धमकाना।

प्रश्न 2.
आसमान से गिरा खजूर में अटका
उत्तर :
एक मुसीबत से छूटकर दूसरी मुसीबत में फँसना।

प्रश्न 3.
जैसी करनी वैसी भरनी
उत्तर :
अपने किए हुए बुरे काम का फल भुगतना।

6. निम्नांकित चित्रों को देखकर कहानी का निर्माण कीजिए :
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उत्तर:
भलाई का बदला

जंगल में एक तालाब था। एक दिन एक चींटी तालाब के किनारे घूम रही थी। उसी समय पानी की एक लहर आई। चींटी लहर के साथ तालाब में बहने लगी।

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तालाब के किनारे एक पेड़ था। उस पर एक कबूतर बैठा हुआ था। उसने चींटी को बहते हुए देखा। उसने तुरंत वृक्ष से एक पत्ता तोड़ा और तालाब में डाला। पत्ता चींटी के पास गिरा। चींटी पत्ते पर चढ़कर तालाब के किनारे आ गई। उसने कबूतर को धन्यवाद दिया।

एक दिन जंगल में एक शिकारी आया। उसने पेड़ की डाल पर बैठे हुए कबूतर पर निशाना साधा। चींटी ने यह देखा। वह तुरंत शिकारी के पास पहुंची।

उसने शिकारी के पैर में काट लिया। शिकारी दर्द से चीखा। उसकी चीख सुनकर कबूतर उड़ गया। इस तरह चींटी ने कबूतर की जान बचाई।

सच है, भलाई का बदला भलाई से चुकाना चाहिए।

7. आप हररोज जो क्रियाएँ करते हैं, उनकी सूची बनाकर वाक्य लिखिए।
उत्तर:

  • जागना : मैं सुबह छः बजे जागता हूँ।
  • नहाना : मैं सुबह सवा छः बजे नहाता हूँ।
  • खाना : मैं स्कूल में आकर एक बजे खाना खाता हूँ।
  • पढ़ना : लिखना: मैं तीन बजे से पाँच बजे तक पढ़ता – लिखता हूँ।
  • देखना : मैं शाम को कुछ समय दूरदर्शन के कार्यक्रम देखता हुँ।
  • खेलना : मैं शाम को एक घंटा मित्रों के साथ खेलता हूँ।
  • सोना : मैं रात को दस बजे सोता हूँ।

8. निम्नलिखित परिच्छेद का मातृभाषा में अनुवाद कीजिए :

कुछ दिनों के बाद अली ख्वाजा मक्का की यात्रा से वापस आया। घर में अपना सामान रखकर वह सीधा वाजिद के घर गया और अपनी यात्रा की सारी बातें बताईं। फिर तेल का घड़ा लेकर वह घर आ गया। जब उसने घड़े का तेल निकालकर देखा तो उसके पैरों तले से ज़मीन ही खिसक गई। वह सिर पकड़कर बैठ गया, क्योंकि घड़े में एक भी सोने की मोहर नहीं थी। वह सोचने लगा, अब क्या किया जाए?
उत्तर :
અનુવાદ
થોડા દિવસો પછી અલી ખ્વાજા મક્કાની યાત્રાએથી પાછો આવ્યો. ઘરમાં પોતાનો સામાન મૂકીને તે સીધો વાજિદને ઘેર ગયો અને પોતાની યાત્રાની બધી વાત કરી. પછી તેલનો ઘડો લઈને તે ઘેર આવ્યો. જ્યારે તેણે ઘડાનું તેલ કાઢીને જોયું તો તેના પગ નીચેથી જમીન જ સરકી ગઈ. તે માથું પકડીને બેસી ગયો, કારણ કે ઘડામાં એક પણ સોનામહોર નહોતી. તે વિચારવા લાગ્યો કે હવે શું કરવું?

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खेलें हम खेल

शिक्षक निम्नलिखित कोष्ठक के आधार पर कक्षा में खेल खेलवाएंगे। यह खेल दो प्रकार से हो सकता है:
(1) अंक आधारित खेल
(2) वर्ण आधारित खेल।
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समानार्थी शब्द बनाना :
(1) वसुधा
(2) पथ
(3) मधुबन
(4) गगन
(5) बरकत
(6) आनंद
(7) निशा
(8) शान
(9) पुष्प
(10) सूरज
(11) पक्षी
(12) आदमी
(13) आँख
(14) ईश्वर
(15) पानी

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लिंग – परिवर्तनः
(1) सेवक
(2) अभिनेता
(3) कवि
(4) लेखक
(5) नाई
(6) प्रज्ञावान
(7) मोर
(8) इन्द्राणी
(9) आचार्य
(10) नर
(11) वर
(12) भगवान
(13) पुजारी
(14) सेठानी
(15) मालिक

विरोधी शब्द बनाना :
(1) आदर
(2) जीवन
(3) अंधकार
(4) मान
(5) सुंदर
(6) विश्वास
(7) सार्थक
(8) नूतन

वचन – परिवर्तन करना :
(1) पुस्तक
(2) लता
(3) गुरु
(4) स्त्री
(5) सड़क
(6) बेटा
(7) आँख
(8) कपड़ा

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यह खेल खेलने के लिए पासा आवश्यक है।

(1) पासा फेंकने पर मिलनेवाले दो अंकों को जोड़कर जो अंक मिलेगा उस क्रम में दिए हुए शब्द का समानार्थी शब्द छात्र को देना होगा। (इसी प्रकार लिंग परिवर्तन के लिए खेल खेलें।) पासा फेंकने पर मिलनेवाले दो अंकों के अन्तर से जो अंक मिलता है, उस अंक पर दिए गए शब्द का विरोधी शब्द देना होगा। (इसी प्रकार वचन परिवर्तन के लिए खेल खेलें।)

(2) पासा फेंकने पर मिलनेवाले दो वर्ण के उपयोग से तीन/चार वर्णों से बननेवाले अर्थपूर्ण शब्द बनाइए। जैसे ज – ल = जल, जलज, जलपान, बिजली, बजरंगबली…

सूचना :
शिक्षक शब्द बदलकर नये शब्दों के लिए भी खेल खेला सकते हैं।
इस प्रकार पाये जाने वाले वर्ण लेकर विभिन्न प्रकार के शब्द बनवा सकते हैं :

जैसे कि – घर की चीज-वस्तुएँ
– पाठशाला की वस्तुएँ
– वैज्ञानिक उपकरण
– संचार के साधन
– यातायात के साधन
– पशु-पक्षी के नाम
उत्तर:
समानार्थी शब्द बताइए:
(1) वसुधा = पृथ्वी, धरती
(2) पथ = रास्ता, मार्ग
(3) मधुबन = बगीचा, उपवन
(4) गगन = आकाश, नभ
(5) बरकत = लाभ, बढ़ती, फायदा
(6) आनंद = प्रसन्नता, खुशी
(7) निशा = रात, रजनी
(8) शान = शोभा, प्रतिष्ठा
(9) पुष्प = फूल, सुमन
(10) सूरज = सूर्य, रवि
(11) पक्षी = खग, विहग
(12) आदमी = मनुष्य, इन्सान
(13) आँख = नेत्र, लोचन
(14) ईश्वर = भगवान, परमात्मा
(15) पानी = जल, नीर

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विरोधी शब्द बताइए:
(1) आदर ✗ निरादर
(3) अंधकार ✗ प्रकाश
(5) सुंदर ✗ असुंदर, कुरूप
(7) सार्थक ✗ निरर्थक
(2) जीवन ✗ मृत्यु
(4) मान ✗ अपमान
(6) विश्वास ✗ अविश्वास
(8) नूतन ✗ पुरातन

लिंग बदलिए:
(1) सेवक – सेविका
(2) अभिनेता – अभिनेत्री
(3) कवि – कवयित्री
(4) लेखक – लेखिका
(5) नाई – नाइन
(6) प्रज्ञावान – प्रज्ञावती
(7) मोर – मोरनी
(8) इन्द्राणी – इन्द्र
(9) आचार्य – आचार्या
(10) नर – नारी
(11) वर – वधू
(12) भगवान – भगवती
(13) पुजारी – पुजारिन
(14) सेठानी – सेठ
(15) मालिक – मालकिन

वचन – परिवर्तन कीजिए:
(1) पुस्तक – पुस्तकें
(2) लता – लताएँ
(3) गुरु – गुरु
(4) स्त्री – स्त्रियाँ
(5) सड़क – सड़कें
(6) बेटा – बेटे
(7) आँख – आँखें
(8) कपड़ा – कपड़े

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पुनरावर्तन स्व-अध्ययन

प्रश्न 1.
इस पहेली में यातायात के ग्यारह साधनों के नाम छिपे हैं। बताओ तो जानें।
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उत्तर:

  • ऊँट
  • बैलगाड़ी
  • टमटम
  • ताँगा
  • स्कूटर
  • मोटर
  • कार
  • नौका
  • जलयान
  • रेल
  • वायुयान

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प्रश्न 2.
दूरदर्शन के अपने सब से मनपसंद कार्यक्रम के बारे में लिखिए।
उत्तर :
आजकल दूरदर्शन के विविध चैनलों पर कई कार्यक्रम दिखाए जाते हैं। सी.आई.डी., क्राईम पेट्रोल, रसोई शो, सास बिना ससुराल, समाचार, बड़े अच्छे लगते हैं, कुछ तो लोग कहेंगे, तारक महेता का उल्टा चश्मा आदि कार्यक्रम बहुत लोकप्रिय हैं।

इन कार्यक्रमों में ‘तारक महेता का उल्टा चश्मा’ नामक कार्यक्रम मुझे बहुत अच्छा लगता है। यह स्वच्छ पारिवारिक कार्यक्रम है। इसमें गोकुलधाम सोसायटी के सभ्यों के जीवन से संबंधित विविध प्रसंगों और घटनाओं का सुंदर चित्रण किया गया है। जेठालाल, दयाबेन, डॉक्टर हाथी, बबीताजी, सोढी और टप्पू – सेना आदि पात्रों का अभिनय जानदार है।

एक दिन जेठालाल अपने ही गोदाम में अपने सहायक नटुकाका के हाथों गलती से कैद हो जाते हैं। इसके कारण उन पर जो बीतती है उसका बड़ा मार्मिक चित्रण इस चैनल पर दिखाया गया था। इसके अतिरिक्त टप्पू – सेना की शरारतें, सोसायटी का खेल – महोत्सव, पत्रकार पोपटलाल की पार्टी आदि प्रसंगों का प्रदर्शन भी बहुत मनोरंजक था।

इस सिरियल में दिखाए जानेवाले सभी प्रसंग सुरुचिपूर्ण एवं शिष्ट होते हैं। विविध प्रसंगों में हास्यरस सहज ढंग से निष्पन्न होता है। सब प्रसंग बहुत ही मनोरंजक एवं शिक्षापात्र होते हैं। इसलिए ‘तारक महेता का उल्टा चश्मा’ कार्यक्रम मुझे बहुत अच्छा लगता है। यह मेरा मनपसंद कार्यक्रम है।

प्रश्न 3.
आपने कक्षा या मैदान में खेले हुए कोई एक खेल के बारे में लिखिए।
उत्तर :
क्रिकेट बचपन से ही मेरा प्रिय खेल रहा है। इसे खेलते हुए कई रोमांचक घटनाएँ हुई हैं। वे मुझे अब तक याद हैं। पिछले महीने ही कक्षा सातवीं की टीम से हमारा मैच था। मैं छठी कक्षा की अपनी टीम का कप्तान था। मैच बीस ओवर का था।

टॉस उछाला गया तो हमें गेंदबाजी मिली। सामनेवाली टीम ने बीस ओवर में 120 रन बनाए। अब हमें 121 रन बनाने थे। हमारे दो खिलाड़ी 0 रन ही पर आउट हो गए। तीसरे और चौथे ने मिलकर 50 रन बनाए। फिर दो खिलाड़ी 7 और 12 रन बनाकर चलते बने।

हालत यह हो गई कि हमारे आठ खिलाड़ी पेवेलियन चले गए थे और रन थे कुल 93। तब मैंने बल्ला सँभाला। अब केवल 2 ओवर में 28 रन बनाने थे। यह लगभग असंभव था। लेकिन कहावत हैं कि जब खुदा मेहरबान तो गधा पहलवान। पहले ही ओवर में हमने 16 रन बनाए।

दूसरे ओवर में हमें आखिरी मौका था जीतने का और बारह रन बनाने थे। सामने गेंदबाज बड़ा चतुर था। पहली गेंद पर मैंने चौका बनाया। दूसरी तीन गेंद खाली गई। अब केवल दो गेंद हमारे हाथ में थीं। हार – जीत का फैसला इन दो गेंद पर था।

पहली गेंद आई और मैंने आँख मूंद कर बल्ला घुमा दिया। देखा तो दो रन बन गए थे। अंतिम गेंद पर छक्का लग गया और हमारी टीम विजय के उल्लास में झूम उठी थी।

क्रिकेट के साथ जुड़ी ऐसी यादें क्या हम कभी भूल सकते हैं?

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प्रश्न 4.
पने सुने हुए मजेदार चुटकुले लिखिए।
उत्तर :
(1) नवीन : जानवर की।
सुरेन्द्रः यह तुम कैसे कह सकते हो?
नवीन: क्योंकि जानवर कभी चश्मा नहीं पहनते।

(2) मालकिनः रामू, मैंने कहा था पूजा के लिए धूप ले आना।
रामू : मगर लाता कहाँ से मालकिन? आज तो दिनभर बादल छाये रहे।

(3) अमित : भाई! रात को सूर्य क्यों नहीं निकलता?
सुमितः निकलता तो है।
अमित: फिर दिखाई क्यों नहीं देता?
सुमित : अरे! अँधेरे में कैसे दिखाई देगा?

(4) (दो दोस्त हिन्दी व्याकरण के पेपर की तैयारी कर रहे थे।)
पहला दोस्त : ‘पिंकी मिठाई नहीं खाती।’ – इसमें पिंकी क्या है?
दूसरा दोस्त : मूर्ख।

(5) सोहनः सोनल बताओ, अक्ल बड़ी या भैंस?
सोनल : भैया, पहले दोनों के जन्मदिन बताओ तभी तो पता चलेगा कि कौन बड़ा है।

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