Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 11 Organization of Commerce and Management Chapter 4 सूचना संचार, ई-कॉमर्स और आउटसोर्सिंग Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Organization of Commerce and Management Chapter 4 सूचना संचार, ई-कॉमर्स और आउटसोर्सिंग
GSEB Class 11 Organization of Commerce and Management सूचना संचार, ई-कॉमर्स और आउटसोर्सिंग Text Book Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिये गये विकल्पों में से पसन्द करके पुन: लिखिए ।
प्रश्न 1.
कौन-सी प्रक्रिया द्वारा ग्राहक को उत्पादन के मूल्य के लिए बोली लगाकर के क्रय-विक्रय की सुविधा प्रदान की जाती है ?
(A) धन्धा से ग्राहक
(B) धन्धा से धन्धा
(C) ग्राहक से ग्राहक
(D) ग्राहक से धन्धा
उत्तर :
(D) ग्राहक से धन्धा
प्रश्न 2.
रेलवे की टिकिट देशभर में किसी भी स्थान से प्राप्त कर सकते है । यह किस प्रकार का नेटवर्क कहते हैं ?
(A) एन्टरपाइज वेन
(B) LAN
(C) MAN
(D) CAN
उत्तर :
(A) एन्टरपाइज वेन
प्रश्न 3.
धन्धाकीय इकाईयाँ अपना कार्य, बाहर की संस्थाओं को सौंपे तो क्या कहा जाता है ?
(A) ई-कॉमर्स
(B) आउटसोर्सिंग
(C) ई-मेईल
(D) नेट बैंकिंग
उत्तर :
(B) आउटसोर्सिंग
प्रश्न 4.
अन्य व्यक्ति के मन में आवश्यक समझ उत्पन्न करने की समग्र प्रक्रिया को क्या कहा जाता है ?
(A) संदेश
(B) सूचना संचार
(C) ई-मेईल
(D) ई-कॉमर्स
उत्तर :
(B) सूचना संचार
प्रश्न 5.
इन्टरनेट के माध्यम द्वारा कम्प्यूटर की मदद से कम्प्यूटर के परदे पर संदेश टाईप करके उनका आदान-प्रदान करने की प्रवृत्ति क्या कहलाती है?
(A) ई-कॉमर्स
(B) फेक्स
(C) इन्ट्रानेट
(D) ई-मेईल
उत्तर :
(D) ई-मेईल
प्रश्न 6.
विद्युत संचालित यंत्र और माध्यमों की मदद से होने वाणिज्य का विनिमय तथा वितरण को क्या कहा जाता है ?
(A) इन्ट्रानेट
(B) ई-कॉमर्स
(C) ई-मेईल
(D) इन्टरनेट
उत्तर :
(B) ई-कॉमर्स
प्रश्न 7.
माहिती का सुपर हाई-वे के रूप में किसे कहा जाता है ?
(A) इन्टरनेट सेवा
(B) बैंकिंग सेवा
(C) ई-कॉमर्स
(D) आउटसोर्सिंग
उत्तर :
(A) इन्टरनेट सेवा
प्रश्न 8.
कागज बिना की डाक अर्थात् ……………………….
(A) फैक्स
(B) इन्टरनेट
(C) ई-कॉमर्स
(D) ई-मेईल
उत्तर :
(D) ई-मेईल
प्रश्न 9.
शीघ्र और अद्यतन माहिती प्राप्त करने के लिए उपयोगी है ।
(A) फैक्स
(B) इन्टरनेट
(C) ई-मेईल
(D) ई-कॉमर्स
उत्तर :
(B) इन्टरनेट
प्रश्न 10.
ई-कॉमर्स में कौन-सी सीमाएँ अडचनरूप नहीं बनती ?
(A) भौगोलिक
(B) क्रय शक्ति की
(C) मौद्रिक
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(A) भौगोलिक
प्रश्न 11.
संदेश भेजकर तुरन्त ही उनका उत्तर प्राप्त करने में उपयोगी है ।
(A) E-Commerce
(B) Fax
(C) Internet
(D) E-mail
उत्तर :
(D) E-mail
प्रश्न 12.
वर्तमान समय में सूचना-संचार के साधन इनमें से कैसे होने लगे हैं ?
(A) मूल्यवान
(B) विश्वसनीय
(C) बहुउद्देश्य
(D) अलिप्त
उत्तर :
(C) बहुउद्देश्य
2. निम्न प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए :
प्रश्न 1.
एन्टरप्राइज वेन अर्थात् क्या ?
उत्तर :
इन्टरप्राइज वेन अर्थात् एक ही बड़ी इकाई/संस्था का विशाल रूप से फैले हुए कम्प्यूटर्स का नेटवर्क है । जो कि विभिन्न स्थानों का स्थिर कम्प्यूटर्स के नेटवर्क का नेटवर्क है । जो कि संस्था के लिए खड़ा किया गया नेटवर्क है । ऐसा नेटवर्क इन्ट्रानेट के रूप में जाना जाता है । जैसे भारतीय रेलवे समग्र देश में अपने कार्यालय को इस तरह जोड़ती है ।
प्रश्न 2.
कम्प्यूटर्स नेटवर्क अर्थात् क्या ?
उत्तर :
कम्प्यूटर्स के समूह को माहिती व संसाधनों का सामुहिक उपयोग उद्देश्यपूर्वक एकदूसरे के साथ जोड़ा जाए तो उन्हें नेटवर्क कहते हैं । इसके लिए हार्डवेर व सोफ्टवेर से जुड़े हुए होने चाहिए । इस तरह दो या इससे अधिक कम्प्यूटर्स के मध्य आन्तरिक रुप से जुड़े हए तंत्र को कम्प्यूटर नेटवर्क कहते हैं ।
प्रश्न 3.
ई-कॉमर्स में वित्त का भुगतान किसके द्वारा होता है ?
उत्तर :
ई-कॉमर्स में वित्त का भुगतान निम्न द्वारा किया जाता है ।
- केश ऑन डिलीवरी COD
- चेक
- नेट बैंकिंग ट्रान्सफर
- Credit Card/Debit Card
- डिजीटल केश
प्रश्न 4.
हेकिंग अर्थात् क्या ?
उत्तर :
हेकिंग का अर्थ होता है हायजेक करना । अपने कम्प्यूटर पर जो गुप्त बातें मेमरी में रखी जाती है, उसको अन्य लोग चालाकी से हड़प लेते है । यह एक प्रकार की सूचना सम्बन्धी चोरी है । इसलिए हेकिंग करनेवाले लोगों पर कम्प्यूटर एवं सायबर-सम्बन्धी (सायबर – क्राइम) व्यवस्था भी है ।
प्रश्न 5.
विश्व में स्थित चार इन्टरनेट की मध्यस्थ संस्थाओं के नाम बताइए ।
उत्तर :
- Hahoo
- Rediff
- Hot mail
- AOL (America on line)
प्रश्न 6.
विश्व को समाविष्ट करनेवाला इन्टरनेट किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर :
World Wide Web (www अथवा web) के नाम से जाना जाता है ।
प्रश्न 7.
पासवर्ड (Pass ward) संज्ञा समझाइए ।
उत्तर :
ई-मेईल जिसे भेजा जाये उसी को मिले इसके लिए संदेश लेनेवाली मध्यस्थ संस्था के समक्ष जो संकेत दर्शाया जाए उसे पासवर्ड कहते हैं ।
प्रश्न 8.
ई-मेईल की गोपनियता का विश्वास किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है ?
उत्तर :
अमुक समय के पश्चात् पासवर्ड को बदलकर ई-मेईल की गोपनियता का विश्वास प्राप्त किया जा सकता है ।
प्रश्न 9.
‘डोट कोम’ संज्ञा समझाइए ।
उत्तर :
इन्टरनेट द्वारा जो मध्यस्थ संस्था द्वारा ई-मेईल का आदान-प्रदान करना हो तब पता दर्शाया जाता है । पता दर्शाए हुए पूर्ण विराम को डोट कोम (.com) कहते हैं ।
प्रश्न 10.
‘मेमरी’ संज्ञा समझाइए ।
उत्तर :
कम्प्यूटर केवल विभिन्न प्रकार की गणना नहीं करता परन्तु विविध प्रकार की माहिती को संग्रह करते है । जहाँ इस माहिती का संग्रह किया जाए उन्हें ‘मेमरी’ (Memory) कहा जाता है ।
प्रश्न 11.
सूचना-संचार का अर्थ बताइए ।
उत्तर :
सूचना-संचार दो अथवा दो से अधिक व्यक्तियों के माध्यम द्वारा तथ्यों, विचारों, मन्तव्यों और भावनाओं का आदान-प्रदान या लेन देन की प्रक्रिया है ।
12. www का मूल रुप लिखिए ।
उत्तर :
world wide web.
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए ।
प्रश्न 1.
इन्टरनेट का अर्थ बताइए ।
उत्तर :
इन्टरनेट यह इन्टर कनेक्शन और नेटवर्क यह दो शब्दों पर से आया है । इन्टरनेट का अर्थ इन्टर + नेट अर्थात् इन्टर का अर्थ होता है आन्तरिक तथा नेट का अर्थ होता है जाल, इस तरह इन्टरनेट अर्थात् आन्तरिक जाल । इन्टरनेट यह विश्व का सबसे बृहद कम्प्यूटर संचालित सिस्टम है । जिसके दूसरे नाम जैसे कि The Net, Information Super Hiway, Cyber Space दी नेट, इन्फोरमेशन सुपर हाईवे, साईबर स्पेस आदि है ।
प्रश्न 2.
ई-कॉमर्स का अर्थ दीजिए ।
उत्तर :
ई-कॉमर्स (E-Commerce) अर्थात् कि इलेक्ट्रोनिक कॉमर्स जिसमें इलेक्ट्रोनिक साधन द्वारा संचालित यंत्र और उसके माध्यम से होनेवाला विनिमय तथा वितरण को वाणिज्य में E-Commerce कहते हैं । ई-कॉमर्स में व्यापार की प्रक्रियाएँ जैसे कि क्रय, विक्रय, विज्ञापन, अन्य उत्पादनों के साथ तुलना, रुपयों का आदान-प्रदान इत्यादि इलेक्ट्रोनिक उपकरण (विद्युत संचालित यंत्र) द्वारा होता है । इसके लिए इन्टरनेट, कम्प्यूटर नेटवर्क, ई-मेईल सेवा, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड इत्यादि माध्यमों का उपयोग किया जाता है ।
प्रश्न 3.
धन्धाकीय प्रक्रिया/बहिस्रोत (BPO) की आवश्यकताएँ बताइए ।
अथवा
BPO का अर्थ एवं इनका कार्यक्षेत्र बताइए ।
उत्तर :
BPO – Business Process Outsourcing अर्थात् कम्पनी के विशिष्ट कार्य या प्रक्रियाएँ पूर्ण करने के लिए बाह्य कम्पनी या समूह से करार आधारित सेवा प्राप्त करना । जैसे कोल सेन्टर्स या डेटा एन्ट्री का कार्य जो कम्पनियाँ आउटसोर्सिंग की इच्छुक होती है उनका मुख्य उद्देश्य खर्च में कमी लाना है । BPO का कार्य भारत, चीन जैसे विशाल जनसंख्यावाले देशों को अधिक मिलता है ।
BPO की आवश्यकताएँ : BPO कम्पनी के कोर्पोरेट स्तर के कर्मचारियों को दैनिक सहायक कार्य की जिम्मेदारी से मुक्त करती है । जिससे कर्मचारी उत्पादक प्रवृत्तियों पर विशेष ध्यान दे सके तथा ग्राहकों पर विशेष ध्यान केन्द्रित कर सकते है ।
- खर्च में कमी : धन्धाकीय इकाईयाँ बिलिंग, क्रय, डेटा ऐन्ट्री, बाजार का सर्वेक्षण जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यालय (office) जैसे कार्यों का आउटसोर्सिंग करके उनके खर्च में कमी लाई जा सकती है ।
- कम्पनी के मुख्य धन्धे पर ध्यान : धन्धाकीय इकाइयों के दैनिक कार्यों के आउटसोर्सिंग करने से संचालक मुख्य धन्धे पर विशेष ध्यान केन्द्रित कर सकते है ।
- कार्यकुशलता का लाभ : धन्धाकीय इकाइयाँ कर्मचारियों की भर्ती करके उनको प्रशिक्षित करने के बदले आउटसोर्सिंग के माध्यम । से गुणवत्तापूर्वक अथवा योग्य रूप से कार्य करा सकते है ।
- परिवर्तनशील मांग को पूर्ण करने के लिए : BPO कम्पनियाँ ग्राहकों की सतत परिवर्तन माँग को पूरा करने के लिए सुविधाएँ प्रदान करते है ।
- लाभ में वृद्धि : व्यापारिक इकाईयों के केन्द्र स्थान में न हो ऐसे कार्यों का आउटसोर्सिंग करके कम्पनी महत्त्वपूर्ण घटक पर विशेष ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं । जैसे कि विक्रय में वृद्धि, नये उत्पादन का विकास करना, व्यापार के कद को बढ़ाना तथा ग्राहक सेवा व संतोष में वृद्धि करना । जिसके परिणामस्वरूप इकाइयों के लाभ में वृद्धि होती है ।
BPO का कार्यक्षेत्र :
- Bank office outsourcing : Billing, खरीदी, डेटा ऐन्ट्री जैसे व्यापार के आन्तरिक कार्य किये जाते है ।
- Front office outsourcing : मार्केटिंग या तकनिकी सहायता जैसी ग्राहक सम्बन्धी सेवाओं का समावेश होता है ।
प्रश्न 4.
ज्ञान प्रक्रिया बहिस्त्रोत (KPO) का अर्थ लिखिए ।
उत्तर :
KPO – Knowledge Process Outsourcing अर्थात् ज्ञान सम्बन्धित प्रक्रिया का आउटसोर्सिंग । KPO के ख्याल में मुख्य रूप से ज्ञान सम्बन्धित प्रक्रियाओं पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है । KPO में ऐसी प्रक्रियाओं का समावेश होता है कि जिसमें उच्च स्तर का ज्ञान व कुशलता इच्छित होती है, जो कि कम्पनी के विकास जिम्मेदार होते हैं ।
प्रश्न 5.
ज्ञान प्रक्रिया बहिस्त्रोत BPO की आवश्यकता
उत्तर :
- सर्वोत्तम कौशल्य की प्राप्ति : ऐसी संस्था उच्च कौशल्य रखती है तथा इनका लाभ धन्धाकीय इकाईयों को न्यूनतम खर्च पर मिलती है ।
- स्त्रोत का महत्तम उपयोग : इसके माध्यम से महत्तम उपयोग ग्राहकलक्षी प्रवृत्तियों में कर सकते है ।
- कठिन समस्याओं का निराकरण : आऊटसोर्सिंग के माध्यम से कठिन समस्याओं का निराकरण आसानी से कर सकते है ।
- मुख्य कार्यों पर विशेष ध्यान : आऊटसोर्सिंग की मदद से धन्धाकीय इकाईयाँ अपने मुख्य कार्य पर विशेष ध्यान दे सकते है । जैसे कि एक स्कूल कम्प्यूटर शिक्षण, केन्टीन सुविधा, स्टेशनरी सुविधा जैसे कार्यों का आउटसोर्स करें तो संस्था के मुख्य कार्यों पर अधिक ध्यान दे सकते हैं ।
- वित्त का महत्तम उपयोग : धन्धाकीय इकाईयाँ कई कार्यों का आउटसोर्सिंग करे तो कम्पनी की पूँजी ऐसे कार्यों में रोकने की आवश्यकता नहीं होती । जिसके परिणामस्वरूप धन्धाकीय इकाईयाँ विकास हेतु ऐसी पूँजी का महत्तम उपयोग कर सकते है ।
- खर्च में कमी : कम्पनी की बाजार प्रक्रिया, संशोधन विकास जैसे कार्यों का आउटसोर्सिंग करने से धन्धाकीय इकाई के खर्च में कमी होती है ।
- जोखिम में कमी : वर्तमान परिस्थिति में बाजार, प्रतिस्पर्धा, सरकारी नीति-नियमों व विभिन्न तकनिकों में बहुत ही तेजी से परिवर्तन आते रहते है । धन्धाकीय इकाईयों द्वारा किया हुआ निवेश उपयोगी नहीं रहता । आऊटसोर्सिंग से ऐसी जोखिम में कमी आती है ।
KPO का कार्यक्षेत्र :
- व्यापार और बाजार संशोधन
- कानूनी सेवाएँ
- चिकित्सा सेवाएँ
- प्रशिक्षण और मार्गदर्शन
- संशोधन व विकास
- कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग
- ऐनिमेशन और डिजाईन
प्रश्न 6.
आउट-सोर्सिंग / बहिस्त्रोत
उत्तर :
धन्धाकीय इकाईयों द्वारा कोई भी कार्य, फुटकर कार्य अथवा प्रक्रिया जब किसी निश्चित समयकाल के लिए अन्य समूह को करार के रूप में सौंपा जाये तो आउट-सोर्सिंग कहते हैं । धन्धाकीय इकाई अपनी मुख्य प्रवृत्तियों पर अधिक अच्छी तरह से ध्यान दे सकती है इस हेतु आउट-सोसिंग अनिवार्य है । कम्पनी मुख्य कार्य के अलावा गौण कार्य का आउट-सोर्सिंग कराती है ।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के मुद्दासर उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
सूचना संचार का अर्थ बताइए ।
उत्तर :
सूचना संचार अर्थात् प्रत्यायन । प्रत्यायन के लिए अंग्रेजी में Communication शब्द का उपयोग होता है । यह शब्द लेटिन भाषा के दो Communis एवं शब्द Communi Care पर से आया है । जिसका अर्थ To Share Common होता है । सूचना संचार में सूचना को एक स्त्रोत से दूसरे स्त्रोत तक अन्य को पहुँचाने की प्रक्रिया है । सूचना संचार में सूचना, विचार, संवेदनाओं, भावनाओं या मन्तव्यों का दो या इससे अधिक व्यक्तियों के मध्य आदान-प्रदान होता है ।
अर्थ एवं व्याख्याएँ (Meaning & Definition) :
- सूचना संचार दो अथवा दो से अधिक व्यक्तियों के माध्यम द्वारा तथ्यों, विचारों, मंतव्यों और भावनाओं का आदान-प्रदान है ।
- सूचना संचार शब्दों, पत्रों, सूचनाओं, विचारों और मंतव्यों का आदान-प्रदान या लेनदेन की प्रक्रिया है ।
- सूचना संचार अपने विचारों को दूसरों के मस्तिष्क में प्रवेश करवाने की प्रक्रिया । संक्षेप में, सूचना संचार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के विचारों को जानने की, प्रेषित करवाने की और समझने की प्रक्रिया है । –
प्रश्न 2.
माहिती संचार की प्रक्रिया के सोपान समझाइए ।
उत्तर :
माहिती संचार/सूचना संचार की प्रक्रिया के सोपान निम्न है :
प्रश्न 3.
कम्प्यूटर नेटवर्क के मुख्य चार प्रकार समझाइए ।
उत्तर :
कम्प्यूटर नेटवर्क के मुख्य चार प्रकार निम्न है :
- LAN (Local Area Network) : अर्थात् कि एक निश्चित स्थान पर के कम्प्यूटर्स एकदूसरे के साथ वायर से अथवा वायर बिना जुड़े हुए होते है ।
- CAN (Campus Area Network) अर्थात् एक केम्पस पर के कम्प्यूटर्स एकदूसरे के साथ जुड़े हुए होते है ।
- MAN (Metropoliation Area Network) अर्थात् एक शहर के कम्प्यूटर्स एकदूसरे के साथ जुड़े हुए होते है ।
- WAN (Wide Area Network) अर्थात् कोई भी भौतिक सीमा न हो इस तरहं वैश्विक रूप से कम्प्यूटर्स एकदूसरे के साथ जुड़े हुए होते है । इस तरह अलग-अलग प्रकार के नेटवर्क को इन्टरनेट कहते हैं।
वाईड एरिया नेटवर्क को दो भागों में बाँटा गया है :
- एन्टरपाइज वेन : एक ही बड़ी संस्था के विशाल रूप से फैले हुआ कम्प्यूटर्स नेटवर्क है । जो कि विभिन्न स्थानों के स्थिर कम्प्यूटर्स के नेटवर्क का नेटवर्क है । जो कि संस्था के लिए खड़ा किया गया नेटवर्क है । ऐसा नेटवर्क इन्ट्रानेट से पहचाना जाता है । जैसे भारतीय रेलवे समग्र देश में उनके विभागों अथवा कार्यालयों को इस तरह जोड़ता है ।
- ग्लोबल वेन : ऐसा नेटवर्क विशाल है । ऐसे नेटवर्क को भौगोलिक सीमाएँ अडचन नहीं बनती । यह विभिन्न देशों और खण्डों तक फैला हुआ है । यह अलग अलग संस्थाओं के नेटवर्क का सामूहिक नेटवर्क है । जिसे www (World Wide Web) कहते हैं ।
प्रश्न 4.
इन्टरनेट के मुख्य तीन प्रकार के कार्य समझाइए ।
उत्तर :
इन्टरनेट के मुख्य तीन प्रकार के कार्य निम्न है :
- अन्य व्यक्तियों के साथ सम्पर्क : इन्टरनेट द्वारा अपने ई-मेईल की मदद से विश्व में किसी भी स्थान पर स्थित व्यक्ति अथवा . व्यापारी के साथ तेजी से तथा आसानी से संदेशों का आदान-प्रदान कर सकते है । इन्टरनेट द्वारा विश्व में स्थित ग्राहकों के साथ एक ही कक्ष में बैठे हो इस तरह बातचीत कर सकते है ।
- माहिती की प्राप्ति : इन्टरनेट द्वारा विश्वभर के कम्प्यूटर्स का नेटवर्क से जुड़ जाते है । जिससे किसी भी क्षेत्र की कोई भी विषय की जानकारी अपने आसानी से तथा शीघ्रता से प्राप्त कर सकते है ।
- अन्य कम्प्यूटर्स सिस्टम के साथ जुड़ना : इन्टरनेट के प्रसारण के माध्यम का उपयोग करके अन्य कम्प्यूटर सिस्टम के साथ शीघ्र ही जुड़ सकते है ।
जैसे –
- On Line बैंकिंग सुविधाएँ प्राप्त करना
- Railway की टिकिट किसी भी स्थल से प्राप्त करना
- गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षण बोर्ड द्वारा ली जानेवाली परीक्षाएँ तथा परीक्षा केन्द्र का निरीक्षण कार्य इन्टरनेट की मदद से हो सकता है ।
प्रश्न 5.
ई-कोमर्स के सफल अमलीकरण के लिए आवश्यक साधन बताइए ।
उत्तर :
किसी भी धन्धे को आरम्भ करने के लिए प्राथमिक रूप में पूँजी, मानवसंसाधन और यंत्रों की आवश्यकता पड़ती है । जबकि ई-कॉमर्स के अमलीकरण में निम्न संसाधनों की आवश्यकता पड़ती है । जिसमें ।
(1) website वेबसाईट : वेबसाईट को बनाना, उनका संचालन करना, देखरेख रखना व सुरक्षा करना । वेबसाईट में web अर्थात् www-world wide web जबकि साइट अर्थात् स्थान । सामान्य भाषा में website यह world wide web पर संस्था का पता होगा । लेकिन वेबसाईट यह कोई भौतिक पता नहीं, लेकिन यह संस्था द्वारा प्रदान की जानेवाली समस्त सामग्री का ओन लाईन उपलब्ध हो ऐसा संकलित स्वरूप है ।
(2) इन्टरनेट से जुड़ा हुआ कम्प्यूटर : ई-कॉमर्स में जो व्यापारी या ग्राहक क्रय-विक्रय या अन्य धन्धाकीय प्रवृत्तियों में जुड़े इसके लिए उनका कम्प्यूटर्स इन्टरनेट नेटवर्क से जुड़ा होना चाहिए ।
(3) Credit Card या Debit Card : ई-कॉमर्स में क्रय-विक्रय करनेवाले व्यापारी एकदूसरे के परिचित नहीं होते । इसलिए इन दोनों के मध्य मौद्रिक लेनदेन के प्रश्न पैदा होते है । क्रेता क्रय करने से पहले रकम चुकाने में जोखिम अनुभव करता है । जबकि विक्रेता रकम मिलने से पहले माल देना जोखिम अनुभव करता है । अत: ऐसी समस्या का समाधान डेबिट कार्ड अथवा क्रेडिट कार्ड दूर करता है । इस कार्ड द्वारा भुगतान इस तरह से होता है कि भुगतान के आदेश के बाद सात दिन तक में भुगतान रुकवा सकते है । इस तरह कार्ड्स भी ई-कॉमर्स के व्यवहार में महत्त्वपूर्ण साधन है ।
प्रश्न 6.
संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
(A) डिजिटल केश :
उत्तर :
इसका उत्तर देखिए स्वाध्याय का 1 प्रश्न का 3 प्रश्न में missing
(B) व्यवहारों की सलामती और सुरक्षा
उत्तर :
ई-कोमर्स में सुरक्षा की बात सबसे महत्त्वपूर्ण होती है । इसमें तीन प्रकार की जोखिमें होती है ।
(1) व्यवहार की जोखिम
(2) जानकारी की जोखिम
(3) बौद्धिक सम्पत्ति और गुप्त माहिती की जोखिम
(1) व्यवहार के जोखिम के सामने सुरक्षा : ओन लाईन व्यवहार में अनेक जोखिम होती है । इसलिए खाते के पंजियन के समय योग्य पहचान व पते की जाँच करना तथा ग्राहक को व्यवस्थित रूप से स्थापित वेबसाईट से ही क्रय करना चाहिए ।
(2) माहिती संग्रह की जोखिम के सामने सुरक्षा/सलामती : महत्त्वपूर्ण माहिती कई लोग स्वार्थी हेतु से अथवा केवल आनन्द लेने के उद्देश्य से चोरी या बदल सकते है । इसके उपरांत ‘वायरस’ या हेकिंग शब्द से आप सभी परिचित होंगे ही । वायरस एक कम्प्यूटर प्रोग्राम है । वायरस कम्प्यूटर सिस्टम में अपनी नकल उत्पन्न करते है और माहिती को नुकसान पहुंचाता है । वायरस स्क्रीन पर समस्या उत्पन्न करते है, कम्प्यूटर कार्य में रुकावट डालते है, निर्धारित माहिती की फाईल को नुकसान या सम्पूर्ण सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकते है । ऐसी समस्या के समाधान के लिए ऐन्टी वायरस सोफ्टवेर का उपयोग होता है ।
(3) बौद्धिक सम्पत्ति और गुप्तता की जोखिम के सामने सुरक्षा : इन्टरनेट यह खुल्ला मंच है । एक बार कोई माहिती/जानकारी इन्टरनेट पर रख देते है अर्थात् यह सार्वजनिक हो जाती है । ओन लाईन व्यवहार करते समय दी जानेवाली जानकारी – जैसे कि ई-मेईल, पता, फोन नम्बर, बैंक खाता का नम्बर, पासवर्ड, इसके अलावा धन्धे की बहुत-सी माहिती गोपनीय रखना अनिवार्य होता है । इस प्रकार की माहिती का दुरुपयोग होने की पूरी की पूरी सम्भावना रहती है । इसलिए समय-समय पर अपने पासवर्ड को बदलते रहना चाहिए ।
प्रश्न 7.
सूचना-संचार के आधुनिक साधनों की लाक्षणिकताएँ समझाइए ।
उत्तर :
सूचना प्रसार के आधुनिक साधनों की प्रमुख लाक्षणिकताएँ निम्नलिखित हैं :
- साधनों की गति अति तेज है और सूचना-संचार का कार्य तेज बना है ।
- आधुनिक साधनों ने विश्व को ग्लोबल विलेज बना दिया है क्योंकि जैसे कोई एक छोटे गाँव में आसानी से सूचना दी जाती है वैसे ही समग्र विश्व में सूचना का प्रसारण किया जाता है । इसमें कोई स्थल-बंधन नहीं है ।
- आधुनिक साधन समय-संचालन का भी कार्य करते हैं ।
- आधुनिक साधनों में लिखापढ़ी का कार्य नहीं होता । यंत्र स्वयं रिकोर्डिंग भी करता है ।
- आधुनिक साधन सूचना-संप्रेषण को संपूर्ण खुला कर देते हैं और पक्षकार अपनी मनचाही बात भी कर सकते हैं । अतः उसमें गोपनीयता का अभाव है ।
- आधुनिक साधनों से भारतीय संस्कृति नष्ट होती जाती है । आनंद-प्रमोद के नाम पर वयस्कों पर गलत असर होता है और मोबाइल इन्टरनेट का गलत प्रयोग भी होता है ।
- आधुनिक साधनों के आकार, वजन, डिजाइन इत्यादि छोटे बनते जाते हैं जिसकी वजह से उन्हें जेब में या पर्स में रखा जा सकता है।
- यांत्रिकीकरण एवं इलेक्ट्रोनिक साधन होने से खर्च की मात्रा भी बढ़ी है । क्योंकि इलेक्ट्रिक साधन रखना, उपयोग करना, उनकी मरम्मत करना इत्यादि खर्चीला पड़ता है ।
- आधुनिक साधनों का प्रयोग करने से पहले कम्प्यूटर का प्रारंभिक ज्ञान जरूरी है । उसके की-बोर्ड के बटन दबाने में उसका उपयोग करने में भी बहुत सी सावधानी रखनी चाहिए ।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित संज्ञाएँ – संक्षिप्त रूप में हैं । उनका पूरा स्वरूप दीजिए ।
(अ) S.M.S.
(ब) www
(क) STD
(ड) I.S.D.
(इ) FAX (ई) e-मेईल
उत्तर :
(अ) शोर्ट मेसेज सर्विस – Short Message Service.
(ब) वर्ल्ड वाईड वेब – World Wide Web
(क) सबस्क्राईबर ट्रंक डायलींग Subscriber Trunk Dialing Internet (दो कम्प्यूटरों को जोड़नेवाला) ।
(ड) इन्टरनेशनल सबस्क्राईबर डायलींग International Subscriber Dialing
(इ) फेक्सीमाईल ट्रान्समिशन – Facsimile Transmission
(ई) इलेक्ट्रोनिक मेईल – Electronic Mail
(एफ) पासवर्ड अपना निजी पता-सूचक शब्द है जिससे ई-मेईल खोल सकते हैं ।+
प्रश्न 9.
ई-मेईल का उपयोग बतलाइए ।
उत्तर :
ई-मेईल के उपयोग निम्नलिखित हैं :
- बिना कागज और पेन का यह ऐसा खत है जो त्वरित गति से प्रेषित की ओर संदेशा पहुँचा सकता है ।
- खर्च का प्रमाण अन्य संप्रेषण की तुलना में कम है ।
- प्रतिपोषण का कार्य भी त्वरित होता है और आगे की कार्यवाही भी अच्छी तरह से होती है ।
- ई-मेईल का संग्रह कम्प्यूटर में ही होता है । स्क्रीन पर जब चाहे मेसेज दे सकते हैं ।
- यदि ई-मेईल का कागज पर रिकार्ड रखना है तो प्रिन्टर के जरिए उसकी प्रतिलिपि ले सकते हैं ।
- विदेशी पर्यटकों या संबंधी को सूचना का आदान-प्रदान करना है तो ई-मेईल अत्यंत आसान तरीका है ।
- ई-मेईल में यदि कोई सावधानी रखनी हो तो केवल पासवर्ड और सही पता होना जरूरी है ताकि ई-मेईल पहुँच गया है उसका सिग्नल भी मिल जाता है । यदि सामनेवाले पक्षकार ने अपना कम्प्यूटर खोल कर जाँच की हो तो तुरन्त ही वापस प्रतिप्रेषण भी मिलता है । इस तरह से सूचना-संप्रेषण आसान, त्वरित, कमखर्चीला एवं प्रभावकारक बनता है ।
- औद्योगिक जगत में ई-मेईल का उपयोग बहुत ही किया जाता है, खास कर विज्ञापन, पब्लीसिटी एवं भाव-ताल की दृष्टि से यह माध्यम श्रेष्ठ है ।
प्रश्न 10.
फैक्स का अर्थ एवं उपयोग दर्शाइए ।
उत्तर :
फैक्स का सादा अर्थ है स्वयं संचालित रूप से लिखित में सूचना एक स्थल से दूसरे स्थलों पर त्वरित पहुँचाना । जिसको अंग्रेजी में फास्ट ओटोमेटिक एक्सचेंज कहते हैं । इसके लिये इलेक्ट्रोनिक उपकरणयुक्त एक छोटी-सी पेटी जैसा बोक्स होता है और फैक्स नंबर दबाने से जो कागज या दस्तावेज फैक्स मशीन में शामिल किया है वैसा का वैसा ही प्राप्त करनेवाले तक पहुँचता है । प्राप्त करनेवाले की फैक्स मशीन में प्रिन्टर रोल जैसा कोरा कागज होता है जिस पर मूल संदेश की प्रिन्ट आ जाती है ।
फैक्स के उपयोग निम्नलिखित हैं :
- सूचना/अधिसूचना या अन्य कोई दस्तावेज त्वरित गति से भेजा जाता है ।
- फैक्स के संदेशा की नकल दस्तावेजी सबूत के रूप में भी उपयोगी है ।
- बैंकिंग धन्धा/वीमाक्षेत्र में कालिज, युनिवर्सिटी या बोर्ड की परीक्षा में भी फैक्स माध्यम का काफी प्रयोग होता है ।
- फैक्स का टेलिफोन के साथ संधान होने से सूचना दो-तीन मिनट में पहुँचती है ।
प्रश्न 11.
इन्टरनेट का अर्थ और आशय समझाइए ।
उत्तर :
अंग्रेजी शब्द Internet का अर्थ आन्तरिक जाल है जो अन्य कम्प्यूटरों से संलग्न है और विभिन्न कम्प्यूटर अन्य स्थलों के कम्प्यूटर से सूचना-संप्रेषण करते हैं । जिसके लिए तमाम कम्प्यूटरों को जोड़नेवाले टेलिफोन एक्सचेंज की तरह एक मध्यस्थ संस्था होती है । संक्षेप में दो या अधिक कम्प्यूटरों के बीच वार्तालाप संभव बनानेवाले कनेक्शन या संधान को ही इन्टरनेट कहते हैं ।
इन्टरनेट सूचना-संप्रेषण तो करते ही हैं, साथ ही सभी सूचनाएँ एक किताब की तरह अपनी मेमरी Memory में भी रखते हैं । जो चाहे वह पूरा पता – Address का कमान्ड दे कर वेबसाइट खोल सकते हैं । Yahoo डोट कोम / गुगल जैसी ऐजन्सी इस क्षेत्र में श्रेष्ठ हैं।
विश्व के किसी भी उपग्रह या भाग में हम Internet के जरिये पहुँच सकते हैं क्योंकि, www वर्ल्ड वाईड वेब पर यह कार्यरत है ।
प्रश्न 12.
इन्टरनेट की उपयोगिता समझाइए ।
उत्तर :
इन्टरनेट की प्रमुख उपयोगिताएँ निम्नलिखित हैं :
- कम खर्च में पारस्पारिक संबंध बढ़ाने हेतु इन्टरनेट श्रेष्ठ है ।
- त्वरित गति से माहिती-प्रसारण / सूचना-संप्रेषण होता है ।
- इन्टरनेट द्वारा ई-मेईल की सेवा प्राप्त करके डाक-सेवाएँ प्रभावी बनती हैं ।
- संशोधनकार के लिए घर बैठे तरह-तरह की सूचनाएँ ऐतिहासिक तौर से मिलती हैं ।
- विपत्ति/कुदरती संकट के समय इन्टरनेट से युद्ध के स्तर पर संप्रेषण महत्त्वपूर्ण बन जाता है ।
- विज्ञापन ऐजंसियों, न्यूजपेपर्स या पुस्तकालय के लिए इन्टरनेट की सेवा बहुत ही उपयोगी है ।
- रेल्वे रिजर्वेशन, परीक्षा परिणाम, होटल की बुकिंग इत्यादि क्षेत्रों में इन्टरनेट महत्त्वपूर्ण है ।
- क्रेडिट कार्ड के जरिए इन्टरनेट पर घर बैठे ही बिक्री होती है । तुलनात्मक भाव-ताल भी जाना जाता है ।
- जीवन के उपयोगी क्षेत्रों में त्वरित सूचना पहुँचानी है और सही पक्षकार के प्रति सूचना भेजनी है तो इन्टरनेट ही काम कर सकता है ।
- इन्टरनेट की मदद से विश्व एक ग्लोबल विलेज बन गया है ।
प्रश्न 13.
ई-मेईल के कागज की जरूरत क्यों नहीं पड़ती है ?
उत्तर :
टाईप राईटर पर कागज की जरूरत रहती है । किताब लिखना, खत लिखना या परीक्षा की उत्तरवही पर लिखने के लिए कागज जरूरी होते हैं ।
लेकिन ई-मेईल में कम्प्यूटर के जरिए स्क्रीन पर मेसेज टाईप होता है और सामनेवाले पक्षकार के कम्प्यूटर की स्क्रीन पर वही मेसेज भेजा जाता है । इसीलिए कागज की जरूरत नहीं है । कम्प्यूटर अपनी मेमरी (स्मृति) में मेसेज रखता है । Digital क्रान्ति की यह बलिहारी है ।
प्रश्न 14.
ई-मेईल का पूरा नाम स्पष्ट करें ।
उत्तर :
ई-मेईल का मतलब इलेक्ट्रोनिक मेल जो कम्प्यूटर द्वारा सूचना भेजने का कार्य करती है । कम दाम में त्वरित रूप से सूचना का आदान-प्रदान होता है ।
प्रश्न 15.
सूचना-संचार का कोई आधुनिक साधन खरीदते हैं तो आपको संदेशा-व्यवहार के अतिरिक्त अन्य कई सेवाएँ भी मिलती हैं । – यह
विधान समझाइए ।
उत्तर :
संदेशा-व्यवहार का पुराना साधन डाकघर या पोस्ट ऑफिस है । लेकिन उसमें केवल संदेशा-व्यवहार है । उसके साथ आनुषंगिक सेवाएँ जो आधुनिक इलेक्ट्रोनिक उपकरण युक्त साधनों में मिलती है वैसी सेवाएँ डाकघर नहीं दे पाते । समय एवं अन्तर का भी फायदा आधुनिक साधनों से मिलता है । त्वरित गति से जानकारी/सूचना आदान-प्रदान होता है । लागत भी कम है । ई-कॉमर्स के जरिए घर बैठे व्यापार कर सकते हैं । सबसे बड़ा लाभ तो यह है कि कागजी काम कम होता है । कम्प्यूटर सब कुछ अपनी मेमरी में रखता है । जब चाहें तब हम उससे सूचना निकाल सकते हैं ।
प्रश्न 16.
सूचना-संचार के साधनों ने समग्र विश्व को एक गाँव बनाया है । – यह विधान समझाइए ।
उत्तर :
पुराने समय में जब कोई माहिती या सूचना देने का कार्य करना पड़ता था तब राजदूत एक स्थान से दूसरे स्थान जा कर सूचना पेश करते थे । छोटे गाँव में तो आसानी से ढोलक बजाकर कोई संदेशा देनेवाला व्यक्ति सूचना देने का कार्य आसानी से कर लेता था । लेकिन जितना अंतर – फासला अधिक उतना ही संप्रेषण का कार्य भी लंबा समय लेता था । आधुनिक आई.टी. युग में सूचना की क्रान्ति हुई है और दूर-दूर तक विश्व में किसी भी कोने में से जो सूचना प्राप्त करनी है अथवा वहाँ भेजनी है तो त्वरित गति से यह कार्य इन्टरनेट द्वारा किया जाता है । ई-मेईल, फैक्स, मोबाइल, ई-कॉमर्स, इन्टरनेट जैसे इलेक्ट्रोनिक साधन आने से समग्र विश्व एक ग्लोबल विलेज बन गया है । यदि भारत में कोई कुदरती प्रकोप या दुर्घटना होती है तो तुरन्त ही अमेरिका में उसके कम्प्यूटर बता देते हैं ।
प्रश्न 17.
ई-कॉमर्स का अर्थ तथा उसके लाभ प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
इलेक्ट्रोनिक कॉमर्स ही संक्षेप में ई-कॉमर्स के नाम से जाना जाता है । वाणिज्य-व्यवहार में आधुनिक युग में ई-कॉमर्स का बहुत ही प्रयोग किया जाता है, जिसमें इलेक्ट्रोनिक साधन संचालित यंत्र तथा उनके माध्यम से सूचना-संप्रेषण तथा वितरण की कार्यवाही घर बैठे हो । सकती है । ई-कॉमर्स के लिए घर पर पी.सी. यानी पर्सनल कम्प्यूटर होना जरूरी है । साथ में इन्टरनेट का कनेक्शन भी आवश्यक है । धन्धाकीय इकाई स्वयं अपनी वेब रखती है । इसके अन्तर्गत टेलिफोन सेवाएँ सेटेलाईट के साथ जोड़ने से इलेक्ट्रोनिक सेवा बनी रहती है । क्रेडिट / डेबिट कार्ड की सुविधाओं से ग्राहक एवं धन्धाकीय इकाई का संबंध विश्वासपूर्ण बनता जाता है । संक्षिप्त रूप में वाणिज्य विषयक प्रक्रियाएँ जो बाजार में होती थीं वे सभी इलेक्ट्रोनिक साधनों तथा माध्यमों से करना ही ई-कॉमर्स का प्रयोजन है ।
ई-कॉमर्स के लाभ निम्नलिखित हैं :
- कम खर्च में क्रय-विक्रय के सौदे होते हैं जिससे समग्र रूप से बिक्री-खर्च में कमी होती है ।
- धन्धाकीय इकाई एवं ग्राहकों के बीच प्रत्यक्ष संपर्क बना रहता है ।
- बाजार में जाने की जरूरत नहीं है । आवश्यक जाँच/पूछ-ताछ के बाद ही माल-खरीदी का कार्य घर बैठे हो सकता है ।
- इससे धन्धाकीय इकाई को वैश्विक स्तर पर लाभ प्राप्त हो सकता है । कारोबार स्थानिक, प्रादेशिक एवं विश्व के अन्य देशों में भी पहुँचाया जा सकता है ।
- नये उत्पादों या उत्पादनों को आसानी से मार्केट में प्रस्तुत किया जाता है ।
- ग्राहकों के प्रत्यक्ष संपर्क में आने से बाजार-संशोधन का कार्य असरदार एवं कार्यक्षम बनता है ।
- विपुल मात्रा में साधन-सामग्री का जत्था या स्टोक रखने की जरूरत नहीं है, क्योंकि ओर्डर मिलने पर ही ग्राहकों की रुचि के अनुसार माल तैयार होता है । जिससे इन्वेन्टरी लागत कम होती है ।
- ग्राहकों की पसंद का क्षेत्र विशाल बनता है क्योंकि वेब साइट पर विभिन्न उत्पादनों तथा सापेक्ष भाव-ताल की सूचना प्राप्त करके क्या खरीदना है क्या नहीं खरीदना, इस बारे में निर्णय भलीभाँति होते हैं ।
- ई-कॉमर्स द्वारा ग्राहकलक्षी सेवा का लाभ मिलता है तथा उत्पादनों की गुणवत्ता में सुधारणा भी रहती है ।
प्रश्न 18.
ई-कॉमर्स के धन्धाकीय व्यवहारों की सुरक्षा और सलामती का विश्वास किस प्रकार देते हैं ?
उत्तर :
धन्धाकीय इकाई और ग्राहक के बीच विश्वास का वातावरण ही धंधे की नींव है । उत्पादनों की गुणवत्ता तथा उचित मूल्य के निर्धारित समय में भुगतान से ही धंधे का विकास होता है । इसीलिए क्रेडिट/डेबिट कार्ड का विकास होता है । ई-कॉमर्स की सफलता का यह डेबिट/क्रेडिट कार्ड ही महत्त्वपूर्ण पहलू है । डेबिट/क्रेडिट कार्ड संचालन करनेवाली एजन्सी या बेंक की शान का सवाल है । व्यवहारों में कोई गड़बड़ी हुई तो आदेश देने के बाद सात दिनों में भुगतान स्थगित किया जा सकता है ।
दूर-दूर के ग्राहक-वर्ग के साथ धंधा करना है तो यह कार्ड ही विश्वास दिलाता है ।
प्रश्न 19.
ई-कॉमर्स के सफल अमलीकरण के लिए आवश्यक साधन बताइए ।
उत्तर :
ई-कॉमर्स के सफलतापूर्ण अमल के लिए निम्नलिखित साधन-सामग्री जरूरी है :
- P. C. जो इन्टरनेट से जुड़ा हुआ हो ।
- क्रेडिट/डेबिट कार्ड और उन्हें नियंत्रित करनेवाली एजन्सी या बैंक के साथ संपर्क ।
- टेलिफोन का गठबंधन तथा दस्तावेजी प्रमाण के लिए P.C. के साथ प्रिन्टर भी होना जरूरी है ।
प्रश्न 20.
‘ई-कॉमर्स के कारण घर बैठे व्यापार की वृद्धि हुई है ।’ – यह विधान समझाइए ।
उत्तर :
यह विधान सही है ।
ई-कॉमर्स द्वारा वैश्विक स्तर पर हम किसी भी स्थल पर व्यापार कर सकते हैं । क्योंकि यह सेवा ग्राहक-लक्षी है और सरलता से दूर-दूर के बाजार की स्थिति ज्ञात की जा सकती है । निर्माता इकाई भी अपने उत्पादों का विज्ञापन दे कर जरूरतवाले ग्राहकों को आकर्षित कर सकती है । डेबिट/क्रेडिट कार्ड की सुविधा होने से व्यापार विश्वासपूर्ण बनता है । इसके लिए कोई ऐजन्ट या ऑफिस की जरूरत नहीं है । क्रेता-विक्रेता ई-कॉमर्स द्वारा आसानी से त्वरित रूप से लेन-देन के व्यवहारों से सम्बन्धित सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकते हैं ।
प्रश्न 21.
आउट-सोर्सिंग द्वारा उपलब्ध किन्हीं दो सेवाओं के विषय में लिखिए ।
उत्तर :
जब कोई निर्मात्री इकाई जो कार्य खुद करती थी, वे कार्य वह दूसरों से, ब्राह्य पक्षकारों से करवा ले तो उसको आउट-सोर्सिंग के नाम से जाना जाता है । अंग्रेजी में इसके लिए स्टान्डर्ड एब्रीवेशन – मिताक्षरी है B.P.O. बी.पी.ओ. जिसका पूरा स्वरूप है बिजनेस प्रोसेसींग आउट-सोर्सिंग । उदाहरण के तौर पर शर्ट बनानेवाली गारमेन्ट फैक्टरी शर्ट का कोलर जो कैनवास के अस्तरवाला होता है उसे अन्य कंपनी से तैयार करवा ले तो उसको आउट-सोर्सिंग कहा जाता है । कभी-कभी मटीरियल्स की कमी के कारण या मजदूरों के अभाव से या टेक्नोलॉजी की वजह से यह कॉलर तैयार करने का कार्य दूसरों को देना पड़ता है । आउट-सोर्सिंग से लागत भी कम होती है तथा निष्णात टेक्नीश्यनों का लाभ भी मिलता है । आउट-सोर्सिंग से रोजगारी के अवसर भी बहुत ही बढ़े हैं । आधुनिक वाणिज्य एवं बिजनेस क्षेत्रों में खास कर मल्टीनेशनल कोर्पोरेशन द्वारा यह क्षेत्र खुला है । इसमें बहुत-सी सेवाएँ आउट-सोर्सिंग द्वारा ही ली जाती हैं ।
उदाहरण : बड़ी कंपनियाँ अपने स्टाफ के लिए प्रशिक्षण-विभाग रखती थीं, लेकिन आउट-सोर्सिंग का फायदा उठाने और ट्रेनिंग विभाग का स्थायी खर्च कम करने हेतु यह कार्य आउट-सोसिंग द्वारा लाभप्रद रहता है और बाहरी विशेषज्ञों की सेवा का फायदा भी मिलता है । इन्टरनेट के जरिए जिस क्षेत्र के कर्मचारी को ट्रेनिंग देनी है उसकी अनिवार्य सूचनाएँ भी प्राप्त की जाती है । इसी तरह से कर्मचारी के कार्य के संदर्भ में उपयोगी ट्रेनर बाहर से अल्पकालीन समय के लिए नियुक्त करके अच्छी तालीम या प्रशिक्षण की सुविधा मिलती है ।
इसी प्रकार विज्ञापन-विभाग बंद करके बाह्य एड-एजन्सी को काम सौंपना भी आउट-सोर्सिंग है, जिससे अद्यतन ढंग से विज्ञापन करने का लाभ कंपनी पा सकती है । यह काम त्वरित, कम लागतवाला तथा गुणात्मक बनता है ।
प्रश्न 22.
ग्राहक-उपयोगी सेवाओं का स्वरूप तथा प्रकार बतलाइए ।
उत्तर :
आधुनिक विपणन ग्राहकलक्षी बनता जा रहा है । यदि धन्धाकीय इकाई को दीर्घकाल तक जीवित रखना है तो उसका समग्र संचालन ग्राहकलक्षी होना जरूरी है । इसलिए ई-कॉमर्स प्रमुख रूप से ग्राहक अभिमुख बना है । यह बात निम्नलिखित आकृति से स्पष्ट होगी ।
ई-कॉमर्स द्वारा जो सेवाएँ मिलती हैं वे संपूर्णत: एक व्यक्ति की मालिकी की नहीं हैं ।
साथ ही संपूर्ण सार्वजनिक भी नहीं हैं । धन्धाकीय इकाई तथा ग्राहक प्रत्यक्ष मिलते नहीं है, जिससे व्यक्तिगत परिचय होता नहीं रुबरू ढंग से है, फिर भी सूचना प्रसारण की ई-कॉमर्स की पद्धति द्वारा रूबरू मिलने का एहसास या अनुभूति होती है । अतः ई-कॉमर्स की सेवा का स्वरूप न तो संपूर्ण निजी है और न ही संपूर्ण सार्वजनिक है ।
ई-कॉमर्स के द्वारा
- ई-मेईल से व्यवहार होता है ।
- न्यूज एवं मनोरंजन द्वारा ।
- चीट-चेट द्वारा सेवा मिलती है ।
संक्षेप में ई-कॉमर्स वैश्विक स्तर पर कार्यशील होने से कोई भी व्यक्तिगत ग्राहक तथा धन्धाकीय इकाई लाभ ले सकती है । क्रेता-विक्रेता का समन्वय ई-कॉमर्स द्वारा अच्छा होता है ।
प्रश्न 23.
निम्नलिखित प्रश्न के संक्षिप्त उत्तर दीजिए ।
(अ) ई-कॉमर्स के दो घटकों के नाम बताइए ।
(ब) ई-कॉमर्स के व्यवहारों में क्रेडिट कार्ड – डेबिट कार्ड की भूमिका बताइए ।
(क) इन्टरनेट का अर्थ बताइए ।
(ड) ई-मेईल का अर्थ स्पष्ट कीजिए ।
(इ) इन्टरनेट का उपयोग बताइए ।
उत्तर :
(अ) ई-कॉमर्स के दो पहलूओं में से एक P.C. पर्सनल कम्प्यूटर है और दूसरा घटक P.C. का इन्टरनेट से जुड़ना है जो बहुत जरूरी है ।
(ब) ई-कॉमर्स के अन्तर्गत डेबिट/क्रेडिट कार्ड का योगदान महत्त्वपूर्ण है । इसकी वजह से विक्रेता एवं क्रेता का परस्पर विश्वास संपादन होता है और इनके सभी व्यवहारों के मूल में वे दो कार्ड हैं । क्रेडिट/डेबिट कार्ड से भुगतान सरल रूप से होता है । इसीलिए वित्तीय संस्था या बैंकिंग क्षेत्र में यह कार्ड बहुत प्रचलित है ।
(क) इन्टरनेट का मतलब है विभिन्न कम्प्यूटरों को जोड़नेवाला जाल जो सभी कम्प्यूटरों को संलग्न करता है जिससे अन्य कम्प्यूटर पर सूचना भेजी जा सकती है । टेलिफोन पर बातचीत के लिए जैसे टेलिफोन एक्सचेन्ज होता है वैसे ही कम्प्यूटर में इन्टरनेट कार्य करता है ।
(ड) ई-मेईल का मतलब इलेक्ट्रोनिक मेल जो बगैर कागज की है, जिससे कम्प्यूटर द्वारा दूर-दूर तक सूचना भेजी जा सकती है । त्वरित रूप से सूचना अपने कम्प्यूटर पर देने से सामनेवाले कम्प्यूटर स्क्रीन पर सूचना प्राप्त की जा सकती है ।
5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दीजिए :
प्रश्न 1.
इन्टरनेट पर जानकारी/माहिती की खोज/शोध करने की प्रक्रिया के सोपान समझाइए ।
उत्तर :
इन्टरनेट पर माहिती की शोध : इन्टरनेट पर आवश्यक माहिती आसानी से मिल सकती है । यह माहिती खोजने की प्रक्रिया के सोपान निम्न है ।
सोपान-1 : ब्राउजर की पसन्दगी
* इन्टरनेट पर एन्टर होने के बाद कोई भी इन्टरनेट ब्राउजर खोलना । जैसे Fire Fox
* आकृति में आपको इन्टरनेट ब्राउजर Fire Fox का होम पेज खुला हुआ दिखता है ।
सोपान 2 : सर्च ऐन्जिन की पसन्दगी
* ब्राउजर में सर्च बार उपर सर्च ऐन्जिन की वेबसाईट का नाम लिखने से सम्बन्धित सर्च ऐन्जिन का होम पेज खुलेगा । जैसे www.google.co.in लिखने से आकृति में दर्शाए अनुसार google सर्च ऐन्जिन का India का होम पेज खुलेगा ।
सोपान 3 : आवश्यक माहिती सर्च बार में एन्टर करना
* इस सर्च ऐन्जिन के होम पेज के सर्च बार में जिस विषय की माहिती की आवश्यकता हो वह माहिती सर्च टेक्सट बोक्ष में ऐन्टर करना । जैसे Lion के बारे में माहिती Lion टाईप करना । ऐसा करने पर आकृति के अनुसार स्क्रीन दिनेगी ।
सोपान 4 : वेबसाईट पसन्द करना ।
* आकृति में दर्शाए हुए पेज के सर्च बटन पर क्लीक करने से Lion के बारे माहिती दर्शाती हुई वेबसाईट की सूची खुलेगी । जो आकृति में दर्शाई हुई है ।
सोपान 5 : आवश्यक माहिती प्राप्त करना
* Lion के बारे में वेबसाईट की सूची में से योग्य वेबसाईट पर क्लीक करने पर सम्बन्धित वेबसाईट खुलेगी और वेबसाईट पर माहिती उपलब्ध होगी तो देखने को मिलेगी ।
यदि Lion की विविध प्रकार की इमेजिस देखनी हो तो स्क्रीन पर इमेजिस क्लीक करने पर Lion की विविध इमेजिस आकृति के अनुसार देख्न सकते है ।
इस प्रकार इन्टरनेट पर कोई भी क्षेत्र की कोई भी माहिती/जानकारी की आवश्यकता हो तो वह माहिती टेक्स्ट/इमेजिस या विडियो जैसे स्वरूप में विविध वेबसाईट पर से प्राप्त हो सकती है ।
प्रश्न 2.
ई-कॉमर्स सेवाओं के कार्यक्षेत्र समझाइए ।
उत्तर :
ई-कॉमर्स सेवाओं का कार्यक्षेत्र निम्नानुसार है ।
(1) धन्धे से ग्राहक : B2C : (Business to Customer)
(2) धन्धा से धन्धा : B2B : (Business to Business)
(3) ग्राहक से ग्राहक : C2C : (Customer to Customer)
(4) ग्राहक से धन्धा : C2B : (Customer to Business)
(1) धन्धा से ग्राहक (B2C) : इसमें एक तरफ व्यापारी तथा दूसरी तरफ ग्राहक होता है । इन्टरनेट के माध्यम से वेबसाईट का उपयोग करके व्यापारी ग्राहकों को अपने उत्पादन तथा सेवाओं का विक्रय करते है । ग्राहक किसी भी स्थान से किसी भी समय पर मनपसन्द वस्तुएँ क्रय करने हेतु ऑर्डर दे सकते है । विक्रेता अपनी वस्तु किसी भी मध्यस्थी के बिना सीधा ही विक्रय ग्राहकों को कर सकते है । क्रेता एक स्वतंत्र ग्राहक है । Online क्रय का यह उत्तम उदाहरण कहलाता है । वस्तु के फुटकर विक्रय के अलावा B2C में online बैंकिंग, परिवहन सुविधाएँ जैसी अनेक सेवाओं का समावेश किया गया है ।
(2) धन्धा से धन्धा : (B2B) : इसमें दोनों पक्षकार धन्धाकीय इकाइया अथवा धन्धार्थी होते है । आज के स्पर्धात्मक युग में धन्धाकीय इकाइयों को एकदूसरे पर आश्रित रहना पड़ता है । B2B व्यापार इन आश्रितों को सरल व अधिक असरकारक बनाती है । B2B की मदद से व्यापारियों की सामान्य धन्धाकीय प्रवृत्तियाँ जैसे कि आपूर्ति का व्यवस्थापन माल-सामग्री की सूची का व्यवस्थापन, भुगतान का व्यवस्थापन इत्यादि की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है ।
(3) ग्राहक से ग्राहक : (C2C) : इस व्यवस्था में ग्राहक से ग्राहक के व्यापार की प्रवृत्तियाँ जुड़ी हुई है । वेबसाईट पर इन्टरनेट के उपयोगकर्ता विक्रेता व क्रेता दोनों ग्राहक बनते है । किसी भी मध्यस्थी बिना ग्राहकों को क्रय-विक्रय की online सुविधा प्राप्त होती है । इसका एक उदाहरण निलामी (हराजी) की साईट (E-Auction) है । यदि ग्राहक को कोई वस्तु विक्रय करनी हो तो वो वह वस्तु हराजी की साईज पर की सूची में शामिल करता है और अन्य व्यक्तियों उनकी बोली लगाते हैं । अधिक मूल्य/कीमत देनेवाला वस्तु को क्रय करता है । इसके अलावा olx.com, quicker.com में विक्रेता ग्राहक अपनी वस्तु की माहिती तथा विक्रय मूल्य रखते है और क्रेता के साथ बातचीत होने के बाद क्रय-विक्रय की प्रक्रिया होती है ।
(4) ग्राहक से धन्धा (C2B) : ई-कोमर्स की यह सेवा ग्राहकों के लिए अनुकूल हो अथवा तो निश्चित उत्पादन या सेवा के लिए ग्राहक चुकाना चाहते हो तब मूल्य की व्यापक श्रेणी में उत्पादन व सेवा की पसन्दगी मिलती है । ऐसी सेवाओं या उत्पादन करनेवाली धन्धाकीय इकाइयाँ उत्पादन व सेवा के लिए अपने विक्रय की शर्ते व कीमत बताती है । यह पद्धति भाव-ताव में होनेवाले समय को घटाते है तथा ग्राहक और धन्धाकीय इकाई दोनों की परिवर्तनशीलता को बढ़ाते हैं । इस प्रक्रिया में ग्राहक द्वारा भुगतान निश्चित किया जाता है ।
ई-कॉमर्स की इसके अलावा भी कई अन्य व्यवस्था है । जिसमें सरकार को एक स्वायत्त अस्तित्व मान लें तो निम्न व्यवस्था अस्तित्व में आती है ।
- सरकार से धन्धा
- सरकार से नागरिक
- सरकार से सरकार
प्रश्न 3.
ओन लाईन (On Line) व्यवहार की प्रक्रिया के सोपान समझाइये ।
अथवा
ओन लाईन व्यवहार में वित्त के भुगतान की प्रक्रिया पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर :
On Line व्यवहार की प्रक्रिया के सोपान निम्नलिखित है :
(i) रजिस्ट्रेशन : ओन लाईन व्यवहार में क्रय करने से पहले ग्राहक को रजिस्ट्रेशन फार्म भरकर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है । रजिस्ट्रेशन कराना अर्थात् विक्रेता के वहाँ ओन लाईन खाता खुलाना । ओन लाईन व्यवहार में रजिस्ट्रेशन अर्थात् sign up होना । इसके लिए ई-फॉर्म में खाता खुलानेवाले का नाम, पता, फोन नम्बर जैसी जानकारी देनी पड़ती है । इसके बारे में व्यवहार करने के लिए पासवर्ड भी दिया जाता है । खाते से सम्बन्धित जानकारी इस पासवर्ड से सुरक्षित रखी जाती है । जिससे सम्बन्धित खाते में कोई अन्य व्यक्ति प्रवेशी (Log In) न सके ।
(ii) ऑर्डर देना : ओन लाईन क्रय सकते समय विभिन्न वस्तुएँ पसन्द करके शोपिंग कार्ट में रख सकते है । (शोपिंग कार्ट यह ओन लाईन क्रय के समय क्रेता द्वारा पसन्द की हुई वस्तुओं की सूची है) इस शोपिंग कार्ट में क्रय की सूची तैयार करने के बाद उसके आगे के विकल्प पर जाकर वित्त के भुगतान का विकल्प पसन्द कर सकते है ।
(iii) वित्त भुगतान तंत्र : ओन लाईन खरीदी में वित्त का भुगतान विभिन्न रूप से हो सकता है । जैसे कि केश ऑन डिलिवरी, चेक, नेट बैंकिंग ट्रान्सफर, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या डिजीटल केश इत्यादि ।
वित्त भुगतान की प्रक्रिया : ओन लाईन खरीदी में वित्त का भुगतान विभिन्न प्रकार से हो सकता है ।
(1) Cash on Delivery केश ऑन डिलीवरी (COD) : वित्त भुगतान की इस पद्धति में ग्राहक द्वारा क्रय की हुई वस्तु उनके मंगाए गए पते पर मिलती है तब उनका भुगतान करना होता है ।
(2) चेक (Cheque) : ओन लाईन व्यापारी ग्राहक के पक्ष से चेक प्राप्त करने की व्यवस्था भी कर सकता है । वस्तु को क्रय करनेवाला व्यक्ति विक्रेता को चेक देता है । विक्रेता व्यापारी इस चेक की रकम अपने खाते में जमा होने के बाद वस्तु भेजता है ।
(3) Net Banking Transfer नेट बैंकिंग ट्रान्सफर : वर्तमान समय में विभिन्न बैंक इन्टरनेट के माध्यम से वित्त का भुगतान या हस्तांतरण की सुविधा भी ग्राहकों को प्रदान करते है । इस प्रक्रिया में क्रेता चुकाने योग्य रकम अपनी बैंक के खाते में से ओन लाईन विक्रय करनेवाले व्यापारी के खाते में ट्रान्सफर कराते है । यह रकम ट्रान्सफर/हस्तांतरण होने के बाद माल भेजा जाता है ।
(4) Credit Card एवं Debit Card : इस प्रकार के कार्ड को प्लास्टिक के रु. में रूप में भी पहचाना जाता है । यह कार्डस ओन लाईन वित्तीय व्यवहार हेतु बड़े पैमाने में उपयोग में लिये जाते है । Credit Card देनेवाली बैंक कार्ड धारक को शाख पर क्रय करने की सुविधा देती है । कार्ड धारक को ओन लाईन व्यापारी को भुगतान की रकम सम्बन्धित बैंक चुका देती है । इसके पश्चात् निर्धारित समय में कार्ड धारक यह रकम बैंक को चुका देती है । कार्ड धारक को किस्त में अथवा अपनी सुविधा अनुसार निर्धारित समय में रकम चुकाने की स्वतंत्रता रहती है ।
Debit Card धारक व्यक्ति को अपने बैंक खाते में जमा रकम जितनी ओन लाईन खरीदी करने की सुविधा मिलती है । Debit Card के माध्यम से ओन लाईन व्यवहार होते है तब तुरन्त ही कार्ड धारक के बैंक खाते में से उतनी रकम चुकाई जाती है ।
(5) डिजिटल केश-: यह एक इलेक्ट्रोनिक चलन है जो मात्र सायबर स्पेस (इन्टरनेट के विश्व) में ही अस्तित्व प्राप्त है । ऐसा चलन कोई भौतिक अस्तित्व के स्वरूप में नहीं होता, परन्तु बैंक ग्राहक के वास्तविक चलन को इलेक्ट्रोनिक स्वरूप में उपयोग की सुविधा प्रदान करती है । ग्राहक ने बैंक को आवश्यकतानुसार की डिजिटल केश जितनी वास्तविक रकम चुकानी रहती है । उसके बाद ई-केश का फार्म सम्भालनेवाली बैंक ग्राहक को एक विशेष सोफ्टवेर भेजती है । जिसके माध्यम से ग्राहक के खाते में डिजिटल केश प्राप्त किया जा सकता है । ओन लाईन खरीदी के लिए यह डिजिटल कोष उपयोग किया जा सकता है ।
6. निम्न संज्ञाएँ समझाइए :
(1) हेकिंग
(2) वाइरस
(3) वेबसाइट
(4) P.C.
(5) www
(6) चीट-चैट
(1) हेकिंग : हेकिंग का अर्थ हायजेक करना । अपने कम्प्यूटर पर जो गप्त बातें मेमरी में रखी हैं उसको अन्य लोग चालाकी से हडप लेते हैं । यह एक प्रकार की सूचना-संबंधी चोरी है । इसीलिए हेकींग करनेवाले लोगों पर कम्प्यूटर एवं सायबर-संबंधी कानूनी व्यवस्था भी है ।
(2) वाइरस : वाइरस कम्प्यूटर संबंधी बीमारी है । अन्तरिक्ष में कोई विशिष्ट पर्यावरण संबंधी इलेक्ट्रोनिक वाइरस फैल जाते हैं । जिससे सभी कम्प्यूटरों पर असर पड़ता है । अत: सोफ्टवेयर टेक्नोलॉजी के सहारे कम्प्यूटर में पहले से ही इसका प्रतिरोधक इलाज करवाना जरूरी होता है ।
(3) वेबसाइट : वेबसाइट एक प्रकार का एड्रेस सूचक है । जो भी सूचना चाहिए उसके संदर्भ में डोट कोम एड्रेस पर जाना पड़ता है । अन्तरिक्ष में यह एक ऐसी जगह है जो स्पेस टेक्नोलॉजी की भाषा में वेब Web से जाना जाता है ।
(4) P. C. : P.C. अर्थात् Personal Computer जो अपने घरेलू उपयोग के लिए है ।
(5) www : www अर्थात् वर्ल्ड वाइड वेब (world wide web) यानी विश्वव्यापी वेब
(6) चिट-चैट : चिट-चैट का मतलब P.C. पर इन्टरनेट के जरिए दो कम्प्यूटर पर बातचीत ।