Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 9 Solutions Chapter 7 सूरदास के पद Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 9 Hindi Textbook Solutions Chapter 7 सूरदास के पद
Std 9 GSEB Hindi Solutions सूरदास के पद Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक -एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
जहाज का पंछी जहाज से उड़कर फिर कहाँ आता है?
उत्तर :
जहाज का पंछी जहाज से उड़कर फिर जहाज पर ही आता है।
प्रश्न 2.
सूरदास के मधुकर को करील फल क्यों नहीं भाता?
उत्तर :
सूरदास के (मन) मधुकर को करील फल नहीं भाता, क्योंकि उसने कृष्णभक्ति का अंबुज-रस चख लिया है।
प्रश्न 3.
बालकृष्ण के मुख पर किसका लेप किया हुआ है?
उत्तर :
बालकृष्ण के मुख पर मक्खन का लेप किया हुआ है।
प्रश्न 4.
सूर धन्य क्यों हुए?
उत्तर :
सूर धन्य हुए क्योंकि उन्हें श्रीकृष्ण की दुर्लभ छबि के दर्शन हो गए हैं।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए :
प्रश्न 1.
सूर ने किन उदाहरणों द्वारा अपनी अनन्य भक्ति भावना प्रकट की है?
उत्तर :
सूरदासजी कहते हैं कि मैं श्रीकृष्णरूपी जहाज का पंछी हूँ। मैं उनें छोड़कर और कहीं नहीं जा सकता। श्रीकृष्ण की महिमा भूलकर मैं और किसी देवता का ध्यान नहीं कर सकता। श्रीकृष्ण जैसी गंगा का जल मिलने के बाद मुझे कुएँ का जल पीने की चाह नहीं है। मेरा मन – मधुकर श्रीकृष्ण की भक्ति का अंबुज रस चखने के बाद हैं। उनको छोड़कर मैं बकरी का दूध दुहने क्यों जाकै इस प्रकार सूरदासजी ने विभिन्न उदाहरणों द्वारा अपनी भक्तिभावना प्रकट की है।
प्रश्न 2.
बालक कृष्ण के स्वरूप का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
बालक श्रीकृष्ण की मूर्ति बड़ी मनोहर है। वे अपने हाथों में मक्खन लिए घुटनों के बल चल रहे हैं। उनके मुंह में मक्खन लगा हुआ है। उनके गाल सुंदर और आँखें चंचल हैं। उनके माथे पर गोरोचन का तिलक लगा हुआ है। उनकी लटें मदमस्त भौंरों जैसी सुंदर लग रही हैं। वे अपने गले में कठुला की माला पहने हुए हैं। इस प्रकार श्रीकृष्ण की छबि अत्यंत मनमोहक है।
प्रश्न 3.
सूरदास अपने आपको क्यों धन्य मानते हैं?
उत्तर :
सूरदास श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त हैं। श्रीकृष्ण के अतिरिक्त वे अन्य किसी का ध्यान नहीं करते। श्रीकृष्ण की मनमोहक छबि सदा उनकी आँखों में बसी रहती है। यह छबि उन्हें अनुपम सुख प्रदान करती है। वे श्रीकृष्ण की इस छबि को दुर्लभ मानते हैं। उन्हें अपने प्रभु की इस अनोखी मूर्ति के दर्शन हुए हैं। इसलिए वे अपने आपको धन्य मानते हैं।
3. तत्सम रूप दीजिए :
प्रश्न 1.
- अनत
- पंछी
- महातम
- पियासौ
- दुरमति
- लट
- मधुहिँ
- केहरि
उत्तर :
- अन्यत्र
- पक्षी
- माहात्म्य
- प्यासा
- दुर्मति
- केशगुच्छ
- मद्य
- केसरी
4. समानार्थी शब्द लिखें :
प्रश्न 1.
- पक्षी
- अंबुज
- कूप
- मधुकर
- धेनु
- छेरी
- नवनीत
- लोचन
- कंठ
- नख
उत्तर :
- खग
- जलज
- कुआँ
- भ्रमर
- गाय
- बकरी
- मक्खन
- नयन
- गला
- नाखून
GSEB Solutions Class 9 Hindi सूरदास के पद Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए :
प्रश्न 1.
सूरदास ने किस प्यासे को ‘दुर्मति’ कहा है?
उत्तर :
गंगा नदी के जल से शुद्ध और पवित्र अन्य कोई जल नहीं है। जो प्यासा व्यक्ति उसे छोड़कर अपनी प्यास बुझाने के लिए कुआं खुदवाए उसे सूरदासजी ने ‘दुर्मति’ कहा है।
प्रश्न 2.
सूरदास छेरी (बकरी) दुहने की जरूरत क्यों नहीं समझते?
उत्तर :
सूरदास अपने प्रभु श्रीकृष्ण को कामधेनु मानते हैं। इसलिए बकरी दुहने की जरूरत नहीं समझते।
प्रश्न 3.
सूरदास के अनुसार सौ कल्प जीने की आवश्यकता क्यों नहीं है?
उत्तर :
सूरदास मानते हैं कि श्रीकृष्ण की दुर्लभ छवि के एक पल के लिए दर्शन भी हमें धन्य बना देते हैं। ऐसे दर्शन हो जाएं तो फिर सौ कल्प जीने की आवश्यकता नहीं है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए:
प्रश्न 1.
सूरदास का मन कहाँ सुख पाता है?
उत्तर :
सूरदास का मन केवल श्रीकृष्ण की भक्ति में सुख पाता है।
प्रश्न 2.
सूरदास ने श्रीकृष्ण को किसके समान बताया है?
उत्तर :
सूरदास ने श्रीकृष्ण को कामधेनु के समान बताया है।
प्रश्न 3.
श्रीकृष्ण की झूलती हुई लटें कैसी लग रही हैं?
उत्तर :
श्रीकृष्ण की झूलती हुई लटे ऐसी लग रही हैं जैसे मधु पीकर भौंरे मदोन्मत्त हो रहे हो।
प्रश्न 4.
श्रीकृष्ण किसके समान निर्मल हैं?
उत्तर :
श्रीकृष्ण गंगा के समान निर्मल हैं।
प्रश्न 5.
भौरा किस रस को चाव से बखता है?
उत्तर :
भौरा कमल-रस को चाव से चखता है।
प्रश्न 6.
श्रीकृष्ण के सिर के दोनों ओर क्या लटक रही हैं?
उत्तर :
श्रीकृष्ण के सिर के दोनों ओर लटे लटक रही हैं।
विभाग 1 : पद्यलक्षी
सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
प्रश्न 1.
- बालकृष्ण के हाथ ………. लिए शोभा दे रहे हैं। (पुष्प, नवनीत)
- श्रीकृष्ण के नेत्र ……….. है। (विशाल, चंचल)
- श्रीकृष्ण के शरीर पर …….. लगी है। (धूल, गुलाल)
- जहाज का पंछी उड़कर पुनः ………. पर ही आता है। (वृक्ष, जहाज)
- श्रीकृष्ण के सिर के दोनों ओर ………. लटक रही है। (लटे, मालाएं)
उत्तर :
- नवनीत
- विशाल
- धूल
- जहाज
- लटें
निम्नलिखित विधान ‘सही’ है या ‘गलत’ यह बताइए :
प्रश्न 1.
- जहाज का पंछी उड़कर फिर जहाज पर नहीं आता।
- करील के फल का रस मधुर होता है।
- श्रीकृष्ण के शरीर पर धूल लगी हुई है।
- श्रीकृष्ण अनेक अलंकारों से सुशोभित हैं।
- श्रीकृष्ण के सौंदर्य की एक झलक से जीवन धन्य हो जाए।
उत्तर :
- गलत
- गलत
- सही
- सही
- सही
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में लिखिए :
प्रश्न 1.
- श्रीकृष्ण का शरीर धूल लगने से कैसा हो गया है?
- श्रीकृष्ण के मस्तक पर किसका तिलक लगा है?
उत्तर :
- और भी सुंदर
- गोरोचन का
निम्नलिखित प्रश्नों के साथ दिए गए विकल्पों से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए:
प्रश्न 1.
कामधेनु क्या है?
A. स्वर्ग की नदी
B. स्वर्ग की गाय
C. स्वर्ग का बगीचा
D. स्वर्ग की अप्सरा
उत्तर :
B. स्वर्ग की गाय
प्रश्न 2.
श्रीकृष्ण के शरीर पर क्या लगी है?
A. घास
B. धूल
C. राख
D. शक्कर
उत्तर :
B. धूल
प्रश्न 3.
मधुकर किस रस को चखता है?
A. फलों के
B. वनस्पतियों के
C. कमल के
D. किसी के नहीं
उत्तर :
C. कमल के
प्रश्न 4.
श्रीकृष्ण के नेत्र कैसे हैं?
A. चंचल
B. लाल
C. मधुर
D. विशाल
उत्तर :
A. चंचल
प्रश्न 5.
बालकृष्ण के हाथ …………. लिए शोभा दे रहे हैं।
A. दही
B. पुष्प
C. नवनीत
D. दुग्धपान
उत्तर :
C. नवनीत
विभाग 2 : व्याकरणलक्षी
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- कर
- रेनु
- चारु
- कपोल
- दधि
- लोल
उत्तर :
- हाथ
- धूल
- सुंदर
- गाल
- दही
- चंचल
निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए।
प्रश्न 1.
- सुख
- देव
- प्यास
- चारु
- दुर्मति
- कडुआ
उत्तर :
- दुःख
- दानव
- तृप्ति
- भद्दा
- सुमति
- मोठा
निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से भाववाचक संज्ञा पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- गंगाजल को छोड़कर अपनी प्यास बुझाने कोई कुआँ क्यों खुदवाए?
- घुटनों के बल चलते श्रीकृष्ण की सुंदरता मोहक लग रही है।
- सुशोभित श्रीकृष्ण के सौंदर्य को देखना अत्यंत सुखकर लगता है।
- फिर सौ कल्प तक जीने की कोई आवश्यकता नहीं।
- भगवान की महिमा संसार में अनूठी है।
उत्तर :
- प्यास
- सुंदरता
- सौंदर्य
- आवश्यकता
- महिमा
निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से विशेषण पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- पीले वस्त्रों में सुसज्ज श्रीकृष्ण मोहक लगते थे।
- बबूल के वृक्ष की कटीली डालियों को देखकर उस पर कौन चढ़ेगा?
- कोई प्यासा व्यक्ति पवित्र गंगाजल को छोड़कर अपनी प्यास बुझाने कुआं क्यों खुदवाएगा?
- श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त सूरदासजी ने उनके लिए अत्यंत मनोहर पदों की रचनाएं कीं।
उत्तर :
- पीले
- केटीली
- प्यासा
- अनन्य
निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- दुर्मति
- अनन्य
- अनुपम
- दुर्लभ
- सुशोभित
- अत्यंत
- अनुसार
- सुमति
उत्तर :
- दुर्मति – दुः (दुस) + मति
- अनन्य – अन् + अन्य
- अनुपम – अन् + उपम
- दुर्लभ – दुः (दुस) + लभ
- सुशोभित – सु + शोभित
- अत्यंत – अति + अन्त
- अनुसार – अनु + सार
- सुमति – सु + मति
निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- अंबुज
- मधुकर
- मनमोहक
- माहात्म्य
- तृप्ति
- प्यासा
- जलज
उत्तर :
- अंबुज – अम्बु + ज
- मधुकर – मधु + कर
- मनमोहक – मनमोह + क
- माहात्म्य – महात्म + य
- तृप्ति – तृप्त + इ
- प्यासा – प्यास + आ
- जलज – जल + ज
सूरदास के पद Summary in Gujarati
ગુજરાતી ભાવાર્થ :
સુરદાસજી કહે છે કે મારું મન શ્રીકૃષ્ણ સિવાય બીજે ક્યાંય સુખ પામતું નથી. જેવી રીતે વહાણ પરનું પક્ષી વહાણ પરથી ઊડીને પાછું વહાણ પર આવી જાય છે એવી રીતે મારું મન અન્ય દેવતાઓમાં ભટકીને ફરી શ્રીકૃષ્ણનાં ચરણોમાં પાછું આવી જાય છે.
કમલનયન શ્રીકૃષ્ણનો મહિમા છોડીને બીજા કોઈ દેવતાનું ધ્યાન કેવી રીતે ધરી શકાય? કોઈ તરસ્યો માણસ પવિત્ર ગંગાજળને તજીને પોતાની તરસ છિપાવવા માટે કૂવો ખોદાવે, તો તે મૂર્ખ જ કહેવાય. જે ભમરાએ કમળના રસનો સ્વાદ ચાખી લીધો હોય, એને કેરડીનો સ્વાદ કેવી રીતે ગમે? સૂરદાસજી કહે છે, કે મારા પ્રભુ તો કામધેનુ જેવા છે. એમને છોડીને બકરીને કોણ દોહે?
હાથમાં માખણવાળા બાલકૃષ્ણ અત્યંત સુંદર લાગે છે. ઘૂંટણિયે ચાલી રહ્યા છે. એમના શરીર ઉપર ધૂળ ચોંટેલી છે અને મોઢા પર માખણ લાગેલું છે. તેમના ગાલ સુંદર અને નેત્રો ચંચળ છે. તેમના માથા પર ગોરોચનનું તિલક લાગેલું છે. તેમના મસ્તકની બંને બાજુએ વાળની લટો ઝૂલી રહી છે.
તેઓ મસ્ત મધ પીને મસ્ત થયેલા ભમરા સમાન દેખાય છે. ગળામાં પહેરેલી ચાંદીની ચોકીઓ, વાઘનખ અને બજરબડ્ડની માળા હૃદય પર શોભી રહી છે. સૂરદાસજી કહે છે કે, બાલકૃષ્ણની આ છબી જોવાનું સુખ પળભર માટે પણ મળી જાય તો જીવન ધન્ય થઈ જાય. પછી તો કલ્પ સુધી જીવવાનો કંઈ અર્થ નથી.
सूरदास के पद Summary in English
Surdasji says, “My heart does not get happiness anywhere except Shrikrishna. As a bird on a ship flies from the ship and returns to the ship. my heart also wanders in other gods and returns to the feet of Shrikrishna.
How can I meditate other Gods leaving dignity of Kamalnayan Shrikrishna ? The thirsty person is foolish who digs a well to satisfy his thirst, leaving the pure water of the Ganga. How can the wasp like the taste of Keradi who has tasted the juice of a lotus? My God is like Kamdhenu (the cow that fulfils our desires). Who milks a goat leaving the cow?
Balkrishna with butter in his hands looks very beautiful. He is walking on knees. He has dust on his body and butter on his mouth. His cheeks are beautiful and his eyes are active. He has a tilak of Gorochan on his forehead.
On both the sides of his head locks of hair are swinging They look like the wasp which has become fine after drinking honey. The silver chokles, tigernail in the neck and the chain of bajarbattu are looking attractive on the heart. Surdasjl says, “If we get a chance to see the picture of Balkrishna even for a moment, our life becomes lucky. Then there is no meaning of living hundred kalp.”
सूरदास के पद Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
सूरदास श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे। श्रीकृष्ण की भक्ति ही उनके मन को शांति देती थी। यहाँ सूरदासजी के दो पद दिए गए हैं। पहले पद में श्रीकृष्ण के प्रति उनकी अनन्य निष्ठा के दर्शन होते हैं। दूसरे पद मैं घुटनों के बल चलते बालकृष्ण की अनुपम छवि का वर्णन है।
कविता का सार :
मन जहाज का पंछी : चारों ओर जल से घिरे जहाज का पंछी कहीं भी जाए, पर अंत में जहाज पर ही आता है। उसी तरह श्रीकृष्ण का आश्रय छोड़कर कवि का मन अन्यत्र कहीं नहीं जा सकता।
श्रीकृष्ण से श्रेष्ठ कोई नहीं : सूरदास के लिए सभी देवताओं में श्रीकृष्ण ही सर्वोत्तम हैं। वे गंगा-जल के समान निर्मल हैं। वे ही कमल-रस के समान हैं। सूरदास का मनरूपी भौंरा उस रस को छोड़कर करील की इच्छा क्यों करेगा?
बालकृष्ण की शोभा : आँगन में मक्खन का पात्र लिए घुटनों के बल चलते श्रीकृष्ण की छबि देखते ही बनती है। उनके कोमल गाल, चंचल आँखें और गोरोचन के तिलक से सुशोभित उनका मस्तक, कंठ में झूलती कतुला-सी माला – ये सब अत्यन्त आकर्षक हैं। श्रीकृष्ण के बालरूप की यह छबि अत्यन्त दुर्लभ है।
कविता का अर्थ :
मेरो मन अन ………… छेरी कौन दुहावै।
सूरदासजी कहते हैं कि मेरा मन श्रीकृष्ण के सिवाय और कहीं सुख नहीं पाता। जैसे जहाज का पंछी जहाज से उड़कर पुनः जहाज पर ही आता है, उसी तरह मेरा मन अन्य देवताओं के यहाँ से भटककर फिर श्रीकृष्ण के चरणों में लौट आता है।
कमलनयन श्रीकृष्ण की महिमा छोड़कर वह अन्य किसी देवता का ध्यान कैसे कर सकता है? यदि कोई प्यासा व्यक्ति पवित्र गंगा-जल को छोड़कर अपनी प्यास बुझाने के लिए कुआँ खुदवाए तो उसे मूर्ख ही कहा जाएगा। जिस भरि ने कमल के रस का स्वाद चख लिया हो, उसे करील का फल कैसे अच्छा लगेगा? सूरदासजी कहते हैं कि मेरे प्रभु तो कामधेनु के समान हैं। उन्हें छोड़कर बकरी को कौन दुहेगा?
सोभित कर नवनीत …………. का सत कल्प जिए।
हाथ में मक्खन लिए हुए बाल श्रीकृष्ण अत्यंत सुंदर लग रहे हैं। वे घुटनों के बल चल रहे हैं। उनके शरीर पर धूल लगी हुई है और मुख में मक्खन लगा हुआ है। उनके गाल सुंदर और नेत्र चंचल हैं। उनके माथे पर गोरोचन का तिलक लगा हुआ है। उनके सिर के दोनों ओर लटे झूल रही हैं। वे मस्त मधु पीकर मस्त हुए भीरों के समान लग रही हैं।
गले में पहनी हुई चाँदी की चौकियों, बघनखा और बजरबट्ट की माला हृदय पर सुशोभित हो रही है। सूरदासजी कहते हैं कि बालकृष्ण की इस छबि को देखने का सुख एक पल के लिए भी मिल जाए तो भी जीवन धन्य हो जाए। फिर सौ कल्प तक जीने का कोई अर्थ नहीं।
सूरदास के पद शब्दार्थ :
- अनत – अन्यत्र।
- कमल-नैन – कमल के समान नेत्रवाले श्रीकृष्ण।
- महातम – महिमा।
- परम – श्रेष्ठ।
- छाडि – छोड़कर।
- पियासी – प्यासा।
- दुरमति – मूर्ख।
- कृप – कुआँ।
- खनादै – खुदवाए।
- मधुकर – भौरा।
- अंबुज – कमल।
- चाख्यो – चख लिया हो।
- करील – एक कटीला पौधा।
- कामधेनु – देवलोक की गाय जो सब इच्छाएं पूरी करती है।
- छेरी – बकरी।
- कर – हाथ।
- नवनीत – मक्खन।
- रेनु – धूल।
- मंडित – सुशोभित।
- दधि – दही।
- चारु – सुंदर।
- कपोल – गाल।
- लोल – चंचल।
- लोचन – नेत्र, आँखें।
- गोरोचन – मस्तक पर तिलक करने का पीला द्रव्य।
- लट – सिर के बालों का गुच्छा।
- मनु – मानो।
- मत्त – मस्त।
- मधुप – भीरा।
- कठुला – चाँदी की चौकियों, बघनखा और बजरबट्ट की माला।
- केहरि-नख – सिंह के नाखून।
- राजत – सुशोभित।
- रुचिर – सुंदर।
- इहि – यह।
- का – क्या?
- सत – शत, सौ।
- कल्प – चार करोड़ बत्तीस लाख वर्ष की अवधि।