Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 11 Commerce Accounts Part 2 Chapter 7 हिसाबी मानांक : ख्याल और उद्देश्य Textbook Exercise Questions and Answers.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Accounts Part 2 Chapter 7 हिसाबी मानांक : ख्याल और उद्देश्य
स्वाध्याय – अभ्यास
प्रश्न 1.
हिसाबी मानांक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर :
भारत में 21 अप्रैल, 1977 के दिन धी इन्स्टिट्युट ऑफ चार्टर्ड एकाउन्टन्स् ऑफ इंडिया (ICAI) जो एक हिसाबी व्यवसाय की संस्था है उसके द्वारा प्रकाशित किये जानेवाले एकसमान हिसाबी नियम और मार्गदर्शक विधान है जिसे वित्तीय पत्रक तैयार करने में तथा उसकी प्रस्तुती करने में ध्यान में लिये जाते है । हिसाबी मानांक में दिये गये नीति नियम या मार्गदर्शन सामान्यत: वित्तीय (मौद्रिक) पत्रकों में दिये जानेवाले हिसाबी जानकारी के मूल्यांकन और प्रस्तुती के संदर्भ में होता है । जिसके आधार पर लेखाकार पर कानून के द्वारा लगाया गया नीतिविषयक बंधन है । भारत में मध्यस्थ सरकार के द्वारा नेशनल एडवाईजरी कमिटी ओन एकाउन्टिंग स्टान्डर्ड्स [National Advisory Committee on Accounting Standards (NACAS)] के साथ चर्चा-विचारणा करके तारीख 16.2.2015 के दिन तारीख 01.4.2015 से अस्तित्व में आये इस प्रकार कंपनीझ (हिसाबी मानांक) नियम, 2015 बाहर प्रकाशित किये गये है । इस नियम के अनुसार उसमें दर्शायी गयी कंपनीयाँ और उसके ओडिटरों के द्वारा उसमें बताये गये भारतीय हिसाबी कक्षा (Ind AS) का पालन क्रमशः वित्तीय पत्रक तैयार करना और उसका ओडिट करना है ।
किसी भी विषयवस्तु पर चर्चा-विचारणा के बाद हिसाबी मानांक का कच्चा विवरण प्रस्तुत कर संबंधित पक्षकारों के पास से उस पर सूचनाएँ प्राप्त की जाती है । उसके बाद समग्र दृष्टि से विचार करके हिसाबी मानांक बाहर प्रकाशित किये जाते है । पहले थोड़ा बहुत और बाद में उसे अनिवार्य रूप से लागु कर दिया जाता है ।
हिसाबी मानांक की रचना का उद्देश्य हिसाबी नीतियों में एकरूपता लाना, वैकल्पिक पद्धतियों में से आवश्यक पद्धति का उपयोग करना, उपयोगकर्ताओं का मौद्रिक पत्रकों में विश्वसनीयता बढ़ाना है ।
प्रश्न 2.
हिसाबी मानांक (स्तरों) का अर्थ बताकर उसका ख्याल समझाइए ।
उत्तर :
कोहलर के मतानुसार, ‘हिसाबी मानांक (स्तर) यह रिवाज, कानून और व्यवसायी संस्था के द्वारा लेखाकार पर लगाया गया नीतिविषयक कलम है ।’ हिसाबों में एकरुपता और समानता लाने के उद्देश्य से 1973 के वर्ष में अंतर्राष्ट्रीय हिसाबी समिति (International Accounting Standards Committee अथवा IASC) की स्थापना की गई । भारत में 21 अप्रैल, 1977 के दिन धी इन्स्टिट्युट ऑफ चार्टर्ड एकाउन्ट्स ऑफ इंडिया (ICAI) के द्वारा हिसाबी मानांक तैयार करने के लिये एकाउन्टिंग स्टान्डर्ड्स बोर्ड (Accounting Standards Board (ASB)) की रचना की गई । ICAI द्वारा भारतीय मानांक बाहर प्रकाशित किया गया है । हिसाबी मानांक में दिये गये नियम या नीतियों या मार्गदर्शन सामान्य रूप से वित्तीय पत्रकों में दी गई हिसाबी जानकारी का मूल्यांकन और प्रस्तुती संबंधी है ।
हिसाबी व्यवसाय की संस्था द्वारा हिसाबी क्षेत्र तय किये जाते है जिसमें वैकल्पिक और अलग अलग नीतियों का अनुसरण किया जाता है । चर्चा-विचारणा के पश्चात् उसमें सुधार का मार्गदर्शन मँगवाया जाता है । आवश्यक परिवर्तन लगे तो वह करके पहले कुछ क्षेत्रों में और फिर अनिवार्य रूप से किया जाता है । ऐसे हिसाबी निर्णय कुछ इकाईयाँ या सभी इकाईयों को लागु किया जा सकता है । .
अगर हिसाबी मानांक पर विविध वैकल्पिक पद्धतियाँ हो तब कौन-सी पद्धति को अपनाना वह कितनी योग्य है और भविष्य में उसमें परिवर्तन को अवकाश रहेगा या नहीं इन सभी बातों को ध्यान में लिया जाता है । हिसाबी मानांक प्रवर्तमान देश का कानून और धंधे के वातावरण को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है । इसलिये जब वातावरण और कानून में परिवर्तन हो तब हिसाबी मानांक में भी परिवर्तन होना चाहिए ।
प्रश्न 3.
हिसाबी मानांक के उद्देश्य और उपयोगिता बताइए ।
उत्तर :
हिसाबी मानांक के उद्देश्य और उपयोगिता निम्न है :
- हिसाबी मानांक का उद्देश्य मौद्रिक पत्रकों का उपयोगकर्ता में विश्वसनीयता बढ़ाना है ।
- हिसाबी मानांक के द्वारा मौद्रिक पत्रक तैयार करने के लिये तथा उसकी प्रस्तुती करने के लिये आवश्यक नियम और मार्गदर्शन सिद्धांत प्राप्त होते है ।
- हिसाबी मानांक की रचना का उद्देश्य हिसाबी नीतियों और प्रविधियों में एकरुपता लाना तथा यह सुनिश्चित करना है कि उसमें पारदर्शकता, एकसूत्रता और तुलना की योग्यता रहे ।
- जब मौद्रिक पत्रक हिसाबी मानांक के प्रावधान के अनुसार तैयार किये जा रहे हो और ओडिटर के द्वारा हिसाबी मानांक का योग्य रूप से पालन हुआ है ऐसा प्रमाणपत्र दिया जाये तब मौद्रिक पत्रकों की विश्वसनीयता बढ़ जाती है ।
- हिसाबी मानांक का मुख्य उद्देश्य यह है कि विविध पद्धतियों में जहाँ वैकल्पिक पद्धतियाँ अपनाई जा सके ऐसी हो तब आवश्यक उल्लेख करके इकाई को कोई एक पद्धति के उपयोग की छूट देने का कार्य है ।
प्रश्न 4.
अति संक्षिप्त उत्तर दीजिए :
(1) आंतरराष्ट्रीय हिसाबी मानांक समिति (International Accounting Standards Committee) की रचना किस वर्ष में हुई थी ?
उत्तर :
आंतरराष्ट्रीय हिसाबी मानांक समिति की रचना 1973 में हुई थी ।
(2) ICAI और ASB की स्थापना किस वर्ष में की गई थी ?
उत्तर :
ICAI और ASB की स्थापना 1977 में की गई थी ।
(3) किस कारण से ASB की स्थापना की गई थी ?
उत्तर :
हिसाबी मानांक तैयार करने के लिये ASB की स्थापना की गई ।