Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 9 Solutions Chapter 21 क्रान्तिकारी शेखर का बचपन Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 9 Hindi Textbook Solutions Chapter 21 क्रान्तिकारी शेखर का बचपन
Std 9 GSEB Hindi Solutions क्रान्तिकारी शेखर का बचपन Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
शेखर ने बाहर घूमने-मिलने जाना क्यों छोड़ दिया?
उत्तर :
शेखर ने बाहर घूमने-मिलने जाना छोड़ दिया, क्योंकि : पहनने के लिए देशी कपड़े उसके पास पर्याप्त नहीं थे।
प्रश्न 2.
शेखर के मस्तिष्क में कैसी पुकार पहुँचती थी?
उत्तर :
शेखर के मस्तिष्क में एक नाटक का लेखक होने की पुकार पहुंचती थी।
प्रश्न 3.
शेखरने आग कैसे जलाई?
उत्तर :
शेखर ने घर के दीयों से मिट्टी का तेल लेकर उससे आग जलाई।
प्रश्न 4.
शेखर गला खोलकर क्या गाने लगा?
उत्तर :
शेखर गला खोलकर गाने लगा, “गांधीजी का बोलबाला। दुश्मन का मुंह हो काला।”
प्रश्न 5.
अंग्रेजी बालक ने जवाब में क्या कहा?
उत्तर :
अंग्रेजी बालक ने शेखर को चुप देखकर अपना नाम बताया और पूछा – क्या तुम स्कूल में पढ़ते हो?
2. दो-तीन वाक्य में उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
घर के सदस्य बाहर गए तब शेखर ने क्या किया?
उत्तर :
घर के सदस्य बाहर गए, तब शेखर ने घर के सभी कमरों में से विदेशी कपड़े लेकर नीचे एक खुली जगह में इकट्ठे किए। उनके ढेर पर मिट्टी का तेल डाला और आग लगा दी।
प्रश्न 2.
शेखर के नाटक का विषय क्या था?
उत्तर :
शेखर के मन में एक स्वाधीन लोकतंत्र भारत की छबि बसी थी जिसके राष्ट्रपति महात्मा गांधी थे। उसमें कताई, बुनाई जैसी गांधीजी की प्रवृत्तियों और असहयोग आंदोलन का समावेश था। शेखर का यह स्वप्न हो उसके नाटक की हलचल में भी समाविष्ट था।
प्रश्न 3.
अंग्रेजी बालक के प्रश्न का उत्तर शेखर ने क्यों नहीं दिया?
उत्तर :
अंग्रेजी बालक के स्वर में अहंकार था। वह अपने अंग्रेजीजान का परिचय देना चाहता था। शेखर को उसका प्रश्न बुरा और अपमानजनक भी लगा। इसलिए उसने अंग्रेजी बालक के प्रश्न का उत्तर नहीं दिया।
प्रश्न 4.
पिता ने ऋद्ध स्वर में शेखर को क्या कहा?
उत्तर :
शेखर ने अंग्रेजी बालक के किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं र दिया। पिता नहीं चाहते थे कि वह बालक शेखर को अंग्रेजी से अनभिज्ञ १ समझे। इसलिए उन्होंने कुद्ध स्वर में शेखर से कहा, “उत्तर क्यों नहीं दिया? क्या तुम्हारा मुंह टूट गया है?”
प्रश्न 5.
शेखर उत्तर न देने में कैसे बच गया?
उत्तर :
शेखर अंग्रेजी बालक के प्रश्नों के उत्तर में एकदम चुप रहा था। पिता इस बारे में शेखर से उसके चुप रहने का कारण जानना 8 चाहते थे। किंतु तभी ट्रेन आ गई और शेखर उत्तर देने से बच गया।
प्रश्न 6.
घर आकर पिता ने माँ से क्या कहा? क्यों?
उत्तर :
बाँकीपुर स्टेशन पर शेखर ने बालक के अंग्रेजी प्रश्नों के उत्तर न देकर चुप्पी-सी साध ली थी। इससे पिता को क्रोध के साथ दुःख भी हुआ था। घर आकर उन्होंने शेखर की मां से कहा, हमारे – लड़के बुझू हैं। किसीके सामने उनका मुंह ही नहीं खुलता।
3. सविस्तार उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
शेखर के मन में विदेशी मात्र के प्रति घृणा क्यों हो गई थी?
उत्तर :
महात्मा गांधी ने देश में असहयोग आंदोलन शुरू किया था। चारों तरफ स्वदेशी की हवा बहने लगी थी। शेखर के मन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा था। वह गांधीजी के प्रति अपार श्रद्धा रखता था। गांधीजी स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग का आग्रह करते थे। विदेशी वस्तुएं देश की पराधीनता की प्रतीक बन गई थी। इसलिए शेखर के मन में भी विदेशी मात्र के प्रति घृणा हो गई थी।
प्रश्न 2.
शेखर के घर में अंग्रेजी भाषा के प्रति गहरा प्रभाव था-ऐसा हम कैसे कह सकते हैं.?
उत्तर :
शेखर के पिता और भाई घर में अंग्रेजी में बात करते थे। पिता शेखर को भी भाइयों के साथ अंग्रेजी में बात करने के लिए प्रोत्साहित करते थे। शेखर भी शैशव से अंग्रेजी बोलता था। शेखर की पहली आया ईसाई थी और अंग्रेजी बोलती थी। उसका पहला गुरु भी एक अमरिकन मिशनरी था, जो दिनभर अंग्रेजी बोलता था। शेखर को ऐसा लगता था जैसे अंग्रेजी ही उसके परिवार की मातृभाषा हो। परिवार में अंग्रेजी का ऐसा चलन देखकर हम कह सकते हैं कि शेखर के घर में अंग्रेजी भाषा का गहरा प्रभाव था।
प्रश्न 3.
शेखर का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर :
शेखर एक कोमल मन का किशोर है। गांधीजी के असहयोग आंदोलन का उस पर गहरा प्रभाव पड़ा है। स्वदेशी की हवा से प्रेरित होकर उसे विदेशी मात्र से घृणा हो जाती है। वह अपने घर के विदेशी वस्त्रों को खुशी-खुशी जला देता है। वह अंग्रेजी माध्यम का विद्यार्थी है, पर अंग्रेजी को विदेशी भाषा मानकर उससे नफरत करता है और हिन्दी पड़ने में रुचि लेता है। वह अंग्रेजी बालक के अंग्रेजी में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर नहीं देता। पिता द्वारा बुद्ध कहलाना स्वीकार करता है, पर अंग्रेजी बोलना उसे स्वीकार नहीं। इस प्रकार शेखर गांधी युग का एक प्रिय बाल पात्र है।
प्रश्न 4.
शेखर ने नाटक लिखना कब आरंभ किया? क्यों?
उत्तर :
शेखर असहयोग और स्वदेशी आंदोलनों से अत्यंत प्रभावित था। उसे विदेशी मात्र से घृणा हो गई थी। अंग्रेजी भाषा से भी वह बेहद नफरत करने लगा था। परिवार के नियंत्रण के कारण वह सक्रिय रूप से किसी आंदोलन में भाग नहीं ले सकता था। ऐसी स्थिति में उसने नाटक लिखना आरंभ किया।
शेखर को गांधीजी के प्रति अपनी अपार श्रद्धा व्यक्त करनी थी। साथ ही उसे अपने हिन्दी-ज्ञान को भी प्रभावित करना था। इसलिए अपनी भावनाओं को प्रकट करने के लिए शेखर ने नाटक लिखना आरंभ किया।
4. विलोम शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- सहयोग
- विदेशी
- बाहर
- दुश्मन
- अंकुश
उत्तर :
- असहयोग
- स्वदेशी
- भीतर
- दोस्त
- निरंकुशता
5. समानार्थी शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- अनुमति
- कष्ट
- निरंतर
- आज़ाद
उत्तर :
- आज्ञा
- तकलीफ
- लगातार
- स्वतंत्र
6. मुहावरे का अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए:
प्रश्न 1.
मुँह काला होना
उत्तर :
मुंह काला होना – बदनाम होना
वाक्य : बुरे कर्म करोगे तो मुंह काला होगा ही।
GSEB Solutions Class 9 Hindi क्रान्तिकारी शेखर का बचपन Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए :
प्रश्न 1.
असहयोग आंदोलन की लहर में बहकर शेखर ने क्या किया?
उत्तर :
असहयोग आंदोलन की लहर में बहकर शेखर ने विदेशी कपड़े उतारकर रख दिए। जो कुछ मोटे देशी कपड़े थे, उन्हें ही पहनने लगा। उसने घूमना-मिलना भी बंद कर दिया, क्योंकि उसके लायक देशी कपड़े उसके पास नहीं थे।
प्रश्न 2.
शेखर को अंग्रेजी भाषा से घृणा क्यों हो गई?
उत्तर :
शेखर के मन में विदेशी मात्र के प्रति घृणा हो गई थी। अंग्रेजी भी विदेशी भाषा थी। इसलिए उसे अंग्रेजी भाषा से घृणा हो गई।
प्रश्न 3.
शेखर को अंग्रेजी मातृभाषा क्यों लगने लगी थी?
उत्तर :
शेखर ने देखा कि यदि मातृभाषा वह है जो हम सबसे पहले सीखते हैं, तब तो अंग्रेजी ही उसकी मातृभाषा है। उसके घर में अंग्रेजी ही बोली जाती थी। वह भी बचपन से अंग्रेजी बोलता था। इसलिए शेखर को अंग्रेजी मातृभाषा जैसी लगने लगी थी।
प्रश्न 4.
शेखर ने राष्ट्रीय नाटक लिखना क्यों प्रारंभ किया?
उत्तर :
शेखर अपने हिन्दी-ज्ञान को प्रमाणित करना चाहता था। इसीके साथ उसे गांधीजी के प्रति अपनी श्रद्धा और राष्ट्रभक्ति भी व्यका करनी थी। इन कारणों से उसने राष्ट्रीय नाटक लिखना प्रारंभ किया।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए:
प्रश्न 1.
शेखर किस लहर में बह गया?
उत्तर :
शेखर असहयोग आंदोलन की लहर में बह गया।
प्रश्न 2.
शेखर ने बचपन में कौन-सा नाटक देखा था?
उत्तर :
शेखर ने बचपन में ‘सत्यवादी हरिश्चन्द्र’ नाटक देखा था।
प्रश्न 3.
शेखर ने आग में क्या जलाया?
उत्तर :
शेखर ने आग में घर के सभी विदेशी कपड़े जला दिए।
प्रश्न 4.
शेखर को किसे ‘माँ’ कहना स्वीकार न था?
उत्तर :
अंग्रेजी जैसी विदेशी भाषा को माँ कहना शेखर को स्वीकार न था।
प्रश्न 5.
शेखर के नाटक के अंतिम दृश्य में क्या दिखाया गया था?
उत्तर :
शेखर के नाटक के अंतिम दृश्य में स्वाधीन और बाधाहीन भारत दिखाया गया था।
प्रश्न 6.
शेखर की कौन-सी बात उसके पिता को बुरी लगी?
उत्तर :
शेखर ने अंग्रेजी बालक के किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं दिया। यह बात उसके पिता को बुरी लगी।
प्रश्न 7.
पिता ने शेखर के कान क्यों पकड़े?
उत्तर :
पिता ने शेखर के कान पकड़े, क्योंकि अंग्रेजी बालक के प्रश्नों के उत्तर न देकर शेखर बिलकुल चुप रहा था।
सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
प्रश्न 1.
- शेखर का बचपन …… विचारों से अभिभूत था। (नेक, क्रान्तिकारी)
- शेखर की पहली आया ……… थी और अंग्रेजी ही बोलती थी। (ईसाई, नेपाली)
- शेखर के घर में …….. वस्तुओं का उपयोग होता था। (विदेशी, स्वदेशी)
- ………. की एक लहर आई और देश उसमें बह गया। (सहयोग, असहयोग)
- गांधी का ………… दुश्मन का मुंह हो काला! (प्रभुत्व, बोलबाला)
उत्तर :
- क्रान्तिकारी
- ईसाई
- विदेशी
- असहयोग
- बोलबाला
निम्नलिखित विधान ‘सही’ है या ‘गलत’ यह बताइए:
प्रश्न 1.
- शेखर ने विदेशी वस्त्र पहनना छोड़ दिया।
- शेखर ने घर के सब स्वदेशी कपड़ों को आग लगा दी।
- विदेशी वस्त्र जला देने पर शेखर को मां के थप्पड़ खाने पड़े।
- शेखर ने पूरी लगन से हिन्दी पड़ना शुरू कर दिया।
- पिता ने कहा, ‘हमारे लड़के सब बुद्ध नहीं हैं।’
उत्तर :
- सही
- गलत
- सही
- सही
- गलत
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में लिखिए :
प्रश्न 1.
- शेखर के घर में कैसी वस्तुओं का उपयोग होता था?
- शेखर ने विदेशी कपड़ों का क्या किया?
- शेखर ने अपने नाटक की प्रतिलिपि कहाँ छिपा ली?
उत्तर :
- विदेशी वस्तुओं का
- जला दिए
- अपनी पुस्तकों के नीचे
सही वाक्यांश चुनकर निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए :
प्रश्न 1.
शेखर ने अंग्रेजी बालक के प्रश्न का उत्तर नहीं दिया, क्योंकि …
(अ) वह प्रश्न को समझ नहीं पाया।
(ब) उसे वह बुरा और अपमानजनक लगा।
(क) उसे अंग्रेजों से नफ़रत थी।
उत्तर :
शेखर ने अंग्रेजी बालक के प्रश्न का उत्तर नहीं दिया, क्योंकि उसे वह बुरा और अपमानजनक लगा।
प्रश्न 2.
शेखर ने दीयों से तेल लेकर विदेशी कपड़े जलाए, क्योंकि …
(अ) तेल का पौपा नौकरों के कब्जे में था।
(ब) घर में और तेल नहीं था।
(क) दीयों में जरूरत से ज्यादा तेल था।
उत्तर :
शेखर ने दीयों से तेल लेकर विदेशी कपड़े जलाए, क्योंकि तेल का पौपा नौकरों के कब्जे में था।
निम्नलिखित प्रश्नों के साथ दिए गए विकल्पों से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
देश किसमें बह गया?
A. बदलाव की आंधी में
B. परिवर्तन की हवा में |
C. भारतमाता के आँसुओं में
D. असहयोग की लहर में
उत्तर :
D. असहयोग की लहर में
प्रश्न 2.
शेखर का पहला गुरु कौन था?
A. एक ईसाई पादरी
B. एक अमरिकन मिशनरी
C. एक ब्रिटिश प्रोफेसर
D. एक रिटायर्ड जर्मन
उत्तर :
B. एक अमरिकन मिशनरी
प्रश्न 3.
शेखर नहीं चाहता कि वह …
A. एक विदेशी भाषा को स्वदेशी माने।
B. ईसाई पादरी को गुरु माने।
C. घर में भी विदेशी वस्त्र पहने।
D. एक विदेशी भाषा को ‘माँ’ कहे।
उत्तर :
D. एक विदेशी भाषा को ‘माँ’ कहे।
प्रश्न 4.
शेखर के कल्पित भारत के राष्ट्रपति कौन थे?
A. गांधी
B. सुभाष
C. नेहरू
D. चंद्रशेखर आजाद
उत्तर :
A. गांधी
प्रश्न 5.
दौरे पर जाते समय पिता-पुत्र कहाँ रुके?
A. भोपाल स्टेशन
B. ग्वालियर स्टेशन
C. बाँकीपुर स्टेशन
D. आगरा स्टेशन
उत्तर :
C. बाँकीपुर स्टेशन
प्रश्न 6.
शेखर असहयोग की लहर में बह नहीं पाया, क्योंकि …
A. उसे पढ़ाई भी करनी थी।
B. वह लहर उसके पास तक नहीं आई।
C. उसे घर से अनुमति नहीं थी।
D. उसकी पहुंच से बाहर था।
उत्तर :
C. उसे घर से अनुमति नहीं थी।
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- समवेत
- चेष्टा
- आहलाद
- आतंक
- गुस्ताखी
- अनवरत
- शैशव
- अंकुश
- घृणा
- अवसर
- पुलकित
- प्रभुत्व
- स्थूल
- तनिक
उत्तर :
- सामूहिक
- प्रयत्न
- प्रसन्नता
- भय
- अशिष्टता
- लगातार
- बचपन
- नियंत्रण
- नफरत
- मौका
- प्रसन्न
- अधिकार
- मोटा
- थोड़ा
निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
सम्मुख
उत्तर :
विमुख
निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से भाववाचक संज्ञा पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- शेखर का बचपन क्रांतिकारी विचारों से प्रभावित था।
- शेखर के मन में विदेशी के प्रति घृणा हो गईं।
- पिता की उपस्थिति में वह बातें करते झिझकता था।
- उसे लिखने में विशेष कठिनाई नहीं हुई।
- उसने प्यार से उस लड़के की ओर देखा।
उत्तर :
- बचपन
- घृणा
- उपस्थिति
- कठिनाई
- प्यार
निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
घणा होना – नफरत होना
वाक्य : पाप से घृणा करो, पापी से नहीं।
बाध्य होना – विवश होना
वाक्य : बालक की जिद के सामने माँ को बाध्य होकर उसे खिलौना दिलाना पड़ा।
निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- परित्याग
- स्वदेशी
- असहयोग
- अंतर्गत
- प्रतिलिपि
- विदेशी
- स्वाधीन
- प्रतिभा
- विवश
- अपार
- प्रमाण
- समावेश
- समाविष्ट
- अनभिज्ञ
- सुभाष
- अनुमति
- अशिष्ट
- विमुख
- प्रतिक्रिया
- विद्रोह
उत्तर :
- परित्याग – परि + त्याग
- स्वदेशी – स्व + देशी
- असहयोग – अ + सह + योग
- अंतर्गत – अंत: + गत
- प्रतिलिपि – प्रति + लिपि
- विदेशी – वि + देशी
- स्वाधीन – स्व + आधीन
- प्रतिभा – प्रति + भा
- विवश – वि + वश
- अपार – अ + पार
- प्रमाण – प्र + मान
- समावेश – सम् + आवेश
- समाविष्ट – सम् + आविष्ट
- अनभिज्ञ – अन् + अभि + ज्ञ
- सुभाष – सु + भाष
- अनुमति – अनु + मति
- अशिष्ट – अ + शिष्ट
- विमुख – वि + मुख
- प्रतिक्रिया – प्रति + क्रिया
- विद्रोह – वि + द्रोह
निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- स्वदेशी
- बहिष्कार
- राष्ट्रीय
- दैनिक
- क्रोधित
- सामूहिक
- उत्साहित
- प्रभुत्व
- पुलकित
- बाधाहीन
- अंग्रेजी
- प्रमाणित
- बुनाई
- अंतिम
- प्रसन्नता
- अशिष्टता
- बचपन
- नौकरानी
- अध्यापिका
- कठिनाई
उत्तर :
- स्वदेशी – स्वदेश + ई
- बहिष्कार – बहिः + कार
- राष्ट्रीय – राष्ट्र + ईय
- दैनिक – दिन + इक
- क्रोधित – क्रोध + इत
- सामूहिक – समूह + इक
- उत्साहित – उत्साह + इत
- प्रभुत्व – प्रभु + त्व
- पुलकित – पुलक + इत
- बाधाहीन – बाधा + हीन
- अंग्रेजी – अंग्रेज + ई
- प्रमाणित – प्रमाण + इत
- बुनाई – बुनना + ई
- अंतिम – अंत + इम
- प्रसन्नता – प्रसन्न + ता
- अशिष्टता – अशिष्ट + ता
- बचपन – बच्चा + पन
- नौकरानी – नौकर + आनी
- अध्यापिका – अध्यापक + इका
- कठिनाई – कठिन + आई
क्रान्तिकारी शेखर का बचपन Summary in Gujarati
ગુજરાતી ભાવાર્થ :
શેખરના મનમાં વિદેશી વસ્તુઓનો બહિષ્કાર કરવાની ધૂન શેખરે વિદેશી વસ્ત્રો પહેરવાનું છોડી દીધું. પોતાની પાસે દેશી કપડાં ઓછાં હતાં, એટલે તેણે બહાર ફરવાનું પણ છોડી દીધું. બપોરે એ ઘરની બારી પાસે ઊભો રહેતો અને બહાર બોલાતાં સૂત્રો સાંભળતો. ‘ગાંધીજીની બોલબાલા, દુશ્મનનું મોટું કાળું’. આ સૂત્ર તે પણ દોહરાવતો.
ઘરનો અંકુશ શેખરના ઘરમાં સૌ વિદેશી વસ્તુઓનો ઉપયોગ કરતાં હતાં. તેમને સ્વદેશી વસ્તુઓ તરફ જરાય રુચિ નહોતી. આનાથી ઊલટું શેખરને વિદેશી વસ્તુઓ પ્રત્યે સખત નફરત હતી, પરંતુ તે પોતાની નફરત ખુલ્લંખુલ્લા પ્રગટ કરી શકતો નહોતો. સ્વદેશી આંદોલનમાં ભાગ લેવાની તેને છૂટ ન હતી.
ઘરનાં વિદેશી વસ્ત્રોની હોળી એક દિવસ ઘરના સૌ સભ્યો બહાર ગયા હતા. મા ઉપલે માળે બેઠી હતી. શેખરને તક મળી ગઈ. એણે ઘરનાં વિદેશી વસ્ત્રો એકસાથે ભેગાં કર્યાં અને ઘરમાં રાતે બળતા દીવાનું ઘાસતેલ લાવીને બધાં કપડાં સગળાવી દીધાં. આને લીધે તેને માના તમાચા ખાવા પડ્યા.
અંગ્રેજી ભાષા પ્રત્યે ધૃણાઃ શેખરના મનમાં અંગ્રેજી ભાષા પ્રત્યે ઘણા જાગી હતી. તે અંગ્રેજી માધ્યમની સ્કૂલમાં ભણતો હતો. તેની પહેલી આયા ખ્રિસ્તી હતી. તેના પહેલા ગુરુ આખો દિવસ અંગ્રેજીનું શિક્ષણ આપ્યા કરતા હતા. ઘરમાં પણ પરિવારના સભ્યો અંગ્રેજી બોલતા હતા. તેના પિતા ઇચ્છતા હતા કે તે ઘરમાં ભાઈઓ સાથે
અંગ્રેજીમાં વાતચીત કરે, પરંતુ શેખરને એ પસંદ નહોતું કે વિદેશી ભાષા એની માતૃભાષા બની જાય. તેણે પૂરી કાળજીથી હિંદી ભણવાનું શરૂ કરી દીધું. રાષ્ટ્રીય નાટક લખવું: શેખરને કોઈ પણ રીતે પોતાની રાષ્ટ્રભક્તિ અને ગાંધીજી પ્રત્યે શ્રદ્ધા વ્યક્ત કરવી હતી. એ માટે તેણે રાષ્ટ્રીય નાટક લખવાનું શરૂ કર્યું. બાળપણમાં તેણે “સત્યવાદી હરિશ્ચંદ્ર’ નાટક જોયું હતું.
એ રૂપરેખા પર એનું આ નાટક હતું. તેમાં સ્વાધીન લોકતંત્ર ભારત બતાવવામાં આવ્યું હતું, જેના રાષ્ટ્રપતિ મહાત્મા ગાંધી હતા. ગાંધીજી દ્વારા પ્રેરિત કાંતવું, વણવું, અંગ્રેજી ભાષાનો બહિષ્કાર વગેરે બધી જ બાબતો તેમાં બતાવવામાં આવી હતી. નાટકની નકલ કરીને પોતાનાં પુસ્તકોની વચ્ચે તેને સંતાડીને મૂકી દીધી.
બાંકીપુર સ્ટેશન પરની ઘટના : શેખરના પિતા શેખર સાથે એક દિવસના પ્રવાસે જઈ રહ્યા હતા. ત્યાં વેઇટિંગ રૂમની બહાર એક છોકરો શેખરની પાસે આવ્યો. તેણે સારો સૂટ અને અંગ્રેજી ટોપી પહેર્યા હતાં. તેણે અંગ્રેજીમાં શેખરનું નામ પૂછ્યું. શેખર ચૂપ રહ્યો. તે છોકરાએ ફરીથી અંગ્રેજીમાં વાત કરવા માંડી પણ શેખરે તિરસ્કારથી તેના તરફ જોયું પણ કંઈ ઉત્તર ન આપ્યો.
પિતા ક્રોધિત થયાઃ શેખર ચૂપ રહ્યો તે તેના પિતાને ગમ્યું નહિ. તેમણે ક્રોધિત સ્વરે અંગ્રેજીમાં કહ્યું, ‘ઉત્તર કેમ નથી આપતો?” તે છોકરો હસીને આગળ ચાલ્યો ગયો. વેઇટિંગ રૂમમાં આવીને પિતાએ શેખરને જવાબ ન આપવાનું કારણ પૂછ્યું. એટલામાં ટ્રેન આવી ગઈ અને શેખર ઉત્તર આપવામાંથી બચી ગયો. પિતાની રિમાર્કઃ બીજે દિવસે પિતાએ ઘરમાં માને કહ્યું, ‘આપણા છોકરા સાવ બુદ્ધ છે. કોઈની સાથે બોલી શકતા નથી.’ શેખરે આ સાંભળી લીધું.
क्रान्तिकारी शेखर का बचपन Summary in English
Strong addiction to reject foreign countries things in Shekhar’s mind : Shekhar abandoned to wear foreign country’s clothes. He had a few native clothes, so he gave up to go out.
He used to stand near the window of the house and hear the slogans which were uttered outside. He used to repeat the slogan: (Gandhiji’s good fortune, enemy’s bad fortune) ‘Gandhijini bolbala, dushmananu modhu kalu’.
Control of the house : Every body is Shekhar’s house used foreign countries’ things. They had no any liking to use native things. On the contrary Shekhar had strong dislike towards the foreign countries’ things. But he could not oppose his dislike openly. He was not allowed to take part in ‘Swadeshi movement’.
A bonfire of foreign clothes in the house : One day all the members of the house had gone out. Mother was sitting up stair. Shekhar got a chance. He collected foreign clothes of his house and burnt them all using kerosene from the lamp. He had to face slaps of his mother.
Dislike for English language : Shekhar had a great dislike for English language in his mind. He was studying in English medium school. His first nurse was a christian. His first teacher would always give him English education.
The family members in the house would also speak English. His father wished that he spoke English with his brothers. But Shekhar did not like a foreign language became mothertongue. He began to learn Hindi carefully.
To write a national play : Shekhar wanted to express his patrotism and faith towards Gandhiji any way. So he began to write a national play. He had seen the play ‘Satyavadi Harishchandra’. His play was on this outline.
In his play India was showed democratic, Gandhiji was the president of it. Good things which were encouraged by Gandhiji like spinning weaving, dislike of English language were shown in the play. He had hidden the copy of the play among the books.
Incident on Bankipur railway station : Shekhar’s father was going out on a picnic with Shekhar. A boy came to Shekhar outside the waiting room. He had put on a nice sult and English cap. He asked Shekhar his name in English, Shekhar was quiet. The boy again began to talk in English but Shekhar did not say anything and showed his dislike.
Father became angry: Shekhar was quiet. His father did not like that. He asked angrily in English, ‘Why do you not answer him?’ The boy laughed and went away, Father asked Shekhar the reason of not answering the boy after coming in the waiting room. Meanwhile the train arrived and Shekhar was saved to answer his father.
Father’s remark: Next day father told his mother in the house ‘Our sons are quite dull. They can’t talk to anybody’. Shekhar heard it.
क्रान्तिकारी शेखर का बचपन Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
सन 1940 में गांधीजी ने देश में असहयोग आंदोलन आरंभ किया। स्वदेशी आंदोलन भी इसीका एक हिस्सा था। इसके अंतर्गत सभी विदेशी वस्तुओं का परित्याग करना था। इस पाठ के नायक शेखर पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ा। इस पाठ में उसीको प्रस्तुत किया गया है।
पाठ का सार :
शेखर पर विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का भूत सवार होना : शेखर ने विदेशी वस्त्र पहनना छोड़ दिया। पास में देशी कपड़े कम होने से उसने बाहर घूमना भी छोड़ दिया। दोपहर को वह घर में खिड़की के पास खड़ा हो जाता और बाहर लगाए गए नारे सुनता। ‘गांधीजी का बोलबाला। दुश्मन का मुंह हो काला।’ इस नारे को वह भी दुहराता।
घर के अंकुश : शेखर के घर में सब विदेशी वस्तुओं का उपयोग करते थे। उन्हें स्वेदशी वस्तुओं से किसी तरह का लगाव नहीं था। इसके विपरीत शेखर को विदेशी वस्तुओं से सख्त नफरत थी। लेकिन वह अपनी नफरत खुलकर प्रकट नहीं कर सकता था। स्वदेशी आंदोलन में भाग लेने की भी उसे छूट नहीं थी।
घर के विदेशी वस्त्रों की होली : एक दिन घर के सब लोग बाहर गए थे। मां ऊपर कोठे में बैठी हुई थी। शेखर को मौका मिला। उसने घर के विदेशी वस्त्र एक जगह जमा किए। घर में रात को जलनेवाले दीयों का मिट्टी का तेल लाकर सारे कपड़े जला दिए। बाद में इसके लिए उसको माँ के थप्पड़ खाने पड़े।
अंग्रेजी भाषा से घृणा : शेखर के मन में अंग्रेजी भाषा के प्रति घृणा का भाव पैदा हुआ। वह अंग्रेजी माध्यमवाले स्कूल में पढ़ता था उसकी पहली आया ईसाई थी। उसका पहला गुरु दिनभर अंग्रेजी की शिक्षा दिया करता था। घर में भी लोग अंग्रेजी ही बोलते थे। उसके पिता चाहते थे कि वह घर में भाइयों से अंग्रेजी में बातचीत किया करे। पर शेखर को यह पसंद नहीं था कि विदेशी भाषा उसकी मातृभाषा बन जाए। उसने पूरी लगन से हिन्दी पढ़ना शुरू कर दिया।
राष्ट्रीय नाटक लिखना : शेखर को किसी तरह अपनी राष्ट्रभक्ति और गांधीजी के प्रति श्रद्धा व्यक्त करनी थी। इसके लिए उसने राष्ट्रीय नाटक लिखना शुरू किया। बचपन में उसने ‘सत्यवादी हरिश्चन्द्र’ नाटक देखा था। उसी ढांचे पर उसका यह नाटक था। इसमें स्वाधीन लोकतंत्र भारत दिखाया गया था। जिसके राष्ट्रपति महात्मा गांधी थे। गांधीजी प्रेरित सारी बातें, कताई, बुनाई, विदेशी भाषा का बहिष्कार आदि भी दिखाई गई थी। नाटक की प्रतिलिपि लिखकर शेखर ने उसे अपनी पुस्तकों के बीच छिपाकर रख दी।
बांकीपुर स्टेशन पर की घटना : शेखर के पिता शेखर के साथ एक दिन के दौरे पर कहाँ जा रहे थे। वहाँ वेटिंग रूम के बाहर एक लड़का शेखर के पास आया। वह अच्छा-सा सूट और अंग्रेजी टोपी पहने हुए था। उसने अंग्रेजी में शेखर का नाम पूछा। शेखर चुप रहा। उस लड़के ने फिर अंग्रेजी में बात करनी चाही, पर शेखर ने घृणा से उसकी ओर देखा, कोई उत्तर नहीं दिया।
पिता का क्रोधित होना : शेखर की चुप्पी उसके पिता को बुरी लगी। उन्होंने क्रुद्ध स्वर में अंग्रेजी में कहा, ‘जवाब क्यों नहीं देते?’ वह लड़का मुस्कराकर आगे बढ़ गया। वेटिंग रूम में आकर पिता ने शेखर से जवाब न देने का कारण पूछा। तभी ट्रेन आ गई और शेखर जवाब देने से बच गया।
पिता का रिमार्क : दुसरे दिन पिता ने घर में मां से कहा- हमारे लड़के सब बद्ध हैं। किसीके सामने उनका बोल नहीं निकलता। शेखर ने सुन लिया।
क्रान्तिकारी शेखर का बचपन शब्दार्थ :
- असहयोग – सहयोग न देना, गांधीजी का एक आंदोलन।
- चेष्टा – प्रयत्न।
- खेना – नाव को पानी में आगे ले जाना।
- समवेत – सामूहिक।
- बोलबाला होना – अति प्रसिद्ध होना।
- पुलकित – प्रसन्न।
- अनुमति – इजाजत।
- अंकुश – नियंत्रण।
- प्रेरित करना – उत्साहित करना।
- भभकना – भड़कना।
- आहलाद – प्रसन्नता, आनंद।
- घणा – नफरत।
- प्रभुत्व – अधिकार।
- आतंक – भय।
- शैशव – बचपन।
- लगन से – पूरे मन से, चाव से।
- प्रमाणित करना – साबित करना।
- अनवरत – लगातार।
- प्रतिभा – तेजस्वी बुद्धि।
- स्थूल – मोटा।
- बाधाहीन – बिना किसी रुकावट के।
- दौरा – निरीक्षण के लिए जाना।
- उन्मुख होना – सामने होना।
- तनिक – थोड़ा, जरा।
- रोब – प्रभाव।
- गुस्ताखी – बेअदबी, अशिष्टता।