Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 9 Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 9 Hindi Textbook Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए
Std 9 GSEB Hindi Solutions मेघ आए Textbook Questions and Answers
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1.
बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए।
उत्तर :
बादलों के आने पर प्रकृति में निम्नलिखित गतिशील क्रियाओं को कवि द्वारा चित्रित किया गया है –
- नाचते-गाते बयार का आना।
- दरवाजे-खिड़कियों का खुलना।
- पेड़ों द्वारा गरदन उचकाना।
- आँधी का आकर धूल उड़ाना।
- नदी का ठिठकना एवं तिरछी नजर से देखना।
- आगे बढ़कर पीपल द्वारा मेहमान का स्वागत करना।
- लताओं का छिपकर बात करना।
- तालाब द्वारा पानी भरकर लाना।
- बिजली का चमकना।
- वर्षा होना या आँसू बहना।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित किसके प्रतीक हैं ?
धूल, पेड़, नदी, लता, ताल
उत्तर :
शब्द – प्रतीक
- धूल – स्वी
- पेड़ – नगरवासी
- नदी – गाँव की विवाहिता स्वी
- लता – मेघ की प्रतीक्षा करती नायिका
- ताल – घर का सदस्य
प्रश्न 3.
लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों ?
उत्तर :
लता ने बादल रूपी मेहमान को किवाड़ की ओट से देखा क्योंकि वह एक साल बाद आया था। वह विरह से व्याकुल थी, परन्तु संकोचवश सामने नहीं आ सकती थी।
प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए –
क. क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की
उत्तर :
भाव : लता रूपी नायिका को भ्रम था कि उसके प्रिय मेघ नहीं आएँगे। परन्तु मेघ के आने से उसका भ्रम मिट जाता है और वह क्षमा माँगने लगती है।
ख. बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, पूँघट सरके।
उत्तर :
भाव : मेघ रूपी मेहमान के आने की खबर सुनते ही नदी रूपी स्वी रुक-सी जाती है। रुकते ही उसका लहर रूपी पूँघट सरक जाता है और वह तिरछी नजर से मेहमान को देखने लगती है।
प्रश्न 5.
मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए ?
उत्तर :
मेघ रूपी मेहमान के आने से हवा चलने लगी जो धीरे-धीरे आँधी में बदल गई। आँधी चलने से गली में धूल उड़ने लगी और लोगों के खिड़की-दरवाजे खुलने लगे। पेड़ झुकने-उठने लगे। लता हवा में लहराने लगी। नदी-तालाब के पानी में उथल पुथल होने लगा। क्षितिज पर बादल घिर आए और बिजली चमकने के साथ वर्षा होने लगी।
प्रश्न 6.
मेघों के लिए ‘बन-उन के, सँवर के आने की बात क्यों कही गई है ?
उत्तर :
मेघ एक वर्ष बाद आते हैं। उनकी प्रतीक्षा उसी तरह की जाती है जिस तरह मेहमान (दामाद) के आने की प्रतीक्षा की जाती है। मेहमान जब भी आते हैं तो वे सज-सँवर कर आते हैं। काले-कजरारे मेघ जब उमड़ते घुमड़ते हुए आते हैं तो बड़े सुंदर लगते हैं। बिजली की चमक-दमक और इंद्रधनुष का रंग उन्हें और भी सुंदर बना देता है इसीलिए कवि ने मेघों के लिए ‘बनठन के, सँवर के आने की बात कही है।
प्रश्न 7.
कविता में आए मानवीकरण तथा रूपक अलंकार के उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर :
मानवीकरण अलंकार के उदाहरण –
- आगे-आगे नाचती बयार चली
- मेघ आए बड़े, बन-ठन के सँवर के।
- पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए।
- धूल भागी घाघरा उठाए।
- बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी
- बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की
- बोली अकुलाई लता
- हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
रूपक अलंकार के उदाहरण :
- क्षितिज अटारी गहराई
- बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
प्रश्न 8.
कविता में जिन रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है, उसका वर्णन कीजिए।
उत्तर :
कविता में निम्नलिखित रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है –
- मेहमान के आने पर पूरे गाँव में खुशी छा जाना।
- सभी लोगों द्वारा अपने-अपने तरीकों से मेहमान के स्वागत में लग जाना।
- बुजुर्गों द्वारा स्वागत-सत्कार किया जाना।
- गाँव की स्त्रियों द्वारा मेहमान से पर्दा करना।
- पैरों को धोने के लिए परात में पानी लाना।
प्रश्न 9.
कविता में कवि ने आकाश में बादल और गाँव में पाहुन (दामाद) के आने का जो रोचक वर्णन किया गया है, उसे लिखिए।
उत्तर :
कवि ने मेघों की तुलना सज-धजकर आए पाहुन (दामाद) से करते हुए कहा है कि जिस तरह मेहमान के आने पर गाँव के बच्चे दौड़कर सबको सूचना देते हैं उसी तरह मेघों के आने की सूचना देने के लिए हवा तेज गति से चलने लगी है। मेहमान को देखने की उत्सुकता में जिस तरह लोग खिड़की-दरवाजे से झाँकते है उसी तरह मेघ दर्शन के लिए लोग खिड़की से झाँकने लगे हैं।
आँधी के आने से गलियों में धूल उड़ने लगी है मानो कोई लड़की घाघरा उठाए भाग रही है। जिस तरह मेहमान के स्वागत में वृद्ध हाथ जोड़कर उसका स्वागत करते हैं, पत्नी दरवाजे की ओट से देखती है उसी तरह आँधी चलने से पेड़ की डालियाँ झुकने लगीं, पेड़ से लिपटी लता भी हिलने लगी। जैसे मेहमान के आने पर विरह की पीड़ा दूर हो जाती है और मिलन होने पर खुशी के आँसू झरने लगे उसी तरह क्षितिज पर बादल घिरने लगे और बिजली चमकने लगी। देखते ही देखते वर्षा होने लगी।
प्रश्न 10.
काव्य-सौन्दर्य लिखिए –
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँबर के।
उत्तर :
काव्य-सौन्दर्य : प्रस्तुत पंक्तियों में मेघ रूपी मेहमान के आने का सजीव चित्रण है। दामाद के रूप में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। कविता में चित्रात्मक शैली का उपयोग किया गया है। भाषा आम-बोलचाल की है। ‘बड़े बन-ठन के’ में ‘ब’ वर्ण की आवृत्ति होने से अनुप्रास अलंकार है। ‘मेघ आए बड़े बन-ठन के’ पंक्ति में मेघ का दामाद के रूप में मानवीकरण हुआ है, अतः मानवीकरण अलंकार है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 11.
वर्षा के आने पर अपने आसपास के वातावरण में हुए परिवर्तनों को ध्यान से देखकर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर :
वर्षा के आने पर आसपास की धूल मिट जाती है। पानी की फुहार के साथ शीतल हवा बहने लगती है। कभी-कभी आँधी आती है और घना अंधेरा छा जाता है। पक्षी अपने घोंसले की ओर लौटने लगते हैं। पानी से बचाने के लिए लोग अपनेअपने पशुओं को पशुशाला में बाँध देते हैं। स्वयं घर में चले जाते हैं।
प्रश्न 12.
कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग क्यों कहा है ? पता लगाइए।
उत्तर :
पीपल के पेड़ को बड़ा बुजुर्ग इसलिए माना जाता है क्योंकि उसकी डाली पर उन बुजुर्गों के नाम के घंट बाँधे जाते हैं, जो मर। जाते हैं। साथ ही पीपल के पेड़ की उम्र लम्बी होती है।
प्रश्न 13.
कविता में मेघ को पाहुन के रूप में चित्रित किया गया है। हमारे यहाँ अतिथि (दामाद) को विशेष महत्त्व प्राप्त है, लेकिन आज इस परंपरा में परिवर्तन आया है। आपको इसके क्या कारण नजर आते हैं, लिखिए।
उत्तर :
पाहून का अर्थ भारतीय ग्रामीण संस्कृति में दामाद होता है, केवल सामान्य मेहमान नहीं, और दामाद का विशेष सम्मान करने की परम्परा रही है। आज के व्यस्त युग में इस परम्परा में परिवर्तन आया है। साथ ही संचार माध्यमों के विकास से कोई भी मेहमान अब ‘अतिथि’ नहीं रह गया, उसके आने का पता किसी न किसी तरह मिल ही जाता है।
यातायात के साधनों के विकास के कारण आवागमन सरल बना है। पहले की तरह जाने के लिए आयोजन और व्यवस्था की अब जरूरत नहीं पड़ती इसलिए पाहुन भी वर्ष में एकाध बार आनेवाले नहीं रहे। जब चाहे तब आ धमकते हैं और यह विदित ही है कि बार-बार आनेवाले पाहुन का स्वागत कभी कभार आनेवाले पाहुन की तरह नहीं हो पाता।
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 14.
कविता में आए मुहावरों को छाँटकर अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए।
उत्तर :
1. सुधि लेना (याद करना)
विदेश में रहनेवाला मेरा पड़ोशी अपने काम में इतना व्यस्त है कि छा – छा महीने तक उसे फोन करने की सुधि नहीं आती।
2. गाँठ खुलना (भ्रम दूर होना)
मित्र की बात सुनकर मेरे मन की गाँठ खुल गई।
3. बाँध टूटना (धैर्य खत्म होना)
पिता की मृत्यु से स्तब्ध बैठे बड़े भाई ने जब छोटे भाई को आते देखा तब उसके आँसुओं का बाँध टूट गया।
4. बन-ठनकर आना (सज-सँवरकर आना)
शादी-ब्याह में, बाराती बन-उनकर रहते हैं।
प्रश्न 15.
कविता में प्रयुक्त आँचलिक शब्दों की सूचि बनाइए।
उत्तर :
बन-ठन, पाहुन, घाघरा, जुहार, किवार, परात, लीन्हौं, ढरके
प्रश्न 16.
‘मेघ आए’ कविता की भाषा सरल और सहज है – उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘मेघ आए’ कविता में क्षितिज, दामिनी, अश्रु और क्षमा जैसे तीन-चार तत्सम शब्दों को छोड़कर बाकी शब्द बोलचाल की भाषा के हैं या बोली के। कविता की भाषा चित्रात्मक है। मानवीकरण का उपयोग करके इस चित्रात्मकता को विश्वसनीय बनाया गया है, जैसे – ‘नाचती गाती बयार चली’, ‘धूल भागी घाघरा उठाए’। कविता में संवाद गाँव की बोली में रखे गए हैं। जैसे; ‘बरस बाद सुधि लीन्हीं। कहीं-कहीं आँचलिक शब्दों का प्रयोग किया गया है। कुल मिलाकर कविता की भाषा सरल, प्रवाहमय, सहज़ और जीवंत लगती है।
GSEB Solutions Class 9 Hindi मेघ आए Important Questions and Answers
अतिरिक्त प्रश्न
प्रश्न 1.
मेघ के आने पर दरवाजे-खिड़कियों क्यों खलने लगीं?
उत्तर :
मेघ के आने से अगवानी करती पुरवाई हवा चल पड़ी है। हवा नाचती-गाती आ रही है। उसके नाच-गान की आवाज़ को सुनने के लिए और मेघ रूपी मेहमान को देखने के लिए दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं।
प्रश्न 2.
‘बरस बाद सुधी लीन्हीं’ – ऐसा लता ने क्यों कहा ?
उत्तर :
लता, मेघ की जीवन संगिनी है। वह एक वर्ष से पति वियोग की व्यथा झेल रही थी इसीलिए उसने शिकायत भरे लहजे में
कहा कि तुम्हें पूरे एक वर्ष बाद मेरी याद आई है।
प्रश्न 3.
मेघ को नदी ने किस तरह देखा ?
उत्तर :
नदी ने भारतीय नारी की भाँति पहले अपने चेहरे से घूघट थोड़ा-सा हटाया और तिरछी नजर से मेघरूपी मेहमान को देखा।
प्रश्न 4.
मेघ के आगे-आगे बयार क्यों चल रही थी ?
उत्तर :
बयार (हवा) मेघरूपी मेहमान की अगवानी कर रही है। वह अपने नाच-गान से मेहमान के आने की सूचना नगरजनों को देना चाहती है। इसीलिए मेघ के आगे-आगे बयार चल रही थी।
भावार्थ और अर्थबोधन संबंधी प्रश्न
1. मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाज़े-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
भावार्थ : कवि कहते हैं कि आकाश में बादल घिर आए हैं। बादलों को देखकर ऐसा लगता है जैसे कोई शहरी मेहमान सजधजकर आए हैं। बादलों के आने से पहले उनकी अगवानी करती हुई पुरवाई हवा चल पड़ी है। हवा मस्ती से नाचती-गाती आ रही है। उसके नाच-गाने के आकर्षण से गलियों के खिड़की-दरवाजे खुलने लगते हैं। लोग मेघ रूपी शहरी मेहमान को देखना चाहते हैं।
प्रश्न 1.
मेघ गाँव में किस प्रकार आए हैं ?
उत्तर :
मेघ गाँव में शहरी मेहमान की तरह सज-धजकर आए हैं।
प्रश्न 2.
‘बयार’ को किस रूप में चित्रित किया गया है ?
उत्तर :
बयार (हया) को मेघ रूपी मेहमानों की अगवानी करते हुए चित्रित किया गया है। हवा मेहमान के आगे-आगे नाचती-गाती चल रही है। उसके नाच-गान से लोगों को पता चल जाता है कि पाहुन आ रहे हैं।
प्रश्न 3.
मेघ के आगमन से गाँव का वातावरण कैसा हो गया है ?
उत्तर :
मेघ के आगमन से गाँव के वातावरण में उल्लासमय हो गया है। लोग मेघरुपी मेहमान को देखने के लिए बड़ी तेजी से खिड़की दरवाजे खोल रहे हैं।
प्रश्न 4.
गाँव में मेघ का स्वागत किस तरह किया जाता है, क्यों ?
उत्तर :
गाँव में मेघ का स्वागत पाहुन (दामाद) की तरह किया जाता है। गाँव की कृषि वर्षा पर आधारित है। कृषि कार्य वर्षा होने पर ही आरंभ होता है इसीलिए किसानों को मेहमान के आने जैसी खुशी बादलों के आने पर होती है।
प्रश्न 5.
‘मेघ आए बन-उन के सँवर के’ में कौन-सा अलंकार है ?
उत्तर :
‘मेघ आए बन-उन के सँवर के’ यहाँ बादलों को मानव की तरह बनते-सँवरते दिखाया गया है इसलिए मानवीकरण अलंकार है।
2. पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, यूंघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
भावार्थ : कवि कहते हैं कि मेहमान के रूप में आए बादल को जिस प्रकार लोग झुककर प्रणाम करते हैं और फिर गर्दन उचकाकर देखते हैं उसी तरह बादल के आने पर पेड़ हया के कारण झुकते हैं और फिर डोलने लगते हैं।
धीरे-धीरे हवा आँधी का रूप ले लेती है और धूल उड़ने लगती है। जिसे देखकर ऐसा लगता है कि जैसे कोई लड़की किसी अपरिचित को देखकर घघरा उठाए भागी जा रही है। बादलों का आना नदी के लिए भी खुशी की बात है, वह भी ठिठककर बादलों को यूँ देखने लगी जैसे कोई स्त्री तिरछी नजर से मेहमान को देखती है। ऐसा वह लज्जा के कारण अपना यूँघट उठाकर कर रही है।
प्रश्न 1.
पेड़ गरदन उचकाते हुए क्यों झुकने लगे ?
उत्तर :
पेड़, मेघरूपी मेहमान को प्रणाम करने के लिए तेज हवा की वजह से गरदन उचकाते हुए झुकने लगे।
प्रश्न 2.
‘धूल’ को किस रूप में चित्रित किया गया है ?
उत्तर :
धूल को गाँव की लड़की के रूप में चित्रित किया गया है, जो घधरा उठाए भागी जा रही है।
प्रश्न 3.
आँधी और नदी पर बादलों के आने का क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर :
बादलों के आने से हवा धीरे-धीरे आँधी में बदल गई। आँधी धूल से भर गई। दूसरी तरफ नदी खुश हो गई। वह बादलों को ठिठककर देखने लगी।।
प्रश्न 4.
बादलों के आने से प्रकृति में क्या परिवर्तन आए ?
उत्तर :
बादलों के आने से तेज हवा चलने लगी। हवा के कारण पेड़ झुकते हैं और फिर डोलने लगते हैं। ऐसा लगता है कि वे खुश होकर मेहमान रूपी बादल को प्रणाम करते हैं और फिर गर्दन उचकाकर देखते हैं।
प्रश्न 5.
उपर्युक्त काव्य पंक्तियों में किसका-किसका मानवीकरण किया गया है ?
उत्तर :
काव्य पंक्तियों में पेड़, धूल, नदी और मेघ का मानयीकरण किया गया है।
3. बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’ –
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-उन के सँवर के।
भावार्थ : कवि कहते हैं कि जिस प्रकार मेहमान के आने पर घर के बड़े उनका स्वागत करते हैं, उसी तरह बादल रूपी मेहमान के आने पर बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर उनका स्वागत किया। साल भर के इंतजार के बाद बादलरूपी पति को देखकर लता रूपी पत्नी व्याकुल हो उठी। दरवाजे के पीछे छिपकर बोली कि तुम्हें पूरे एक वर्ष बाद मेरी याद आई है। तालाब मेघ के आने की खुशी में उमड़ आया है और परात में पानी भर लाया, जिससे मेहमान के पैर धो सके। इस तरह, मेघ बन-ठनकर, सज-धजकर आए हैं।
प्रश्न 1.
मेघ के आने पर बूढ़े पीपल ने क्या किया ?
उत्तर :
मेघ के आने पर बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर बड़े-बुजुर्गों की तरह स्वागत किया।
प्रश्न 2.
व्याकुल लता ने मेघ से क्या शिकायत की और क्यों ?
उत्तर :
व्याकुल लता मेघ रूपी पति की जीवन संगिनी है। जो एक वर्ष से पति वियोग की पीड़ा सह रही थी। इसीलिए उसने मेघ से उलाहना देते हुए कहा कि तुम्हें पूरे एक वर्ष बाद मेरी याद आई है।
प्रश्न 3.
तालाब ने अपनी खुशी कैसे व्यक्त की ?
उत्तर :
कवि ने तालाब को बड़े-बूढ़ों के रूप में और मेघ को मेहमान के रूप में चित्रित किया है। जब मेघ रूपी मेहमान घर आता है तो तालाब रूपी बुजुर्ग प्रसन्न हो जाता है और मेहमान का पैर धुलवाने के लिए खुशी-खुशी परात में पानी भर लाता है।
प्रश्न 4.
लता ने भारतीय मर्यादा का पालन किस तरह किया ?
उत्तर :
लता (पत्नी) ने घर के बुजुर्गों की उपस्थिति में मेघ रूपी अपने पति से शिकायत तो की, परन्तु दरवाजे की आड़ में छिपकर। इस तरह, लता ने भारतीय मर्यादा का पालन किया।
प्रश्न 5.
‘पानी परात भर के’ में कौन-सा अलंकार है ?
उत्तर :
‘पानी परात भर के’ में ‘प’ वर्ण की आवृत्ति होने से अनुप्रास अलंकार है।
4. क्षितिज अटारी गहराई दामिनि दमकी,
‘क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’,
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
मेघ आए बड़े बन-उन के सँवर के।
भावार्थ : बादलों को घिरते देखकर कवि कहते हैं कि क्षितिजरूपी अटारी बादलों से ढंक चुकी है और बिजली चमकने लगी है। अब तक जो अशंका थी कि बादल नहीं बरसेंगे, वह भ्रम टूट चुका है। अटारी पर खड़ी नायिका के मन का भी भ्रम टूट गया है। मेहमान अटारी पर आ गया है मानो उसके अंदर बिजली दौड़ गई है। वह मन ही मन क्षमा माँगने लगती है। उसके मन के भावों को समझते ही मेहमान की आँखों से खुशी के आँसू बरसने लगते हैं, अर्थात् वर्षा होने लगी। इस तरह बादल सज-धजकर गाँव आए हैं।
प्रश्न 1.
मेघ आने से क्षितिज रूपी अटारी पर क्या परिवर्तन हुआ ?
उत्तर :
मेघ आने पर क्षितिज रूपी अटारी पर बादल घिर आए और बिजली चमकने लगी।
प्रश्न 2.
बादलों के क्षितिज पर छाने से पहले क्या भम बना हुआ था ?
उत्तर :
बादलों के क्षितिज पर छाने से पहले यह भ्रम बना हुआ था कि बादल नहीं बरसेंगे।
प्रश्न 3.
‘मिलन के अश्रु ढरके’ का क्या आशय है ?
उत्तर :
‘मिलन के अश्रु ढरके’ का यह आशय है कि क्षितिज रूपी अटारी पर जब व्याकुल अपने प्रेमी से मिली तो आँखों से खुशी के आँसू बरसने लगते हैं।
प्रश्न 4.
काव्यांश में कौन-कौन से मुहावरे हैं ?
उत्तर :
गाँठ खुलना (मन का मैल दूर होना), बाँध टूटना (धैर्य समाप्त होना), बन-ठन के आना (सज-सँवरकर आना) आदि मुहावरे हैं।
मेघ आए Summary in Hindi
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जन्म उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में हुआ था। इन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से एम.ए. पास करके अध्यापन कार्य किया। कुछ समय बाद आकाशवाणी दिल्ली में समाचार विभाग में कार्य करने लगे। इन्होंने ‘दिनमान’ साप्ताहिक का सम्पादन भी किया। सक्सेनाजी मुख्य रूप से कवि एवं नाटककार के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
इन्होंने पहले कथाकार के रूप में शुरुआत की बाद में कविता लिखने लगे। सर्वेश्वरजी तीसरा सप्तक के कवि है। इनकी कविता जहाँ नई कविता काष्य आंदोलन से जुड़ती है तो दूसरी ओर प्रगतिशील-जनपक्षधर काव्यांदोलन से भी इनकी कविता का संबंध है। नई कविता के प्रमुख व महत्त्वपूर्ण कवियों में इनकी गणना की जाती है।
इनकी कविताओं में आधुनिक जीवन की विडम्बना, जीवन की विषम परिस्थितियों में भी व्यक्ति की जिजीविषा आदि का मार्मिक वर्णन मिलता है। इनके प्रमुख काव्य संग्रह है ‘जंगल का दर्द’, ‘कुआनों नदी’, ‘गर्म हवाएँ’, ‘चूंटियों पर टैंगे लोग’, ‘क्या कह कर पुकारूँ’, ‘कोई मेरे साथ चले’। कविता के अतिरिक्त इन्होंने नाटक, कहानी, उपन्यास, बालगीत आदि भी लिखें हैं। इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
इनकी रचनाओं का अन्तर्राष्ट्रीय भाषाओं जैसे चेक, पोलिश, रूसी तथा जर्मन भाषाओं में भी अनुवाद हुआ है। इनकी कविता की विशेषता यह है कि इन्होंने अनुभूति की सच्चाई को सीधे-सादे बिम्बों में व्यक्त किया है।
कविता-परिचय :
‘मेघ आए’ कविता में कवि ने मेघों के आने की तुलना सज-धजकर आनेवाले प्रवासी पाहुन (दामाद) से की है। ग्रामीण संस्कृति में दामाद के आने पर उल्लास का जो वातावरण बनता है, वही उल्लास मेघरूपी शहरी मेहमान के आने पर दिखाया गया है। किसी ने मेहमान का स्वागत किया तो किसी ने उलाहना भी दिया है।
शब्दार्थ-टिप्पण :
- बयार – हवा
- पाहुन – मेहमान
- उचकाए – उठाकर
- बाँकी चितवन – तिरछी नजर
- ठिठक – हिचक
- जुहार करना – आदर के साथ झुककर नमस्कार करना
- सुधि – याद
- ओट हो – छिपकर
- किवार – दरवाजा
- हरसाया – हर्षित हुआ, प्रसन्न हुआ
- क्षितिजअटारी गहराई – अटारी पर पहुँचे अतिथि की भाँति क्षितिज पर बादल छा गए
- दामिनी – बिजली
- दमकी – चमकी
- गाँठ खुल गई अब भरम की – बादल के न बरसने का भ्रम टूट गया
- प्रियतम अपनी प्रिया से अब मिलते नहीं आएगा – यह भ्रम टूट गया
- ढरके – लुढ़क पड़े